Principles And Debates Of Development Pdf In Hindi (Notes)

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Principles And Debates Of Development Pdf In Hindi

KVS में एक टॉपिक है जिसका नाम है Principles And Debates Of Development Pdf In Hindi | हम आपको इसके संपूर्ण नोट्स देने जा रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप अपना KVS की परीक्षा या फिर किसी भी टीचर एग्जाम को पास कर सकते हैं जैसे की – CTET, UPTET, KVS, NVS, DSSSB, REET, HTET, etc. यह वही नोट हैं, जिन्हें जिन्हें यूट्यूबर आपको पैसे के बदले देते हैं | लेकिन हम आपको फ्री में दे रहे हैं आप चाहे तो उन नोट्स की तुलना इस आर्टिकल या नोट्स से कर सकते हैं |

KVS Syllabus Topics

Perspectives on education and leadership (60 Marks)

(a) Understanding the Learner (15 MARKS)

    • Concept of growth, Maturation and Development, Principles and Development Debates, Development tasks and challenges.
    • Domains of Development: Physical, Cognitive, Socio-emotional, Moral, etc., deviations in development and its implications.
    • Understanding Adolescence: Needs, challenges and implications for designing institutional support.
    • Role of Primary and Secondary Socialization agencies. Ensuring Home school continuity.

आरंभ

KVS Topic: Principles And Debates Of Development (विकास के सिद्धांत और बहस)

पहले हम PRINCIPLE DEBATES समझेंगे फिर हम DEVELOPMENT DEBATES समझेंगे |

KVS Topic: Principle Debates (सिद्धांत बहस)

1. समान प्रतिमान का सिद्धांत (Principle of Common Pattern):-

“यद्यपि दो बालक समान नहीं होते हैं किंतु सभी बालकों में विकास का क्रम समान होता है” – Arnold Gesell  (अर्नोल्ड गेसेल – अमेरिकी मनोवैज्ञानिक) जैसे कि:- बालक चाहे गरीब परिवार का हो या फिर अमीर परिवार का हो, इस देश का हो चाहे विदेश का हो वह पहले घुटनों के बल ही चलना सीखता है अर्थात प्रतिमान समान होता है |

2. सामान्य से विशिष्ट क्रियाओं का सिद्धांत (Principle of General to Specific Responses):-

बालक सबसे पहले सामान्य शब्द बोलता है फिर विशिष्ट शब्द बोलता है और अंगुलियों का संचालन भी शुरू में सामान्य और बाद में विशिष्ट रूप से धारण करता है | जैसे कि – अक्षर लिखना, चित्रकारी करना, सिलाई, कढ़ाई आदि |

3. सतत विकास का सिद्धांत (Principle of Continuous Development):-

मानव विकास का क्रम निरंतर चलता रहता है लेकिन विकास की गति कभी धीमी और कभी तेजी से होती है | बालक के गुणों का विकास एकाएक नहीं होता है बल्कि धीरे-धीरे सतत रूप में होता रहता है | विकास एक सतत प्रक्रिया है और यह जन्म के पूर्व से शुरू होता है और मृत्यु पर समाप्त होता है।

4. आंतरिक परस्पर संबंधों का सिद्धांत ( Principle of Mutual Inter relation)

इसका तात्पर्य यह है कि बालक के विभिन्न अंग एवं गुण आपस में संबंधित होते हैं | बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास एक दूसरे से अंतः संबंधित होता है | तन स्वस्थ तो मन स्वस्थ और फिर भविष्य भी स्वस्थ |

5. विकास के दिशा का सिद्धांत (Principle of Development Direction)

Cephalocaudal Development (सेफलोकौडल विकास) – इसके अनुसार सबसे पहले सर का विकास होता है फिर धीरे-धीरे नीचे के अंगों का विकास होता है जैसे सबसे पहले सिर का विकास फिर हाथों का विकास और फिर पैरों का विकास, यानी कि ऊपर से नीचे की ओर, सिर से पैर की ओर विकास होता है | Proximodistal Development (समीपस्थ विकास) –  इसके अनुसार बच्चे के अंदर सबसे पहले केंद्र का विकास होता है यानी के दिल के आसपास के हिस्से का विकास होता है | रिड की हड्डी से शुरू होता है और फिर हाथ पैर और मस्तिष्क का विकास होता है | यानी के अंदर से बाहर की ओर विकास होता है |

माह (Month) विकास की क्रिया (Process of Development)
1 माह बालक सिर को उठाना सीख जाता है |
3 माह बालक गतिशील वस्तुओं पर नेत्र का नियंत्रण करना सीख जाता है | 3 माह से पहले के बालक के सामने यदि आप कोई खिलौना दाएं से बाएं और ले जाएंगे तब वह आपको ही देखता रहेगा उसका नेत्र उस खिलौने से हट जाएगा और वह आपको ही देखेगा लेकिन 3 माह के बाद यदि यह प्रक्रिया आप उसके सामने करते हैं तब वह उस खिलौने पर अपने नेत्र लगाए रखेगा और देखेगा कि यह खिलौना इधर से उधर जा रहा है |
4-5 माह बालक सहारा देने पर बैठना सीख जाता है |
6-7 माह बालक बिना सहारे के बैठना सीख जाता है |
8-9 माह बालक सहारे से खड़ा हो सकता है |
10-11 माह बालक बिना किसी सहारे के खड़ा हो सकता है |
1 वर्ष बालक बिना किसी सहारे के चलना सीख जाता है |
2 वर्ष बालक दौड़ना सीख जाता है |
3-4 वर्ष बालक कूदना सीख जाता है और ट्राई साइकिल चलाना सीख जाता है | तीन पहियों वाली साइकिल चलाना सीख जाता है |

6. वृद्धि और विकास की गति एवं दर एक जैसी नहीं रहती हैं (The Pace and Rate of Growth and Development do not Remain the Same)

बालक में वृद्धि एवं विकास की गति में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं वह हमेशा एक जैसे नहीं होते हैं | मान लीजिए किसी व्यक्ति की लंबाई बहुत ज्यादा है लेकिन वजन बहुत कम है यदि वजन भी सही है लंबाई भी सही है तो फिर बुद्धि ही कमी है और अगर सब कुछ सही है तो कुछ ना कुछ कमी आगे जाकर हो जाती है या फिर नहीं भी होती है | कहने का मतलब यह है कि यदि उस व्यक्ति का विकास हो भी गया तो वह और आगे विकास करेगा या फिर नहीं करेगा | जीवम में या विकास मे कभी स्थिरता नहीं होती है | उतार-चढ़ाव होते रहते हैं  |

7. विकास के क्रम का सिद्धांत (Principle of Developmental Sequence)

इस सिद्धांत के अनुसार गामक एवं भाषा विकास एक निश्चित क्रम में होता है और वह क्रम निम्नलिखित है –

  1. L – Listning (सुनना)
  2. S – Speaking (बोलना)
  3. R – Reading (पढ़ना)
  4. W – Writing (लिखना)

 रोचक बात  – अब मैं आपको एक रोचक बात बताने जा रहा हूं कि आपको अंग्रेजी बोलनी क्यों नहीं आती है इसको हम इन चार बातों से समझते हैं | बच्चे ने पहले सुनना सीखा, फिर बोलना सिखा, फिर पढ़ना सिखा और फिर लिखना सिखा | लेकिन आपने स्कूल में क्या किया सबसे पहले आपने अंग्रेजी को लिखना सीखा, फिर आपने अंग्रेजी को पढ़ना सीखा, फिर आपने अंग्रेजी को सुनना सीखा, फिर आपने अंग्रेजी को बोलना सिखा, तो यह सभी क्रमबद्ध नहीं है तो आपने अंग्रेजी क्रमबद्ध तरीके से नहीं सीखी थी | इसलिए आप अंत में अंग्रेजी को बोलना सीख रहे हैं |

8. एकीकरण का सिद्धांत (Theory of integration)

इस सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंगों को तथा उसके बाद उसके भागों को चलाना सीखना है | बालक जब छोटा होता है तब है पूरा हाथ हिलाता है और तब दूसरों को bye बोलता है लेकिन जब वह थोड़ा और बड़ा हो जाता है तो वह अपनी कोनी से अपने पूरे हाथ कहलाता है तब bye बोलता है लेकिन वह थोड़ा और बड़ा हो जाता है तब वह सिर्फ अपनी हथेली को हिला कर दूसरों से bye-bye कर देता है फिर और थोड़ा बड़ा होता है तब वह सिर्फ अपनी उंगलियों के लाकर bye बोलता है तो इस प्रकार वह पहले अपने संपूर्ण अंगों को हिलाता है उसके बाद उसके भाग को चलाना सीख जाता है |

9. विकास लम्ब्वत ना होकर चक्राकार वार्तालुकार होता है (Development is circular instead of vertical or Plain) (Spiral versus Linear)

विकास जीवन में कभी भी एक समान नहीं होता है कभी विकास ज्यादा होता है तो कभी विकास कम होता है अगर हम एक ग्राफ में देखें तो विकास कभी भी सीधी रेखा में नहीं होता है वह एक स्प्रिंग की तरह होता है गोल-गोल यानी कि कभी कम कभी ज्यादा | विकास में उतार-चढ़ाव होता रहता है |

10. विकास की भविष्यवाणी का सिद्धांत (Theory of development forecasting)

हम विकास को देखकर उसकी भविष्यवाणी कर सकते हैं कि बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा हम विकास की गति देखकर यह बता सकते हैं बच्चा कब तक विकसित हो जाएगा और वह बच्चा भविष्य में क्या बनेगा |

11. वंशानुक्रम और पर्यावरण के संयुक्त परिणाम का सिद्धांत (Theory of joint Effect of Heredity and Environment)

बच्चे का विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे आनुवंशिकता या पर्यावरण के आधार पर पूर्ण रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता है। दोनों को विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। दोनों के पक्ष में तर्क हैं। हालाँकि, अधिकांश मनोवैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि इन दो कारकों की परस्पर क्रिया विकास की ओर ले जाती है। बालक के जीवन में वंशानुक्रम और पर्यावरण की बहुत महत्वता है यदि इनमें से कोई भी कम या ज्यादा होता है तो बच्चे का जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है | मान लीजिए किसी के जींस में कमी है तब उस बच्चे का विकास अलग होगा, हो सकता है कि वह बालक मंदबुद्धि हो या फिर उसके शरीर के अंग सामान्य रूप के मुकाबले अलग हो और यदि किसी बच्चे को सही पर्यावरण नहीं मिलता है तब उस बच्चे का विकास अलग होगा | हो सकता है वह बालक समाज में घुलमिल कर ना रहे सके | जहां आनुवंशिकता विकास (ज्यादातर भौतिक) पर कुछ सीमाएं तय करती है या निर्धारित करती है, पर्यावरणीय प्रभाव विकासात्मक प्रक्रिया (गुणात्मक) को पूरा करते हैं। पर्यावरणीय प्रभाव परिवार, साथियों, समाज आदि के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से बहुआयामी विकास के लिए स्थान प्रदान करते हैं। विकास और विकास आनुवंशिकता और पर्यावरण का एक संयुक्त उत्पाद है।

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KVS Topic: Development Debates (विकास बहस)

हम Development Debates (विकास बहस) को निम्नलिखित बिंदुओं से भी जानते हैं |

  1. Developmental issues (विकास संबंधी मुद्दे)
  2. Developmental controversy (विकासात्मक विवाद)
  3. Themes of development (विकास के विषय)

साइकोलॉजी में सभी ने अपने तरह-तरह के तर्क और तथ्य सबके सामने रखे हैं और उन पर बहस हुई है और चर्चा भी हुई है | तो इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि वह कौन से तथ्य थे जिन पर मतभेद रहा है | कुछ साइकोलॉजिस्ट अपनी बात सामने रखते हैं और दूसरों पर तंज कसते हैं तो वह बातें कौन सी थी जिन मुद्दों पर बहस हुई | तो चलिए जानते हैं विस्तार से | हम निम्नलिखित विषयों पर चर्चा करेंगे और जानेंगे उन मुद्दों के बारे में जिन पर Debate (बहस) रही है |

1. Continuity v/s Discontinuity (निरंतरता बनाम अनिरंतरता)

  • सबसे पुराना और एक प्रसिद्ध मुद्दा (Oldest and a famous issue) –  सबसे पुराना मुद्दा है इस पर भी काफी समय तक बहस रही थी |
  • वाइगोत्सकी बनाम प्याजे (Vygotsky Vs Piaget) –  किसी एक बात पर सहमत नहीं थे दोनों की अपनी अलग अलग राय थी |
  • Resolved (हल किया गया): Continuous (निरंतर) – दोनों ने अपने अपने तर्क सामने रखें और अंत में यह सिद्ध हुआ और यह पाया गया कि विकास निरंतर होता है उसमें अनिरंतरता नहीं होती है | 
निरंतरता अनिरंतरता
B.F. Skinner, Ivan Pavlov, John Watson, Richard Atkinson, Richard Shiffrin, Carl Rogers, Abraham Maslow, Charles Darwin, David Buss, Konrad Lorenz, Robert Sapolsky, Albert Bandura इनका यह मानना था कि विकास निरंतर होता है | Jean Piaget, Erik Erikson, Sigmund Freud, Kohlberg   इनका का मानना था कि विकास में निरंतरता नहीं होती है वह अनिरंतरता से चलता है |
इनका मानना यह है कि विकास सदैव ऊपर की ओर चलता है और निरंतर विकास होता रहता है बालक कुछ ना कुछ सीखता रहता है | जैसे कि बालक पहले जमीन पर रहकर चलना सीखता है फिर घुटनों के बल चलना सीखता है फिर बैठना सीख जाता है फिर खड़ा होता है और फिर दौड़ना शुरू कर देता है | इन्होंने कई प्रकार के चरण दिए हैं और समझाया है कि विकास में निरंतरता नहीं होती है |
इनका मानना यह था कि विकास का GRAPH CURVE होता है |  यानी कि बढ़ता हुआ आगे की ओर झुक जाता है | इनका मानना यह था कि विकास घर की सीढ़ी जैसा होता है (BAR GRAPH)  पहले होता है फिर थोड़ा सा सपाट होता है फिर होता है से रुकता है ऐसे करते करते बालक का विकास होता है |

2. Nature v/s Nurture (प्रकृति बनाम पोषण)

प्रकृति बनाम पोषण में बहस का मुद्दा यह है कि बालक का विकास सबसे ज्यादा किस पर निर्भर करता है प्रकृति पर या पोषण पर |

Nature (अनुवांशिकता) Nurture (परिवेश)
(प्रकृति) (पोषण)
heredity – हमें विरासत में परिजनों द्वारा बहुत सी चीजें मिली हैं जैसे कि हमारी आंखों का रंग कैसा होगा हमारे बालों का रंग कैसा होगा हमारी लंबाई कैसी होगी यह सब हमारे जींस में होती है तो हम बता सकते हैं कि बालक का विकास कितना हो सकता है | पर्यावरणीय संदर्भ (परिवेश) – हमारे आसपास का वातावरण कैसा है हमारे स्कूल का वातावरण कैसा है हमारा आस-पड़ोस कैसा है | जहां पर भी बच्चा जा रहा है | इस तरीके का वातावरण बालक के विकास को प्रभावित करता है वह उनसे सीखता है | 
Maturation – शरीर में बदलाव की वजह जींस होते हैं और यह जींस हमें हमारे माता-पिता से मिलते हैं और वही जींस में जानकारियां मौजूद होती हैं जिससे हमारा भविष्य बनता है |  उन जीन्स की जानकारियों को हम बदल नहीं सकते हैं पर्यावरण का इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा | अनुवांशिकता को देखकर हम बता सकते हैं कि बच्चे का भविष्य कैसा होगा |  लेकिन पर्यावरण को देखकर हम यह नहीं बता सकते हैं कि बच्चे का भविष्य कैसा होगा क्योंकि बच्चा हर जगह जा रहा है वह अपने आस-पड़ोस में जा रहा है अपने दोस्तों में जा रहा है और अपने स्कूल जा रहा है और बड़ा होकर वह कहां जाएगा यह भी हम को नहीं पता है तो हम यह नहीं बता सकते कि बच्चे का भविष्य कैसा होगा हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं | 
Heredity फिक्स होती है इसे हम बदल नहीं सकते हैं और हम पेरेंट्स के जीन्स की सहायता से यह बता सकते हैं की बालक का भविष्य कैसा होगा | पर्यावरण फिक्स नहीं होता है यह समय समय पर बदलता रहता है और बालक में बदलाव होता रहता है |

प्रकृति और पोषण को हम अन्य नामों से भी जानते हैं उनके नाम निम्नलिखित हैं | 

  • Heredity versus Environment (आनुवंशिकता बनाम पर्यावरण)
  • Biology versus Culture (जीव विज्ञान बनाम संस्कृति)
  • Maturation versus Learning (परिपक्वता बनाम सीखना)
  • Innate versus acquired Abilities (जन्मजात बनाम अधिग्रहीत क्षमताएं)

D = H X E ( Development = Heredity x Environment ) (विकास = आनुवंशिकता x पर्यावरण) अनुवांशिकता और पर्यावरण एक दूसरे को प्रभावित करते हैं यदि इन दोनों में से कोई भी एक कम या ज्यादा होता है तब बच्चे के विकास पर असर होता है | जैसे कि:-  अनुवांशिकता की कमी – मान लीजिए किसी बालक को अनुवांशिकता की कमी के कारण उसकी मानसिकता पर प्रभाव पड़ा है तब आप उसको कितना भी अच्छा पर्यावरण दे दीजिए उसका विकास वैसा नहीं होगा जैसा कि एक आम बालक का होता है | पर्यावरण – मान लीजिए एक बालक है जो कि जन्म से ही बुद्धिमान नहीं है यदि उसको अच्छा पर्यावरण दिया जाए तब उसके अंदर पर्यावरण का असर दिखेगा और उसके मानसिक विकास में प्रगति होगी | कुल मिलाकर बात यह है कि अनुवांशिकता और पर्यावरण दोनों से ही बालक का विकास होता है और हम यह नहीं कह सकते हैं कि अनुवांशिकता ज्यादा महत्व रखता है और पर्यावरण ज्यादा महत्व रखता है | हम इसे परसेंट में नहीं डाल सकते हैं कितना परसेंट पर्यावरण जिम्मेदार है और कितना परसेंट अनुवांशिक जिम्मेदार है | दोनों का संगम ही बच्चे का विकास करता है |

3. Early Experience v/s  Later Experience (प्रारंभिक अनुभव बनाम बाद का अनुभव)

इसको हम Critical vs Sensitive periods (महत्वपूर्ण बनाम संवेदनशील अवधि) नाम से भी जानते हैं | Freud and Erikson (फ्रायड बनाम एरिक्सन) – इन दोनों के बीच इस बात को लेकर मतभेद है कि बच्चे का अनुभव प्रारंभिक अनुभव होना चाहिए या फिर बाद के अनुभव होना चाहिए | कौन सा अनुभव सबसे अच्छा है यह दोनों आपस में सिद्ध करने का प्रयास करते हैं | 

Early Experience Later Experience
प्रारंभिक अनुभव से मतलब है कि बच्चे के 5 वर्ष पहले के जितने भी अनुभव है वह मायने रखते हैं और 5 साल के बाद के अनुभव ज्यादा मायने नहीं रखते हैं | ऐसे ही, बाद के अनुभव से मतलब है कि बच्चे के 5 साल के बाद के अनुभव ज्यादा मायने रखते हैं ना कि 5 साल से पहले के अनुभव ज्यादा मायने रखते हैं तो यह है वह मुद्दा जिस पर फ्रायड और एरिक्सन के बीच में बहस होती थी |
एक कहता है कि बच्चे को क्या मतलब कि उसकी 5 साल की उम्र से पहले उसके साथ क्या हुआ है वह उसे याद ही नहीं रखेगा | मतलब तो उसे 5 साल के बाद के बाद पड़ता है कि उसके जीवन में क्या घटनाएं होती हैं वह उनसे ही अपना भविष्य तय करता है | दूसरा कहता है कि बच्चे को फर्क पड़ता है अगर 5 साल से पहले उसके साथ कोई घटना घटी है तो वह उसे याद रखता है जिससे उसकी मानसिकता पर प्रभाव पड़ता है और कुछ यादें भी होती हैं तो 5 साल से पहले बच्चे पर फर्क ज्यादा पड़ता है बजाय 5 साल के बाद के समय का |

अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला है और ना ही दोनों में से कोई अपने मजबूत तर्क सामने रख पाया है जिससे यह साबित हो सके कि कौन सही है यह मुद्दा अभी जा रही है | हमारे अगली टॉपिक का नाम होगा – Development Tasks and Challenges

समाप्त

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4 thoughts on “Principles And Debates Of Development Pdf In Hindi (Notes)”

  1. First time I read from you
    Seriously yu gave suprb information
    My concept too clear after reading your notes
    Thank you

  2. Avatar of Kv teacher shweta
    Kv teacher shweta

    Thank you sir bahut achhe se clear ho gya🤗🥰
    Please provide more contents for us🤗💜💜
    You are the best teacher but apne ab you tube pe kvs ki class lena bnd ker diya….. please sir thoda you tube bale bachho ka bhi dhyan rakhen

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