Tesla Lithium-ion battery कैसे काम करती है ?

Tesla Lithium-ion battery कैसे काम करती है

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है टेस्ला की बैटरी के बारे में , Tesla Lithium-ion battery कैसे काम करती है ? हम आपके लगभग सभी प्रश्नो के उत्तर देने का प्रयास करेंगे और साथ ही हम आपको इससे जुडी बहुत सी रोचक बाते आपके साथ साझा करेंगे | तो चलिए जानते है टेस्ला की लेथियम आयन बैटरी के बारे में |

एक इक्विटेबल पावर सप्लाई विशेष रूप से लिथियम आयन बैटरी आज की आधुनिक तकनीक की दुनिया की जीवन रेखा बन चुकी है एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां सभी कार्य इंडक्शन मोटरों से चलती हो ना कि आंतरिक दहन इंजन उसे इंडक्शन मोटर इंजीनियरिंग के हर पहलू से आंतरिक दहन इंजन ओं से अधिक उच्च क्षमता वाली होती है | इसके साथ ही इंडक्शन मोटर मजबूत और अधिक सस्ती भी होती है आंतरिक दहन इंजन ओं का एक और नुकसान यह है कि यह इंजन आरपीएम के एक नैरो बैंड में प्रयोग करने योग्य टॉर्क पैदा करती है | इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए इंडक्शन मोटर निश्चित रूप से ऑटोमोबाइल के लिए परफेक्ट चुनाव होते हैं लेकिन इंडक्शन मोटर के लिए विद्युत आपूर्ति ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में इंडक्शन मोटर की बड़ी क्रांति लाने में बाधा साबित हो रही है यह पता लगाते हैं कि-

Q: लिथियम आयन सेल्स की मदद से टेस्ला में इस समस्या का समाधान कैसे किया गया ?

Q: लिथियम आयन सेल्स भविष्य में और भी बेहतर कैसे बन सकती है ?

आइये टेस्ला सेल को बैटरी पैक से बाहर निकालते हैं और खोलकर देखते हैं |आप इसके अंदर रासायनिक यौगिकों की अलग-अलग परतें देख सकते हैं टेस्ला की लिथियम आयन बैटरी धातुओं से जुड़ी एक रोचक परिकल्पना के आधार पर काम करती है | जिसे इलेक्ट्रो केमिकल पोटेंशियल कहां जाता है इलेक्ट्रो केमिकल पोटेंशियल धातुओं की इलेक्ट्रॉनिक खोने की प्रवृत्ति होती है |

वस्तुत: अलेस्साँद्रो द्वारा 200 से भी अधिक सालों पहले बनाई गई सबसे पहली सेल | इलेक्ट्रो केमिकल पोटेंशियल की परिकल्पना पर आधारित थी यहां पर एक सामान्य इलेक्ट्रोकेमिकल संघा दिखाई गई है इन मानव के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक घटने की सबसे उच्च प्रवृत्ति लिथियम में होती है और इलेक्ट्रॉनिक घटने की सबसे निम्न प्रवृत्ति फ्लोरिंग में होती है उल्टा ने दो अलग-अलग इलेक्ट्रो केमिकल पोटेंशियल वाली धातु हेली यहां पर जिंक और सिल्वर लिए गए हैं और विद्युत धारा का एक बाहयक भाव बनाया

सोनी की  लिथियम आयन बैटरी

सोनी ने वर्ष 1991 लिथियम आयन बैटरी का पहला व्यवसायिक मॉडल बनाया वह भी इलेक्ट्रो केमिकल पोटेंशियल की परिकल्पना पर आधारित था लिथियम आयन सेल में लिथियम का प्रयोग किया गया जिसमें इलेक्शन खोने की उच्चतम प्रवृत्ति होती है लिथियम धातु की पहली परत में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है | और वह इस इलेक्ट्रॉन को भी हटाने का लगातार प्रयास करती है इसी कारण से शुद्ध लिथियम अत्यधिक प्रतिक्रियाशील धातु होती है यहां तक कि यह पानी और हवा के साथ भी प्रतिक्रिया करती है शुद्ध रूप में लिथियम के एक प्रतिक्रियाशील धातु होने के कारण लिथियम आयन बैटरी के संचालन की ट्रिक काम करती है लेकिन जब लिथियम किसी धातु के ऑक्साइड का भाग होती है यह काफी स्थिर होती है मान लीजिए किसी तरह लिथियम के परमाणु को उसके धातु ऑक्साइड से अलग कर देते हैं तो यह लिथियम बहुत अस्थिर होगा और तुरंत ही एक लिथियम एक आयन इलेक्ट्रॉन का रूप ले लेगा|

Tesla-Lithium-ion-battery-कैसे-काम-करती-है
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लेकिन धातु के ऑक्साइड के रूप में लिथियम कहीं अधिक स्थिर होता है अगर आप इलेक्ट्रॉन और लिथियम आयन को लिथियम और धातु के ऑक्साइड के बीच प्रवाहित होने के लिए दो अलग अलग मार्ग दे सके तो लिथियम का परमाणु अपने आप ही धातु ऑक्साइड के हिस्से में पहुंच जाएगा इस प्रक्रिया के दौरान हमने एक मार्ग के जरिए इलेक्ट्रॉन के प्रवाह से विद्युत का उत्पादन कर लिया है इन सभी बातों से यह स्पष्ट होता है कि हम लिथियम के धातु ऑक्साइड से विद्युत उत्पादन कर सकते हैं और लिथियम के परमाणु से अलग हुए इलेक्ट्रॉन को बाहरी सर्किट की ओर ले जा सकते हैं

लिथियम आयन सेल इन 2 लक्ष्यों को कैसे पूरा करती है ?

एक व्यवहारिक लिथियम आयन सेल में एक इलेक्ट्रोलाइट और ग्रेफाइट का प्रयोग भी होता है ग्रेफाइट की संरचना कहीं परते वाली होती है यह परते आपस में बहुत हल्के से जुड़ी होती है | ताकि अलग हुए लिथियम आयन स्कोर वहां आसानी से समझा जा सके ग्रेफाइट और धातु ऑक्साइड के बीच इलेक्ट्रोलाइट एक गार्ड की तरह काम करता है जो केवल नित्य माइंस को ही गुजरने देता है

जब आप इस व्यवस्था में एक विद्युत स्रोत जोड़ते हैं तो क्या होता है ?

विद्युत श्रोत का सकारात्मक सिरा साफ तौर पर इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करेगा | और उन्हें धातु ऑक्साइड के लिए थे परमाणु से अलग कर देगा यह इलेक्ट्रॉन से बाहर ही सर्किट से प्रवाहित होते हैं | क्योंकि वह इलेक्ट्रोलाइट से गुजरकर ग्रेफाइट की परत तक नहीं पहुंच सकते इसी समय सकारात्मक चार्ज वाले लिथियम आयन नकारात्मक टर्मिनल की ओर आकर्षित होंगे और इलेक्ट्रोलाइट से होकर प्रवाहित होंगे लिथियम आयन सभी ग्रेफाइट परत पर पहुंचेंगे और वही कैद हो जाएंगे एक बार जब सभी लिथियम आयन ग्रेफाइट की चादर तक पहुंच जाते हैं तो सेल पूरी तरह चार्ज हो जाती है इस प्रकार हमने पहले उद्देश्य को पूरा कर लिया यानी लिथियम आयन और इलेक्ट्रॉन्स को धातु ऑक्साइड से अलग कर लिया|

Tesla-Lithium-ion-battery-कैसे-काम-करती-है
Tesla-Lithium-ion-battery-कैसे-काम-करती-है

जैसा कि हमने बताया यह एक अस्थिर अवस्था है जैसे की तलवार की नोक पर खड़े होना जैसे ही विद्युत स्रोत हटाया जाता है और एक लोड जोड़ा जाता है लिथियम आयन वापस धातु ऑक्साइड के भाग के रूप में अपनी स्थिर अवस्था में वापस जाना चाहते हैं इनकी इसी प्रवृत्ति के कारण लिथियम आयन इलेक्ट्रोलाइट से होकर और इलेक्ट्रॉनिक लोड से होकर गुजरते हैं जैसे किसी पहाड़ी से फिसल रहे हो इस तरह हमें लोड के जरिए विद्युत धारा प्राप्त होती है कृपया यहां गौर करें कि लिथियम आयन सेल्स की प्रतिक्रिया में ग्रेफाइट की कोई भूमिका नहीं होती है ग्रेफाइट केवल लिथियम आयन के लिए संग्रहण माध्यम का काम करता है

यदि किसी असामान्य स्थिति के कारण सेल का आंतरिक तापमान बढ़ता है तो तरल इलेक्ट्रोलाइट सूख जाएगा और एनोड तथा कैथोड के बीच शार्ट सर्किट हो जाएगा और ऐसी स्थिति में आग लग सकती है याद धमाका भी हो सकता है ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए इलेक्ट्रोड्स के बीच एक विद्युत विरोधी पट्टी लगाई जाती है जिसे सेपरेटर कहते हैं इससे सेपरेटर से बहुत छोटे लेथियम आयन प्रवेश कर सकते हैं क्योंकि इसमें अति सुख में छिद्र होते हैं एक व्यवहारिक सेल में कॉपर और एलुमिनियम फाइल के ऊपर ग्रेफाइट और मेटल ऑक्साइड का कवर होता है यहां फॉयल करंट कलेक्टर की तरह काम करता है और करंट कलेक्टर से पॉजिटिव और नेगेटिव टाइप को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है लिथियम का ऑर्गेनिक सॉल्ट इलेक्ट्रोलाइट की तरह काम करता है और सेपरेटर सीट के ऊपर इसका कवर किया जाता है यह तीनों सीटें एक सेंट्रल स्टील को के चारों ओर एक सिलेंडर पर बंधी होती है जिससे सेल और भी ज्यादा कंपैक्ट बनती है

टेस्ला बैटरी पैक

Tesla-Lithium-ion-battery-कैसे-काम-करती-है
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एक स्टैण्डर्ड टेस्ला सेल का वोल्टेज 3 से 4.2 वोल्ट के बीच होता है एक मॉडल बनाने के लिए ऐसी कई टेस्ला सेल समानांतर रूप से एक श्रृंखला में जुड़ी होती हैं टेस्ला कार का बैटरी पैक बनाने के लिए ऐसे 16 मॉड्यूल एक श्रेणी में जुड़े होते हैं संचालन के समय लिथियम आयन सेल बहुत गर्मी पैदा करती है और उच्च तापमान सेल की परफॉर्मेंस खराब कर देगा इतनी बड़ी मात्रा में सेल्स में तापमान चार्ज की स्थिति वोल्टेज प्रोटक्शन और सेल हेल्प की निगरानी के लिए एक डाइटरी मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग किया जाता है टेस्ला बैटरी पैक में एक ग्लाइकोल आधारित कॉलिंग पत्नी का उपयोग किया जाता है

बैटरी का तापमान अनुकूल बनाए रखने के लिए बीएमएस द्वारा ग्लाइकोल का बहाव नियंत्रित किया जाता है | बीएमएस का दूसरा महत्वपूर्ण काम वोल्टेज प्रोटक्शन है उदाहरण के लिए चार्जिंग के दौरान इन तीनों सेल्स में अधिक केपेसिटी वाली सेल बाकियों से ज्यादा चार्ज होगी इस समस्या के समाधान के लिए बीएमएस सेल बैलेंस इनका उपयोग करता है सेल बैलेंस में सभी सेल समान रूप से चार्ज और डिस्चार्ज होती है इस प्रकार उनकी अधिक या कम वोल्टेज से सुरक्षा होती है इसी जगह पर टेस्ला निसान की बैटरी तकनीक को मार देता है उनके सेल के बड़े आकार और सक्रिय कूलिंग प्रणाली ना होने के कारण निसान लीफ में बैटरी कूलिंग एक बड़ी समस्या है छोटी और कई सारे सेल के डिजाइन का एक और लाभ है

हाई पावर की मांग की स्थिति में डिस्चार्ज स्ट्रेन सभी साइज में बराबरी से बढ़ जाता है यदि हमने एक अकेली बड़ी से इस्तेमाल की होती तो उस पर बहुत ज्यादा स्ट्रेन पड़ता और वह समय से पहले ही खत्म हो जाती बहुत सारी छोटी सिलैंडरिकल सेल का उपयोग करके जो भी निर्माण तकनीक पहले से स्थापित है टेस्ला ने एक सफल निर्णय लिया है लिथियम आयन सेल्स की पहली चार्जिंग के दौरान एक जादू ही घटना होती है जो लिथियम आयन सेल्स को अचानक खत्म होने से बचाती है

लिथियम आयन सेल्स की पहली चार्जिंग के दौरान एक जादू

Tesla-Lithium-ion-battery-कैसे-काम-करती-है
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ग्रेफाइट परत के इलेक्ट्रॉन मुख्य समस्या होते हैं इलेक्ट्रॉन के संपर्क में आने से इलेक्ट्रोलाइट क्षीण हो जाता है | हलाकि इलेक्ट्रॉन कभी इलेक्ट्रोलाइट के संपर्क में नहीं आता | इसका कारण एक आकस्मिक खोज है जिसे सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट इंटरफ़ेस कहा जाता है जैसा के ऊपर बताया गया है जब हम पहली बार से रिचार्ज करते हैं तो लिथियम आयन इलेक्ट्रोलाइट के बीच में से होकर गुजरते हैं इस दौरान विलायक के अणु लिथियम आयन को ढक लेते हैं

जब यह ग्रेफाइट तक पहुंचते हैं तो विलायक के अणुओं से ढका लिथियम आयन ग्रेफाइट से प्रतिक्रिया करके एक परत बनाता है जिसे एसईआई लेयर कहते हैं यह एसईआई लेयर एक छुपा हुआ वरदान है | इस इलेक्ट्रॉन और इलेक्ट्रोलाइट के सीधे संपर्क को रोकता है और इलेक्ट्रोलाइट को क्षीण होने से बचाता है इस एसईआई के तैयार होने की इस पूरी प्रक्रिया में 5% लिथियम का उपयोग हो जाता है बाकी बचा 95% लिथियम बैटरी के मुख्य कार्य में योगदान देता है एसईआई लेयर की खोज हालांकि सहयोग से हुई थी लेकिन दो दशकों के शोध और विकास के बाद सेल के अधिकतम प्रदर्शन के लिए वैज्ञानिकों ने एसईआई लेयर की मोटाई और रासायनिक संतुलन को अनुकूलित कर लिया है |

Tesla-Lithium-ion-battery-कैसे-काम-करती-है
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यह आश्चर्य की बात है कि आज से दो दशक पहले हम जो इलेक्ट्रॉनिक गैजेट इस्तेमाल करते थे उनमें लिथियम आयन बैटरी का उपयोग नहीं किया जाता था विकास की अपनी अद्भुत गति के साथ आने वाले कुछ सालों में इसके 90 बिलियन डॉलर वार्षिक का उद्योग बन जाने की उम्मीद है लिथियम आयन बैटरी के चार्ज डिस्चार्ज साइकिल की वर्तमान प्राप्त संख्या 3000 है दुनिया भर के महान वैज्ञानिक साइकिल को बढ़ाकर 10000 तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं इसका मतलब यह है कि आपको अपनी कार की बैटरी को बदलने के बारे में 25 वर्ष तक नहीं सोचना पड़ेगा स्टोरेज मीडियम को ग्रेफाइट से सिलिकॉन में बदलने के लिए शोध में पहले ही कई मिलियन डॉलर लगाए जा चुके हैं यदि यह सफल रहता है तो लिथियम आयन सेल की एनर्जी डेंसिटी 5 गुना तक बढ़ जाएगी|

FAQ

Q : टेस्ला कार का सेल 

Ans : टेस्ला कार का सेल बहुत एडवांस है , ऊपर दिए गए आर्टिकल को पढ़े |

Q: टेस्ला कार और निसान लीफ कार के बैटरी पैक में क्या अंतर है | 

Ans : यहाँ टेस्ला ने बाज़ी मारली है | निसान कार की बैटरी अभी और विकसित होनी है | अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिए गए आर्टिकल को पढ़े | 

Q: टेस्ला की सबसे सस्ती कार

Ans : टेस्ला मॉडल 3 एक छोटी, सिम्पल और अफोर्डबल इलेक्ट्रिक कार है। ये टेस्ला की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार है और इसकी कीमत लगभग  22 लाख 45 हजार रुपये है।

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