Concept Of Growth And Development Pdf In Hindi

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Concept Of Growth Maturation And Development Pdf In Hindi

KVS के सिलेबस में एक टॉपिक है जिसका नाम है Concept Of Growth And Development Pdf In Hindi, Concept Of Growth And Development Pdf In Hindi (विकास और परिपक्वता की अवधारणा), हम आपको इससे संबंधित संपूर्ण नोट्स देंगे जिन्हें पढ़कर आप अपना KVS का, CTET का या किसी भी TEACHING की परीक्षा पास कर सकते हैं | यह नोट्स POINT TO POINT होंगे (बिना घुमाए  फिराये सीधे मुद्दे की बात) | हम आपको अपनी भाषा में समझाएंगे और सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर बात करेंगे जिनकी हमें जरूरत है और जो एग्जाम पूछे जाएंगे |

एक बात आप सभी ध्यान रखें कि हम शुरू से बताएंगे और सब कुछ कवर करेंगे हम एक नीव रखेंगे जिसकी बुनियाद बहुत मजबूत होगी और फिर उस पर धीरे-धीरे ढांचा बनाएंगे तब जाकर एक महल बनेगा | मतलब हम एक एक चीज को आपके सामने रखेंगे और फिर आपको सब कुछ क्लियर करते हुए समझाएंगे वह भी मुख्य बिन्दुओ में |

Understanding The Learner (शिक्षार्थी को समझना) पार्ट 60 नंबर का है और यही पार्ट TGT में और PGT में 40 नंबर का है | यदि आप KVS PRT का पार्ट कर लेते हैं तो आप एक तरीके से TGT और PGT की तैयारी कर रहे हैं | आप के KVS PRT सिलेबस के टॉपिक्स कुछ इस प्रकार है | जिनको हम एक-एक करके पढ़ेंगे | तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी देरी के |

KVS Syllabus Topics

Perspectives on education and leadership (60 Marks)

(a) Understanding the Learner (15 MARKS)

  • Concept of growth, maturation and development, principles and development debates, development tasks and challenges.
  • Domains of Development: Physical, Cognitive, Socio-emotional, Moral, etc., deviations in development and its implications.
  • Understanding Adolescence: Needs, challenges and implications for designing institutional support.
  • Role of Primary and Secondary Socialization agencies. Ensuring Home school continuity.

आरम्भ (Start) – Concept of Growth

बाल विकास का इतिहास (History of Child Development) – आरंभ करने से पहले हमें कुछ बातों का पता होना चाहिए जैसे कि बाल विकास की शुरुआत कहां से हुई थी | कौन-कौन से मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने बाल विकास पर अध्ययन सबसे पहले किया था | जैसा कि सिलेबस में दिया गया है की बहस के बारे में भी बताना है तो उन मनोवैज्ञानिकों में क्या बहस हुई थी | उन्होंने अपने क्या तर्क रखे थे | यह बात हम आगे जानेंगे |

सबसे पहले आपको 4 शब्द याद रखने होंगे जिनके नाम निम्नलिखित हैं:-

  1. आत्मा (soul)
  2. मन/मस्तिष्क (mind/brain)
  3. चेतना (Consciousness)
  4. व्यवहार (Behaviour)

वर्तमान में जो मनोविज्ञान चल रहा है वह व्यवहार का मनोविज्ञान चल रहा है | इससे पहले के मनोवैज्ञानिकों का मानना था कि मनोविज्ञान चेतना का मनोविज्ञान है उससे पहले मन और मस्तिष्क को मानते थे और सबसे पहले आत्मा को मनोविज्ञान मानते थे |

मनोविज्ञान की उत्पत्ति दर्शनशास्त्र से मानी जाती है आत्मा से मानी जाती है सभी यूनानी दर्शनशास्त्र को आत्मा को मनोविज्ञान मानते थे | लेकिन आज के समय में दर्शनशास्त्र को व्यवहार का मनोविज्ञान माना जाता है |

दर्शनशास्त्र का उदय यूनान में हुआ था | सुकरात , प्लेटो, देकार्त और अरस्तु आदि दार्शनिक थे और यहां से दर्शनशास्त्र का उदय मान जाता है |

QuestionPhilosophersOrigin
मनोविज्ञान का जनक किसको को माना जाता है? Aristotle
(अरस्तु)
 Greek philosopher
आधुनिक मनोविज्ञान का जनक कौन है? William James
(विलियम जेम्स)
 American philosopher
शिक्षा मनोविज्ञान का जनक कौन है? Edward Thorndike
(एडवर्ड थार्नडाइक)
 American psychologist
व्यवहारवाद का जनक कौन है? John B. Watson
(जॉन बी वाट्सन)
 American psychologist
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक कौन है? Wilhelm Wundt
(विल्हेम वुण्ट)
 German physiologist

बाल विकास की शुरुआत कहां से मानी जाती है?

बाल विकास हम उसे कहते हैं जिसमें बालक के विकास का अध्ययन करते हैं | तो चलिए कुछ मुख्य बिंदुओं में जानते हैं कि बालक के विकास का अध्ययन कहां से शुरू हुआ था |

  • 17 वी सदी में बालक के विकास के अध्ययन को कोई महत्व नहीं दिया जाता था |
  • 18 वीं सदी में एक वैज्ञानिक ने पूरी सदी में तहलका मचा दिया था और यही से बाल विकास के अध्ययन की शुरुआत हुई थी | तो चलिए 18 वीं सदी के वैज्ञानिकों के बारे में और उनके अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं |

1700 के बाद 18वीं सदी शुरू हो जाएगी |

  • 1774 में एक मनोवैज्ञानिक आते हैं जिनका नाम है पेस्टोलॉजी हैं | उन्होंने अपने खुद के 3.5 वर्षीय पुत्र पर अध्ययन किया और एक किताब लिखी जिसका नाम है बेबी बायोग्राफी, इस किताब में बालक के मनोविज्ञान का प्रथम विवरण मिलता है |
  • जब यह किताब दुनिया के सामने आई तब इस किताब में बहुत प्रसिद्धि हासिल की, इस किताब से लोग बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भी बाल अध्ययन करने का प्रयास किया |
  • इसके बाद 1787 में एक व्यक्ति आते हैं जिनका नाम है टाइड मैन, टाइड मैंने अपने बच्चे के शारीरिक विकास का परीक्षण करके विवरण दिया | टाइड मैन के बाद भी अन्य व्यक्ति आए लेकिन उनके कोई साक्ष्य नहीं मिले और फिर 19वीं सदी आ गई

1800 के बाद 19वीं सदी शुरू हो जाएगी |

  • Wilhelm Wundt (विल्हेम वुण्ट) ने अपनी पहली पाठशाला 1879 में जर्मनी के लिपजिंग शहर में खोली थी |
  • 19वीं सदी में बाल अध्ययन आंदोलन शुरू हुआ और इससे बाल अध्ययन आंदोलन के जनक स्टेनली हॉल है उन्होंने 1893 में इस आंदोलन की शुरुआत की थी और इसके बाद बाल विकास के अध्ययन के बहुत सारे तथ्य हमें मिले हैं |
  •  एक महिला थी जिनका नाम था | ताराबाई मोडक (Tarabai Modak) उनके प्रयासों से भारत में बाल विकास के अध्ययन की शुरुआत मानी जाती है |
  • भारत में बाल विकास के अध्ययन की शुरुआत 1930 में कोलकाता विश्वविद्यालय से मानी जाती है |

तो यहां तक हमने आपको बेसिक परिचय दिया है अब हम अपने सिलेबस के अनुसार मुख्य बिंदुओं पर आ जाते हैं और यहां से सिलेबस के सभी टॉपिक्स की शुरुआत होती है जिनका हम एक-एक करके विवरण देंगे |


KVS Topic: Concept of growth and Development (वृद्धि और विकास की अवधारणा)

विकास और वृद्धि को देखकर लगता है कि यह दोनों एक ही है लेकिन यह दोनों अलग-अलग है विकास हमारे मानसिक विकास और शारीरिक विकास से जुड़ा होता है वृद्धि हमारे सिर्फ शारीरिक विकास से जुड़ी होती है जैसे कि एक समय पर आकर वृद्धि रुक जाती है यानी कि आपकी लंबाई एक समय पर आकर रुक जाती है लेकिन विकास चलता रहता है और जन्म से लेकर मृत्यु तक चलता रहता है |

(Growth) वृद्धि:-

किसी व्यक्ति की या बालक की लंबाई, आकार एवं भार में परिवर्तन ही वृद्धि कहलाती है |

लॉरेंस के फ्रैंक (Lawrence K. Frank) – फ्रैंक ने अभिवृद्धि को कोशीय वृद्धि माना है |

अभिवृद्धि (Accretion) अभिवृद्धि शब्द का प्रयोग शरीर व उनके अंगों के भार और आकार में वृद्धि के लिए किया जाता है और इनको नापा या तोला भी जा सकता है |

कोशीय वृद्धि (Cellular Growth) – Muscle Growth (मांसपेशी विकास) के रूप में माना है |

वृद्धि का सम्बन्ध आपका निम्नलिखित 3 चीज़ो से है और बाकी सब विकास है |

  1. लंबाई – लंबाई को हम नाप सकते हैं कि कोई व्यक्ति 6 फुट का है या 5 फुट का है |
  2. चौड़ाई – को हम नाप सकते हैं की चौड़ाई कितनी है |
  3. भार – को हम माप सकते हैं की वजन कितना है |

(Development) विकास:-

बालक का शारीरिक, मानसिक, भाषागत, सामाजिक एवं नैतिक इत्यादि परिवर्तन होते हैं यही परिवर्तन विकास कहलाते हैं यह जीवन पर्यंत चलने वाली एक प्रक्रिया है |

  • हरलॉक (Elizabeth Bergner Hurlock) के अनुसार विकास की अवस्था का प्रभाव दूसरी अवस्था पर पड़ता है | आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है” तो इससे यह पता चलता है कि शारीरिक विकास का प्रभाव मानसिक विकास पर भी पड़ता है |
  • विकास का तात्पर्य मानवीय अथवा व्यक्तित्व विकास से है |
  • विकास मुख्यतः परिपक्वीकरण (Maturation) तथा अधिगम (Learning) पर निर्भर करता है |
  • Development = Heredity x Environment (विकास = आनुवंशिकता x पर्यावरण)

विकास के प्रकार निम्नलिखित है:-

(4 Basic Development) 4 बुनियादी विकास है – बाकी के दो पार्ट्स से है |

1. शारीरिक विकास (Physical Development) – इस विकास में शारीरिक विकास दिखाई देता है जैसे कि बालक के हाथ में वृद्धि हो रही है उसके बाल आ रहे हैं उसके दांत आ रहे हैं और उसकी लंबाई भी बढ़ रही है आदि |

शारीरिक विकास (Physical Development) मैं हम  देखते हैं:-

Motor Development – (Developmental or Functional development) गामक या क्रियात्मक विकास

  1. Gross motor skills / Development (स्थूल मोटर विकास या स्किल ) – इसमें अभी छोटे-छोटे अंग काम नहीं कर रहे हैं लेकिन बड़े अंग काम कर रहे हैं जैसे कि वह किसी चीज को उठाएगा तो उसके लिए दोनों हाथों को प्रयोग करेगा यदि उसे किसी पेंसिल को उठाना होगा तो वह पूरे हाथ से उठाएगा ना की उंगलियों से उठाएगा | तो इसको हम स्थूल कौशल कहेंगे |
  2. Fine motor skills / Development (सूक्ष्म मोटर विकास या स्किल) – इसमें पूरे हाथ की जगह उंगलियों का इस्तेमाल होता है जैसे कि यदि उस बालक को रंग भरना है तो वह उंगली से कलर को पकड़ेगा और तब उसमें रंग भरेगा या फिर किस ईस्वी में कोई धागा डालना है तब उंगलियों का प्रयोग होता है तो इसको हम सूक्ष्म कौशल कहेंगे |

2. संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) –  इसमें आपके सोचने समझने की क्षमता का विकास होता है |

  • आप तर्क लगाने लग जाते हो |
  • आप सोचना शुरू कर देते हो |
  • आप किसी समस्या का समाधान करना शुरू कर देते हो |
  • यह सब समय के साथ आता है |

3. सामाजिक विकास (Social Development) – सबसे पहले बालक किसी को पहचानता नहीं है लेकिन धीरे-धीरे वह अपने परिवार के हर सदस्य को पहचानने लग जाता है फिर समाज को पहचानने लगाता है जब वह स्कूल में जाता है तब बच्चों को पहचानने लग जाता है और उन्हें घुल मिल जाता है फिर समाज में उसके दोस्त बन जाते हैं ऐसे ही सामाजिक विकास हो जाता है |

4. सांवेगिक विकास (Emotional Development) – बालक समय के साथ-साथ अपने भाव व्यक्त करना सीख जाता है जब वह छोटा था बोलना नहीं आता था तो वह रोज आता था तो हम समझ जाते थे कि इसको भूख लगी है या फिर कोई परेशानी है तो हम उसे डॉक्टर के पास ले जाते थे जब वह बड़ा होता है तब हम उसे डांट देते हैं तो वह चुप हो जाता है तब भी वह एक प्रकार से अपना भाव व्यक्त कर रहा है समय के साथ-साथ भाव में परिवर्तन होते रहते हैं |

5. भाषाई विकास (Linguistic Development)  – संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) का हिस्सा है | बालक समय के साथ-साथ बोलना सीख जाता है शुरुआत में टूटी फूटी भाषा बोलता है लेकिन बाद में रहे अच्छे से बोल पाता है |

6. नैतिक विकास (Moral Development) –  सामाजिक विकास (Social Development) का हिस्सा है | इसमें बालक सीख जाता है अपने नैतिक मूल्य होगा कि जब कोई घर में आए तो उसके पैर छूने चाहिए उससे नमस्ते करनी चाहिए आदि |

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Life Cycle (जीवन चक्र)

जीवन जन्म के साथ शुरू होता है और इसे आम तौर पर चक्र के विकास के सात कार्यात्मक चरणों में विभाजित किया जाता है |

Biological Stages of Human life
(मानव जीवन के जैविक चरण)
Duration
(अवधि)
Characteristics of Growth and Development
(वृद्धि और विकास के लक्षण)
Prenatal
(जन्म के पूर्व का)
280 days of pregnancy
(गर्भावस्था के 280 दिन)
Development of fetus in mother’s womb till delivery of the fully formed fetus.
(पूर्ण रूप से निर्मित भ्रूण के प्रसव तक मां के गर्भ में भ्रूण का विकास।)
Neonatal
(नवजात)
Birth to 28 days
(जन्म से 28 दिन)
Rapid growth and development such as smiling, recognizing mother, etc.
(तीव्र वृद्धि और विकास जैसे मुस्कुराना, माँ को पहचानना आदि।)
Infancy
(बचपन)
28 days to 1 year
(28 दिन से 1 वर्ष तक)
Speedy growth in size and height, beginning of milk tooth, trying to stand and take steps.
(आकार और ऊंचाई में तेजी से वृद्धि, दूध के दांतों की शुरुआत, खड़े होने और कदम उठाने की कोशिश करना।)
Childhood
(बचपन)
1 to 10 years
(1 से 10 साल)
Rapid to moderate growth depending on nutrition. Permanent molar teeth eruption.
(पोषण के आधार पर तीव्र से मध्यम वृद्धि। स्थायी दाढ़ का फूटना)
Adolescence (किशोरावस्था)10 to 19 years
(10 से 19 साल)
Rapid physical, mental, emotional, and social changes.
(तेजी से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तन।)
Adulthood
(वयस्कता)
20 years onwards
(20 साल बाद)
Maturation, the reproductive period of life.
(परिपक्वता, जीवन की प्रजनन अवधि।)
Old age
(पृौढ अबस्था)
60 years and above
(60 वर्ष और उससे अधिक)
Slow weakening of body functions, organs and organ systems.
(शरीर के कार्यों, अंगों और अंग प्रणालियों का धीमा कमजोर होना।)
  • उम्र के अनुसार मस्तिष्क अपने वयस्क आकार का 80% हो जाता है |
  • मस्तिष्क का 85% विकास 6 वर्ष से पहले हो जाता है |
  • कम उम्र में हस्तक्षेप करने से IQ बढ़ सकता है |

IQ formula = MA/CA x 100

Mental Age / Chronological Age X 100

मानसिक आयु / कालानुक्रमिक आयु X 100


(Difference Between Growth and Development) विकास एवं वृद्धि में अंतर:-

(Growth) वृद्धि(Development) विकास
वृद्धि शब्द ( Quantitative changes) परिणात्मक परिवर्तनों के लिए प्रयोग में लाये जाते है।

 

जैसे की – जब बालक की आयु बढ़ती है तब उसके साथ-साथ
उसकी लंबाई, चौड़ाई भी बढ़ती है जिसको हम वृद्धि कहते है।

विकास शब्द का प्रयोग (Qualitative changes) गुणात्मक परिवर्तन के लिए
प्रयोग में लाया जाता है |जैसे की – बालक में कार्यक्षमता, कार्यकुशलता, आदि की वृद्धि होती है | तब विकास शब्द का प्रयोग होता है।
वृद्धि जीवन भर नहीं होती है |

 

जैसे कि – मान लीजिए एक व्यक्ति है जो कि 8 फुट का है अगर उसकी वृद्धि होती रही |  ऐसे तो वह 10 फुट का हो जाएगा फिर 20 फुट का हो जाएगा |

विकास जीवन भर चलता है गर्भ से लेकर कब्र तक |

 

जैसे कि – मृत्यु से कुछ क्षण पहले भी व्यक्ति कुछ ना कुछ सीख रहा होता है |

वृद्धि की प्रक्रिया (Life time) जीवनपर्यंत नही चलती है। बालक के पूर्ण (Mature)
परिपक्व होने की स्थिति में यह प्रक्रिया समाप्त होती है।
विकास (Life time) जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है और वृद्धि की तरह बालक के (Mature)
परिपक्व होने पर यह समाप्त नही होती है।
वृद्धि में होने वाले जो परिवर्तनों को सामान्य रूप से जीवन मे देखा जा सकता है ।

 

अभिवृद्धि एक मूर्त घटक है | इसको छिपाया जा सकता है |

विकास को सामान्य रूप नही देखा जा सकता है।

 

हम विकास को छू नहीं सकते हैं | क्योंकि व्यक्ति के जीवन मे यह अप्रत्यक्ष रूप में होते है।

वृद्धि शारीरिक होती है | वृद्धि को हम माप भी सकते है। हम किसी की लंबाई नाप सकते हैं और किसी का वजन तोल सकते हैं |विकास आंतरिक एवं बहुपक्षीय होता है | विकास का मापन नहीं कर सकते या मापन बहुत ही कठिन है। मापन कर भी लिया तो वह सिर्फ अंदाज़ा ही होगा |

परिभाषाएं:-

जेम्स ड्रेवर (James Drever) :- “बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें जन्म से परिपक्वावस्था तक विकसित हो रहे मानव का अध्ययन किया जाता है |”

मुनरो :- “विकास परिवर्तन कड़ी की व्यवस्था है जिसमें जीवन भ्रूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तो गुजरता है |”

क्रो व क्रो :- “बाल विकास वह वैज्ञानिक अध्ययन है, जिसमें गर्भावस्था से किशोरावस्था के आरंभ तक होने वाले विकास का अध्ययन किया जाता है |”

हरलॉक (Harlock) :- “विकास की सीमा अभिवृद्धि ताकि ही नहीं है अपितु इसमें प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर प्रगतिशील क्रम निधि रहता है, विकास के परिणाम स्वरूप व्यक्ति में अनेक नवीन विशेषताएं एवं नवीन योग्यताएं प्रस्फुटित होती है |”

विकास में परिवर्तन गर्भ मे आने से लेकर मृत्यु तक होते हैं और यह परिवर्तन हरलॉक के अनुसार चार प्रकार के होते हैं –

  1. आकार में परिवर्तन (Change in Size)
  2. अनुपात में परिवर्तन (Change in Ratio)
  3. पुराने लक्षणों का लुप्त होना (Disappearance of chronic Symptoms)
  4. नवीन लक्षणों का प्रकट होना (Emergence of new Symptoms)

1. आकार में परिवर्तन (Change in Size)
जैसे कि – फेफड़े, आते, नाड़ियां, हृदय, मस्तिष्क, आदि उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं |

2. अनुपात में परिवर्तन (Change in Ratio)
जन्म से लेकर परिपक्वता की उम्र तक सिर में दुगनी वृद्धि होती है | मस्तिष्क एवं शरीर के कुछ अंगों में चौगुनी वृद्धि होती है | दिल तथा फेफड़े के वजन में क्रमश: 13 गुना से 90 गुना तक की वृद्धि होती है और इसी प्रकार मानसिक क्रियाओं में भी अनुपातिक परिवर्तन होते रहते हैं |

3. पुराने लक्षणों का लुप्त होना (Disappearance of chronic Symptoms)

शैशवावस्था के दूध के दांत बाद में खत्म हो जाते हैं और तोतली भाषा में शब्दों का उच्चारण करना भी बाद में समाप्त हो जाता है शैशवावस्था मैं शरीर में ग्रीवा ग्रंथि (Thymus Gland) तथा शीर्ष ग्रंथि (Pineal Gland) बहुत अधिक क्रियाशील होती है किंतु बाद में क्रियाशीलता कम हो जाती है |

4. नवीन लक्षणों का प्रकट होना (Emergence of new Symptoms)

उम्र बढ़ने के साथ-साथ जहां पुराने लक्षण लुप्त हो जाते हैं वहीं कुछ नवीन लक्षण प्रकट हो जाते हैं |
जैसे कि – नए दाँत आना, लड़को की आवाज भारी हो जाना, दाढ़ी मूछ निकलना, लड़कियों में शारीरिक उभारो का प्रकट होना और लड़कियों में, लड़कियों वाली बाते होना |


Theories of development:-

  1. Piaget’s theory of cognitive development
  2. Piaget’s theory of moral development
  3. Kohlberg’s theory of moral development
  4. Vygotsky’s sociocultural theory
  5. Erik Erikson’s theory of psychosocial development
  6. Freud’s theory of psychosexual development
  7. Bruner’s cognitive development theory

Click Here: for All CDP Theories

KVS Topic : Maturation and Development

जब हम छोटे थे तब हमको अपने इमोशंस को कंट्रोल करना नहीं आता था हमें अपने गुस्से को कंट्रोल करना नहीं आता था और जैसे जैसे हम बड़े हो रहे हैं हम समझ सकते हैं कि गुस्सा नहीं करना चाहिए | हम अपने गुस्से को काबू करना सीख गए हैं हम समाज में जाते समय अपना रवैया बदल लेते हैं तो हम धीरे-धीरे बड़े हो रहे हैं परिपक्व हो रहे हैं |

Maturation

1 साल का बच्चा चलने फिरने लगा है और हम यह कह सकते हैं कि बच्चा बड़ा हो गया है और इस लायक हो गया है कि वह चल सकता है यानी कि वह परिपक्व हो गया है फिर इससे आगे वह और भी परिपक्व होगा |

1940 में अर्नोल्ड गेसेल द्वारा परिपक्वता की अवधारणा का बीड़ा उठाया गया था और उन्होंने मानव विकास में प्रकृति की भूमिका पर जोर दिया था |

परिभाषाएं:-

(Gates and Jesild) गेट्स और जेसिल्ड के अनुसार परिपक्वता वह वृद्धि है जो पर्यावरण की एक विस्तृत श्रृंखला के भीतर अनियमित रूप से आगे बढ़ती है या जो प्रशिक्षण और अभ्यास जैसे अनुकरण की विशिष्ट स्थितियों के बिना होती है।

यदि हम बिना किसी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस के परिपक्व हो जाते हैं तो वह परिपक्वता कहलाती है हमारे अंदर से परिपक्वता निकलती है हमें किसी भी प्रकार की कोई ट्रेनिंग की या फिर प्रैक्टिस की जरूरत नहीं पड़ती है तब उसको माना जाता है परिपक्वता |

KINGSLEY (किंग्सले) के अनुसार – परिपक्वता वह प्रक्रिया है जिसे हम कभी भी व्यवहार द्वारा भौतिक संरचना की वृद्धि एवं विकास के फलस्वरूप परिवर्तित नहीं करते हैं

जो विकास और वृद्धि से हमारे शारीरिक रूप में परिवर्तन आते हैं हमारा व्यवहार बदलता है उसकी सारी प्रक्रिया है परिपक्वता यह सब कुछ होता है परिपक्वता की वजह से |

Characteristics of Maturation (परिपक्वता की विशेषताएं)

1. Automatic process (स्वचालित प्रक्रिया)

परिपक्व होने के लिए हमें बाहर से कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है है यह समय आने पर अपने आप हो जाता है इसलिए यह स्वचालित प्रक्रिया है |
2. Essential for learning skill (कौशल सीखने के लिए आवश्यक)

हमें कोई भी कौशल सीखना है तो उसके लिए परिपक्व होना होगा यानी कि हमारा विकास इतना हो गया हो कि हम उस कौशल को सीखने के लिए परिपक्व हो गए हो
3. Completion of growth (वृद्धि का समापन)

परिपक्वता तब आती है जब वृद्धि पुरी हो जाति है
4. Modification from within (भीतर से संशोधन)

यह हमारे अंदर से ही बदलाव शुरू होता है हमें बाहर से किसी भी प्रकार की कोई जरूरत नहीं पड़ती है जैसे कि हम अपनी परिपक्वता हासिल कर सकें यह अंदर से ही समय आने पर होता है

5. Sum of Gene Effects (जीन प्रभावों का योग)

परिपाक्वता अनुवांशिकता से भी प्रभावित होती है |

6. Growth and Development (तरक्की और विकास)

परिपक्वता विकास वृद्धि के साथ आ चलती है जब हमने विकास होगा और वृद्धि होगी तब जाकर हमारे अंदर परिपक्वता आएगी

7. Training Before Maturity is unless (परिपक्वता से पहले प्रशिक्षण जब तक है)

यदि कोई व्यक्ति परिपक्व नहीं है और हमने उसे ट्रेनिंग दे दी की परिपक्व कैसे बना जाता है तो उसका कोई फायदा नहीं है वह उस कौशल को नहीं सीख पाएगा बस उसकी जानकारी रख पाएगा क्योंकि परिपक्वता समय पर अपने आप आती है जब परिपक्वता आ जाएगी उसके बाद अगर हम उसे ट्रेनिंग दे तब उसके लिए फायदेमंद है |

8. Condition of Learning (सीखने की स्थिति)

जब हम परिपक्व हो जाएंगे और तब उसके बारे में हम कुछ सीखेंगे तभी इसका फायदा है तो इसके लिए एक कंडीशन है की आपको पहले परिपक्व होना होगा परिपक्वता के कौशल सीखने के लिए |

Development

विकास में वृद्धि भी मायने रखती है यदि इंसान है तो उसका विकास तो होगा ही होगा और विकास में शारीरिक संज्ञानात्मक और भावनात्मक विकास होते है |

विकास वृद्धि से ज्यादा जटिल है क्योंकि हम इसको नाप नहीं सकते हैं जबकि वृद्धि को हम देख सकते हैं नाप सकते हैं और यह एक चलती रहने वाली एक प्रक्रिया है | सभी का विकास अपने अपने समय पर होता है जैसे किसी बालक का विकास देर से होगा किसी बालक का विकास जल्दी हो जाएगा |

परिभाषाएं:-

हरलॉक के अनुसार – विकास को परिपक्वता के लक्ष्य की दिशा में व्यवस्थित सुसंगत पैटर्न में परिवर्तनों की एक प्रगतिशील श्रृंखला के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

स्टीवेन्सन के अनुसार – विकास जीवन काल में व्यवहार में परिवर्तन के अध्ययन से संबंधित है |

Characteristics of Maturation (परिपक्वता की विशेषताएं)

1. Not uniform in all individuals (सभी व्यक्तियों में एक समान नहीं)

विकास सभी में समान नहीं होता है कुछ बालक होंगे जो अपने भावों को व्यक्त कर पाएंगे और कुछ होंगे जो अपने भावों को अच्छे से व्यक्त नहीं कर पाएंगे

2. Depend on both heredity and environment (वंशानुक्रम और पर्यावरण दोनों पर निर्भर करता है)

विकास अनुवांशिकता और प्रकृति पर निर्भर करता है क्योंकि परिजनों से ही हमें जींस मिलते हैं और उसी पर विकास निर्भर करता है और प्रकृति से भी बालक पर बहुत प्रभाव पड़ता है |

3. Predictable (उम्मीद के मुताबिक)

विकास को हम देखकर बता सकते हैं कि इस बालक का विकास कैसे हो रहा है और किस प्रकार हो रहा है और कहां तक जाएगा जबकि हेरिडिटी में तो हमें पक्का पता होता है कि इसके माता-पिता ऐसे हैं तो यह बालक ऐसा हो सकता है विकास में हम अंदाजा लगा सकते हैं लेकिन अनुवांशिकता से हम अंदाजे से ऊपर जा सकते हैं |

4. Gradual and takes time (धीरे-धीरे और समय लगता है)

जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तब से लेकर उसके मरने तक | यानी कि उसके कब्र में जाने तक विकास होता रहता है यानी के विकास होने में समय लगता है और विकास होता ही रहता है |

5. development is the result of maturation and learning (विकास परिपक्वता और सीखने का परिणाम है)

विकास एक परिणाम है जो दर्शाता है कि बालक परिपक्व हो रहा है और सीख रहा है |

Factors Promoting Development (विकास को बढ़ावा देने वाले कारक)

  1. Love (प्रेम) – आप बच्चे से जितना प्रेम से बात करेंगे जितना प्रेम से रखेंगे उतना ही उसका विकास अच्छा होगा और उसकी यादों में यह रहेगा कि माता-पिता कितने अच्छे हैं
  2. Security (सुरक्षा) – समय आने पर अब बच्चे की मदद करते हैं और उसका एहसास दिलाते हैं कि बच्चा मां बाप के पास सुरक्षित है और वह सुरक्षित महसूस करता है तब उसका विकास बहुत अच्छा होता है |
  3. Independence (आजादी) – कुछ माता-पिता बच्चों को छोड़ते ही नहीं है अपने पास रखते हैं और हर समय उन पर नजर टिकाए रहते हैं तो ऐसा नहीं करना चाहिए उसको थोड़ी सी छूट देनी चाहिए जिससे वह अपने मन मुताबिक काम कर सके और उसका विकास हो सके उसको पता है कि माता पिता कौन है लोड करो है वहीं आता है |
  4. Good nutrition (अच्छा पोषण) – बच्चे को खाने में अच्छा खाना दें ताकि उसकी सेहत अच्छी हो और उसे कोई बीमारी ना लगे यदि उसे कोई बीमारी लग गई और यदि आपने उसको टीका नहीं लगाया तब आगे जाकर परेशानी हो सकती है |
  5. Emotional support (भावनात्मक सहारा) – बालक के प्रति आपके मन में दया भाव होनी चाहिए आप उनके इमोशंस को समझ सको ऐसी भावना आपके अंदर भी होनी चाहिए और समय पड़ने पर उनकी सहायता करनी चाहिए |
  6. Play (खेलें) – जब बालक खेलता है तब उसकी बुद्धि का विकास बहुत तेजी से होता है उसके मन में बहुत सारे सवाल आते हैं वह उन्हें पूछता भी है और अपने नए-नए मित्र भी बनाता है |
  7. Acceptance as an Individual (एक व्यक्ति के रूप में स्वीकृति) – माता-पिता को बच्चे के प्रति लगाव होना चाहिए ना कि हमसे नफरत होनी चाहिए यदि बालक जल्दी बोलना नहीं सीखता है तब उसका इंतजार करना चाहिए ना कि उसे डांटना चाहिए यदि बच्चा कुछ ना खाए तो उसे जबरदस्ती नहीं खिलाना चाहिए बल्कि यह है पूछना चाहिए कि कोई परेशानी तो नहीं है तो आपको असलियत को स्वीकार करना होगा |
  8. Self respect (आत्म सम्मान) – बच्चे की भी खुद की इज्जत होनी चाहिए यह नहीं कि जब भी कोई आए तब उससे कह दिया जाए की जाकर पैर छू ले उसके | सबसे नमस्ते कर | यह सब जबरदस्ती नहीं करना चाहिए आप अच्छे संस्कार सिखाने के नाम पर उसका खेल बना रहे हो |

End of this Topic (इस विषय का अंत)

आशा है कि आपको यह आर्टिकल / नोट्स पसंद आया होगा यदि आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और यदि किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि इस आर्टिकल में पाई गई है तो कृपया कर हमें बताएं हम उसको जल्द ही सही कर देंगे | नोट्स तैयार करने में समय लगता है लेकिन हम आपको यकीन दिलाते हैं सारे नोट्स फ्री होंगे और Topic Wise एक-एक करके आएंगे |

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7 thoughts on “Concept Of Growth And Development Pdf In Hindi”

  1. सर आप के नोट्स बहुत गुणवत्तापूर्ण है।
    सभी यूनिट पूरी करना।
    धन्यवाद
    God bless you

  2. Sr how to download notes thr is no option ,I’m not able to download plz help if U have any telegram chanal then plz give the link of it

    1. open any notes and go to the end of it , and then click on download button , then it wiil ask you to download these notes as a pdf , then click save , thats all ,, its a 3 steps process only , and notes download within a second.

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