Kothari Commission Notes In Hindi
(कोठारी आयोग)
आज हम आपको कोठारी कमीशन के सम्पूर्ण नोट देने जा रहे हैं | (Kothari Commission Notes In Hindi) | जिन्हें पढ़कर आप अपना कोई भी टीचिंग एग्जाम पास कर सकते हैं |
National Education Commission (Kothari Commission) 1964-1966
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (कोठारी कमीशन) 1964-1966
14 जुलाई 1964 में भारत सरकार ने डॉ. D.S कोठारी की अध्यक्षता में एक शिक्षा आयोग की स्थापना की। जिसे कोठारी आयोग के नाम से भी जाना जाता है। इस आयोग की शुरूआत 2 अक्टूबर 1964 को कि गई थी। उस समय उद्घाटन के समय भारत के राष्ट्रपति डा० राधा कृष्ण ने अपने भाषण में कहा था,
” यह मेरी हार्दिक इच्छा है कि यह आयोग जिसमें विश्व के प्रगतिशील क्षेत्रों के प्रतिनिधि भी सम्मिलित है। शिक्षा के सभी पहलुओं का पहलुओं का सर्वेक्षण करेगा और ऐसे सुझाव देगा जो हमारे शिक्षा प्रणाली के सभी स्तरों को लाभ पहुंचाएगा। ”
इस आयोग के सदस्यों की संख्या 17 थी | 2 वर्ष पश्चात 29 जून 1966 को अपनी रिर्पोट केन्द्रीय शिक्षा मंत्री m.c धगला को सौंपी। शिक्षा के क्षेत्र में इसे स्वतंत्रता के बाद विशेष उपलब्धि मानी जाती है | यह आयोग पहला ऐसा आयोग था जिसने विस्तार से भारतीय शिक्षा पद्धति का अध्ययन किया था | इसके परिणाम स्वरूप ही 1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति अस्तित्व में आई थी |
Objectives of Education Commission
(शिक्षा आयोग के उद्देश्य)
शिक्षा आयोग के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:-
- शिक्षा को उत्पादकता से जोड़ना |
- राष्ट्रीय हिंदी भाषा का विकास हो |
- सामाजिक नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों का विकास |
- शिक्षा द्वारा राष्ट्र का आधुनिकरण करना |
- तत्कालीन शिक्षा प्रणाली का गहराई से अध्ययन करना उसकी तत्कालीन कमियों व व्याप्त असंतोष के कारणों का पता लगाना और सुधार के लिए सुझाव देना |
- पूरे देश में समान शिक्षा प्रणाली प्रस्तावित करना |
Main recommendations of the National Education Commission
(राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के मुख्य सिफारिशें)
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के मुख्य सिफारिशें निम्नलिखित हैं:-
- आयोग के मुख्य सिफारिशों में से देश भर में 10+2+3 पैटर्न पर शैक्षिक प्रणाली को मान्यता दें
- इस आयोग ने सलाह दी थी कि पूर्व प्राथमिक शिक्षा जिसमें मोंटेसरी, किंडरगार्टन जैसे अलग-अलग नाम है, उन्हें पूर्व माध्यमिक या प्राथमिक शिक्षा के रूप में नाम दिया जाना चाहिए |
- इस आयोग ने दसवीं तक की शिक्षा को उच्च प्राथमिक किया हाई स्कूल के रूप में वर्गीकृत किया |
- 11वीं और 12वीं की कक्षा को Higher Secondary के रूप में वर्गीकृत किया |
- स्नातक अध्ययन को 3 साल का करने का सुझाव दिया |
- स्कूलों के लिए 234 दिन और कॉलेजों के लिए 216 दिन निर्धारित किए जाएं |
- राष्ट्रीय अवकाश करने का सुझाव भी दिया
- राज्य और राष्ट्रीय बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करें | राज्य स्तर पर मूल्यांकन मशीनरी लगाई जाए |
- आयोग ने महिलाओं की शिक्षा पर बहुत जोर दिया |
- पाठ्यक्रम के दो सेट निर्धारित किए जाएं, एक राज्य स्तर पर और दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर और स्कूलों को पाठ्यक्रम के साथ प्रयोग करने का भी सुझाव दिया |
Recommendations of the commission
(आयोग के सुझाव)
(i) विद्यालयी शिक्षा के प्रशासन व निरीक्षण संबंधी सुझाव :-
- केन्द्र में राष्ट्रीय विद्यालय, शिक्षा बोर्ड’ और ‘भारतीय
- शिक्षा सेवा का गठन किया जाए।
- कक्षा 1 से 8 कक्षा तक प्राथमिक शिक्षा के दो स्तर बना दिए जाए। पहले भाग में कक्षा 1-5 तक और दूसरा 6-8 तक होना चाहिए।
- राज्य सरकारों द्वारा राज्य शिक्षा सेवा तथा राज्य विद्यालय परिषद का गठन किया जाना चाहिए।
(ii) पाठ्यक्रम सम्बन्धी सुझाव:-
- आयोग ने प्राथमिक विद्यालयों के सभी स्तरों की पाठ्यचर्या के निर्माण के लिए सिद्धान्त निश्चित किया। उसके बाद उन सिद्धान्तों के आधार पर पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा की पाठ्यचर्या की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके साथ में ही आयोग ने “त्रिभाषा सूत्त” की प्रस्तुत किया।
- प्राथमिक शिक्षा की पाठ्यचर्या सरल होनी चाहिए और इसमें मात्रभाषा और पर्यावरण के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाना चाहिए ।
Curriculum Framework at Different Levels
(विभिन्न स्तरों पर पाठ्यचर्या रूपरेखा)
- पूर्व प्राथमिक स्तर : खाने व पहनने के कौशल, सफाई बातचीत, सामाजिक व्यवहार, खेलकूद
- प्राथमिक स्तर : मात्रभाषा, व्यवहारिक गणित, भौतिक पर्यावरण का अध्ययन, सृजनात्मक क्रियाएं, स्वास्थ्य शिक्षा, खेलकूद व व्यायाम ।
- उच्च प्राथमिक स्तर (5 – 8 ): (i) मातभाषा (ii) हिन्दी अथवा अंग्रेजी (iii) गणित (iV) विज्ञान (V) सामाजिक अध्यय (vi) कला (vii ) समाज सेवा (viii) स्वास्थ्य शिक्षा (ix) धार्मिक शिक्षा
- माध्यमिक स्तर (9-10) : (i) मातभाषा (ii) हिन्दी या अन्य संघीय भाषा (iii) कोई यूरोपीय भाषा (iv) गणित (v) सामान्य विज्ञान (vi) सामाजिक विज्ञान (vi) कला (viii) कार्यानुभव (कृषि कार्य ) (ix) समाज सेवा (x) स्वास्थ्य, शिक्षा (xi) नैतिक मूल्यों की शिक्षा |
- उच्च माध्यमिक स्तर (11-12): (1) आधुनिक भारतीय संघीय भाषा, आधुनिक विदेशी भाषा तया शास्तीय भाषा में से कोई दो भाषाएं (2) तीसरी भाषा, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त, तर्कशास्तु मनोविज्ञान समाजशास्त, कला, भौतिक शास्त्र। रसायन शास्त्र गणित, जीवविज्ञान, भूगर्भशास्त (इनमें से कोई भी तीन)
Modified form of three language formula
(त्रिभाषा सूत्र का संशोधित रूप)
(i) मात्रभाषा ( क्षेत्रीय था प्रादेशिक भाषा)
(ii) संघ की गज भाषा (हिन्दी या अंग्रेजी)
(ii) कोई आधुनिक भारतीय भाषा या कोई आधुनिक यूरोपीय भाषा। जो प्रथम में ना दी गई हो
(iii) विद्यालयी शिक्षा की शिक्षण विधियों संबंधी सुझाव )
- शिक्षण पद्धति में हो रहे निरन्तर परिवर्तनों के अनुसार शिक्षण विधियां भी लचीली, गतिशील, क्रिया प्रधान व रोचन होनी चाहिए।
- शिक्षा को आधुनिक व प्रगतिशील बनाने हेतु शिक्षकों को नए शिक्षण विधियों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहन देना।
- शिक्षकों को शिक्षण सम्बन्धी सहायक सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही उचित निर्देशन भी मिलना चाहिए। और सहायक साम्रग्री का प्रशिक्षण भी शामिल होना चाहिए
(iv) पाठ्य पुस्तकों से संबधित सुझाव
- आयोग ने पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक योजना बनाये जाने व राष्ट्रीय शैक्षिक
- अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के सिद्धान्तों, के सिद्धान्तों को अपनाए जाने का सुझाव दिया
(v) व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा से संबंधित सुझावन
माध्यमिक शिक्षा का व्यावसायिकरण किया जाए और 20 वर्ष के अन्दर माध्यमिक स्तर पर 25% व उच्च माध्यमिक स्तर पर 30% छात्रों को व्यावसायिक वर्ग में लाया जाए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेजों में कृषि व कृषि से सम्बन्धित उद्योगों की शिक्षा दि जाए। इन कॉलेजों में महिलाओं की रुचि के उद्योगों की शिक्षा की व्यवस्था भी की जाए।
- जूनियर टेकिन्कल स्कूलों को टेकिन्कल हाईस्कूलों में बदल दिया जाए।
Higher Engineering Education Tips
(उच्च इंजीनियरिंग शिक्षा संबंधी सुझाव)
- घटिया किस्म के इंजीनियर कोलेजों को बन्द कर दिया जाए व नए इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना मानव शक्ति की मांग के आधार पर की जाएग |
- ये सभी कालेज तकनीकी शिक्षा संस्थान (Technical education Institute) द्वारा मान्यता प्राप्त हो ।
The impact of the suggestions of the National Education Commission on the system
(राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के सुझावों का व्यवस्था पर प्रभाव)
- राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (1964-66) की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा निति मानिर्माण किया गया। और उसे 24 जुलाई 1968 में घोषित कर दिया गया जिससे उन सिफारिशों पर अमल किया जाने लगा। पूरे देश में 10+2+3 शिक्षा संरचना लागू करने के प्रयत्न शुरू हो गए और NCERT ने प्रथम 10 वर्षीय शिक्षा के लिए आधारभूत पाठ्यचया तैयार की जिसमें त्रिभाषासूत्त के आधार पर तीन भाषाओं का अध्ययन, देश के आधुनिकिरण के लिए विज्ञान, गणित का अध्ययन और माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत करने के लिए कार्यानुभव को अनिवार्य किया कुछ प्रान्तों में +12 पर अनेक प्रकार के व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए।
12 Task Forces
(12 कार्यदल)
भारतीय शिक्षा कोठारी आयोग:
- (School Education) स्कूली शिक्षा: कोठारी आयोग ने स्कूली शिक्षा प्रणाली के विस्तार और राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की सिफारिश की। इसने स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और एक सामान्य पाठ्यक्रम के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उदाहरण: आयोग ने सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में सुधार की सिफारिश की।
- (Higher Education) उच्च शिक्षा: आयोग ने देश की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों के पुनर्गठन और नए कार्यक्रमों की शुरुआत की सिफारिश की। इसने अनुसंधान के महत्व और सभी को उच्च शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उदाहरण: आयोग ने देश के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए विश्वविद्यालयों की स्थापना और अंतःविषय कार्यक्रमों के निर्माण की सिफारिश की।
- (Technical Education) तकनीकी शिक्षा: आयोग ने देश के औद्योगिक और आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। इसने तकनीकी शिक्षा संस्थानों के विस्तार और कार्यबल की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नए कार्यक्रमों की शुरुआत की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने औद्योगिक क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थापना और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरूआत की सिफारिश की।
- (Agricultural Education) कृषि शिक्षा: आयोग ने देश के कृषि क्षेत्र का समर्थन करने के लिए कृषि शिक्षा के विस्तार की सिफारिश की। इसने किसानों की बदलती जरूरतों को पूरा करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए नए कार्यक्रमों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उदाहरण: आयोग ने नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना और किसानों को प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करने के लिए कार्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।
- (Adult Education) प्रौढ़ शिक्षा: आयोग ने प्रौढ़ शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के विस्तार की सिफारिश की। इसने उन वयस्कों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए कार्यक्रमों के निर्माण की सिफारिश की जो औपचारिक शिक्षा से चूक गए थे। उदाहरण: आयोग ने देश में साक्षरता के समग्र स्तर में सुधार के लिए नए प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों की स्थापना और साक्षरता कार्यक्रमों की शुरूआत की सिफारिश की।
- (Science Education & Research) विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान: आयोग ने विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया और विज्ञान शिक्षा कार्यक्रमों के विस्तार की सिफारिश की। इसने देश की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नए विज्ञान संस्थानों की स्थापना और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने नए विज्ञान महाविद्यालयों की स्थापना और वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।
- (Teacher Training & Teacher Status) शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षक की स्थिति: आयोग ने शिक्षक प्रशिक्षण के महत्व और शिक्षकों की स्थिति में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। इसने शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विस्तार और शिक्षक कार्य स्थितियों में सुधार की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने शिक्षकों को चल रहे प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए नए शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों की स्थापना और कार्यक्रमों की शुरूआत की सिफारिश की।
- (Student Welfare) छात्र कल्याण: आयोग ने छात्र कल्याण के महत्व पर जोर दिया और छात्र कल्याण कार्यक्रमों के विस्तार की सिफारिश की। इसने छात्रों के शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय कल्याण का समर्थन करने के लिए नए कार्यक्रमों के निर्माण की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए नए छात्र कल्याण केंद्रों की स्थापना और कार्यक्रमों की शुरूआत की सिफारिश की।
- (New Techniques and Methods) नई तकनीकें और विधियाँ: आयोग ने शिक्षण और सीखने की नई तकनीकों और विधियों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। इसने नई तकनीकों की शुरूआत और नवीन शिक्षण विधियों को बढ़ावा देने की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने नई शिक्षण तकनीकों के विकास को बढ़ावा देने के लिए नए शोध केंद्रों की स्थापना और कार्यक्रमों की शुरूआत की सिफारिश की।
- (Manpower) जनशक्ति: आयोग ने जनशक्ति नियोजन के महत्व पर जोर दिया और जनशक्ति विकास कार्यक्रमों के विस्तार की सिफारिश की। इसने कार्यबल की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नए कार्यक्रमों के निर्माण की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने नए जनशक्ति प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना और नए और उभरते उद्योगों में श्रमिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कार्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।
- (Educational Administration) शैक्षिक प्रशासन: आयोग ने कुशल शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता पर जोर दिया और शैक्षिक प्रशासन कार्यक्रमों के विस्तार की सिफारिश की। इसने शैक्षिक संस्थानों के प्रबंधन में सुधार और शैक्षिक प्रशासन के नए तरीकों के विकास की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंधन में सुधार के लिए शैक्षिक प्रशासकों के लिए नए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की स्थापना और नई तकनीकों की शुरुआत की सिफारिश की।
- (Educational Finance) शैक्षिक वित्त: आयोग ने शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता के महत्व पर जोर दिया और शैक्षिक वित्त कार्यक्रमों के विस्तार की सिफारिश की। इसने शिक्षा के वित्तपोषण के नए तरीकों के निर्माण और शिक्षा के लिए धन के नए स्रोतों के विकास की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने शिक्षा का समर्थन करने के लिए नई कर नीतियों की शुरूआत और शिक्षा के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए नए वित्तीय संस्थानों की स्थापना की सिफारिश की।
7 Working Groups
(7 कार्य समूह)
- (Women’s Education) महिला शिक्षा: आयोग ने महिलाओं को शिक्षित करने के महत्व को पहचाना और महिलाओं के लिए शैक्षिक अवसरों के विस्तार की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने लड़कियों के लिए नए स्कूलों की स्थापना और अधिक लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।
- (Education of Backward Classes) पिछड़े वर्गों की शिक्षा: आयोग ने पिछड़े वर्गों सहित समाज के सभी सदस्यों को समान शैक्षिक अवसर प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। उदाहरण: आयोग ने पिछड़े वर्गों के छात्रों की शिक्षा का समर्थन करने और इन छात्रों की सेवा करने वाले स्कूलों को अतिरिक्त संसाधनों के आवंटन के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।
- (School Buildings) स्कूल भवन: आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए स्कूल सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे में सुधार की सिफारिश की कि छात्रों को सुरक्षित और स्वस्थ सीखने के वातावरण तक पहुँच प्राप्त हो। उदाहरण: आयोग ने नए स्कूल भवनों के निर्माण, मौजूदा भवनों के उन्नयन और स्कूलों में नए स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को लागू करने की सिफारिश की।
- (School-Community Relations) स्कूल-समुदाय संबंध: आयोग ने शैक्षिक प्रक्रिया में समुदाय को शामिल करने के महत्व को पहचाना और स्कूलों और समुदाय के बीच नई साझेदारी के विकास की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने अपने बच्चों की शिक्षा में माता-पिता और समुदाय के सदस्यों को शामिल करने और नए समुदाय-आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों के निर्माण के लिए नए कार्यक्रमों की स्थापना की सिफारिश की।
- (Statistics) सांख्यिकी: आयोग ने भारत में शिक्षा की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए डेटा के संग्रह और विश्लेषण की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने शैक्षिक परिणामों की निगरानी और समय के साथ प्रगति को ट्रैक करने के लिए नए डेटा संग्रह और विश्लेषण प्रणाली की स्थापना की सिफारिश की।
- (Pre-Primary Education) पूर्व-प्राथमिक शिक्षा: आयोग ने प्रारंभिक बचपन की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के अवसरों के विस्तार की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने छोटे बच्चों की शिक्षा में सहायता के लिए नए पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना और नए कार्यक्रमों की शुरूआत की सिफारिश की।
- (School Curriculum) स्कूल पाठ्यक्रम: आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए स्कूल पाठ्यक्रम में सुधार की सिफारिश की कि छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त हो। उदाहरण: आयोग ने नई पाठ्यचर्या सामग्री के विकास, पाठ्यक्रम में नई तकनीकों के एकीकरण, और शिक्षण और सीखने के लिए नए दृष्टिकोणों की शुरूआत की सिफारिश की।
Aims of Education
(शिक्षा के उद्देश्य)
- (Education & Productivity) शिक्षा और उत्पादकता: आयोग ने आर्थिक विकास के लिए शिक्षा के महत्व को पहचाना और उत्पादकता बढ़ाने के लिए शैक्षिक अवसरों के विस्तार की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने छात्रों को कार्यबल में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करने के लिए नए कार्यक्रमों के विकास और दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए शिक्षा प्रणाली में नई तकनीकों के एकीकरण की सिफारिश की।
- (Social & National Integration) सामाजिक और राष्ट्रीय एकता: आयोग ने सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उदाहरण: आयोग ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देने और शिक्षा पाठ्यक्रम में एक साझा राष्ट्रीय पहचान के एकीकरण के लिए नए कार्यक्रमों की शुरुआत की सिफारिश की।
- (Education & Modernisation) शिक्षा और आधुनिकीकरण: आयोग ने आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने में शिक्षा की भूमिका को मान्यता दी और आधुनिकीकरण के प्रयासों का समर्थन करने के लिए शैक्षिक अवसरों के विस्तार की सिफारिश की। उदाहरण: आयोग ने तेजी से बदलती दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान के साथ छात्रों को प्रदान करने के लिए शिक्षा प्रणाली में नई तकनीकों के एकीकरण और नए कार्यक्रमों के विकास की सिफारिश की।
- (Development of Democracy) लोकतंत्र का विकास: आयोग ने लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उदाहरण: आयोग ने शिक्षा पाठ्यक्रम में लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रथाओं के एकीकरण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में छात्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए नए कार्यक्रमों के विकास की सिफारिश की।
- (Social & Spiritual Values) सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्य: आयोग ने सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा के महत्व को मान्यता दी। उदाहरण: आयोग ने छात्रों के बीच सामाजिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा पाठ्यक्रम में नैतिक और नैतिक मूल्यों के एकीकरण और नए कार्यक्रमों के विकास की सिफारिश की।
Education National Development
(शिक्षा राष्ट्रीय विकास)
शिक्षा और राष्ट्रीय विकास (Education & National Development): कोठारी आयोग को भारतीय शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन करने और राष्ट्रीय विकास का समर्थन करने के लिए सुधारों की सिफारिश करने का काम सौंपा गया था। आयोग की रिपोर्ट को तीन भागों में बांटा गया था:
- अध्याय-I-VI: शैक्षिक पुनर्निर्माण के सामान्य पहलू (General aspects of educational reconstruction): रिपोर्ट के इस खंड में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, शैक्षिक अवसरों के विस्तार और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आयोग की सिफारिशों सहित शैक्षिक पुनर्निर्माण के सामान्य पहलुओं को शामिल किया गया है। उदाहरण: आयोग ने शिक्षा प्रणाली में नई तकनीकों के एकीकरण, महिलाओं और वंचित समूहों के लिए शैक्षिक अवसरों के विस्तार और सामाजिक और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रमों के विकास की सिफारिश की।
- अध्याय-VII-XVII: शिक्षा के विभिन्न चरण और क्षेत्र (Different stages & and Sectors of education): रिपोर्ट का यह खंड प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षा सहित शिक्षा के विभिन्न चरणों और क्षेत्रों पर केंद्रित है। उदाहरण: आयोग ने छात्रों को आगे की शिक्षा के लिए एक ठोस आधार प्रदान करने के लिए प्राथमिक शिक्षा के विस्तार, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में छात्रों की सफलता को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रमों के विकास और छात्रों को कौशल और ज्ञान प्रदान करने के लिए तकनीकी शिक्षा के विस्तार की सिफारिश की। कार्यबल में सफल होने की आवश्यकता है।
- अध्याय-XVII-XIX: कार्यान्वयन की समस्याएं (Problems of Implementation): रिपोर्ट के इस खंड ने आयोग की सिफारिशों को लागू करने की चुनौतियों को संबोधित किया और इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए रणनीतियां प्रदान कीं। उदाहरण: आयोग ने शिक्षा के लिए धन और संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता, मजबूत शैक्षिक प्रशासन के महत्व और शैक्षिक सुधारों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सरकार, शैक्षिक संस्थानों और हितधारकों के विभिन्न स्तरों के बीच सहयोग की आवश्यकता को पहचाना।
Major recommendation
(प्रमुख सिफारिश)
भारतीय शिक्षा कोठारी आयोग:
- मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (Free & Compulsory Education): कोठारी आयोग ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के महत्व पर जोर दिया, जैसा कि राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों (अनुच्छेद 45) द्वारा अनिवार्य है।
- स्थिति, परिलब्धियां और शिक्षक शिक्षा (Status, Emoluments & Teacher Education): आयोग ने शिक्षकों की स्थिति और परिलब्धियों में सुधार करने और उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने के अवसर प्रदान करने की सिफारिश की।
- भाषाओं का विकास (Development of Languages): आयोग द्वारा तीन भाषा सूत्र की सिफारिश की गई थी, जिसमें कहा गया था कि हिंदी भाषी राज्यों में पहली भाषा मातृभाषा होनी चाहिए, दूसरी भाषा मातृभाषा के रूप में नहीं बोली जाने वाली भाषा होनी चाहिए, जैसे अंग्रेजी, और तीसरी भाषा होनी चाहिए पहले दो में से कोई भी न हो। हालांकि, इस फॉर्मूले को धरातल पर प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया।
- शैक्षिक अवसरों का समानीकरण (Equalization of Educational Opportunities): आयोग ने लिंग, धर्म या जाति की परवाह किए बिना सभी के लिए समान शैक्षिक अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया।
- प्रतिभा की पहचान (Identification of Talent): आयोग ने बच्चों में प्रतिभा का शीघ्र पता लगाने की सिफारिश की, जैसे कि ऐसे बच्चे की पहचान करना जो नृत्य में अच्छा है।
- कार्य अनुभव और राष्ट्रीय सेवा (Work Experience & National Service): आयोग ने शिक्षा के भाग के रूप में कार्य अनुभव और राष्ट्रीय सेवा के महत्व पर बल दिया।
- विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान (Science Education and Research): विज्ञान और गणित को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाने की सिफारिश की गई।
- कृषि और उद्योग के लिए शिक्षा (Education for Agriculture & Industry): आयोग ने सिफारिश की कि प्रत्येक राज्य में कम से कम एक कृषि विश्वविद्यालय होना चाहिए।
- पुस्तकों का उत्पादन (Production of Books): आयोग ने शैक्षिक पुस्तकों की गुणवत्ता बढ़ाने का आह्वान किया।
- इंतिहान (Examination): आयोग ने सिफारिश की कि परीक्षाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए और अधिक प्रदर्शन उन्मुख बनाया जाना चाहिए।
- माध्यमिक शिक्षा (Secondary Education): आयोग ने सिफारिश की कि प्रयोगशाला प्रयोग वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों से संबंधित होने चाहिए।
- विश्विद्यालयीन शिक्षा (University Education): आयोग ने विश्वविद्यालयों में व्यावहारिक, व्यावहारिक शिक्षा के महत्व पर बल दिया।
- अंशकालिक शिक्षा (Part-time Education): आयोग ने अंशकालिक शिक्षा के प्रावधान की सिफारिश की।
- साक्षरता और प्रौढ़ शिक्षा का प्रसार (Spread of Literacy & Adult Education): आयोग ने प्रौढ़ शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और समय-समय पर प्रौढ़ शिक्षा शिविर आयोजित करने की सिफारिश की।
- खेल और खेल (Games & Sports): आयोग ने खेल-कूद को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने की सिफारिश की।
- अल्पसंख्यकों की शिक्षा (Education of Minorities): आयोग ने धर्म या जाति की परवाह किए बिना सभी अल्पसंख्यकों के लिए समान शैक्षिक अवसरों की सिफारिश की।
- शैक्षिक संरचना (The Educational Structure): आयोग ने 10+2+3 शैक्षिक ढांचे की सिफारिश की, जिसमें 10 साल की स्कूली शिक्षा, 2 साल की माध्यमिक शिक्षा और 3 साल की विश्वविद्यालय शिक्षा शामिल है।
Conclusion
(निष्कर्ष)
- निष्कर्ष के आधार पर कहा जा सकता है कि कोठारी आयोग ने शिक्षा के सभी पहलुओं को अच्छे से देखा समझा और उन पर विचार किए। इन्होने नारी शिक्षा पर भी जोर दिया। ग्रामिण क्षेत्रों में व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया। शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण की बात भी कि । NCERT पाठ्यवस्तु लागू कराने पर विचार किए और इनके बहुत सारे सुझावों पर अमल किया गया लागू भी किया गया।
QnA
Q: कोठारी आयोग क्या है?
A: कोठारी आयोग 1964 में भारत सरकार द्वारा देश के लिए एक नई शिक्षा नीति का अध्ययन और सिफारिश करने के लिए गठित एक समिति थी। डीएस कोठारी की अध्यक्षता वाले आयोग ने 1966 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और शैक्षिक संरचना, पाठ्यक्रम, शिक्षक शिक्षा और वित्तपोषण सहित शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए व्यापक सिफारिशें कीं। रिपोर्ट को भारत की शिक्षा नीति के विकास में मील का पत्थर माना जाता है और इसका देश की शिक्षा प्रणाली पर स्थायी प्रभाव पड़ा है।
कोठारी आयोग, जिसे भारत के शिक्षा आयोग के रूप में भी जाना जाता है, का नेतृत्व डॉ डी एस कोठारी ने किया था और इसमें 17 सदस्य थे जो सभी भारतीय थे। आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई थी और इसका जनादेश देश के लिए एक नई शिक्षा नीति का अध्ययन और सिफारिश करना था। आयोग में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूके, यूएसएसआर या जापान के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे।
Q: कोठारी आयोग का दूसरा नाम क्या है ?
A:कोठारी आयोग को शिक्षा आयोग (1964-66) के नाम से भी जाना जाता है।
Q: कोठारी आयोग के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य क्या है ?
A:कोठारी आयोग के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य लिंग, धर्म या जाति की परवाह किए बिना सभी के लिए समान शैक्षिक अवसर प्रदान करना और एक संतुलित पाठ्यक्रम के माध्यम से व्यक्तियों के समग्र व्यक्तित्व का विकास करना है जिसमें विज्ञान, गणित, भाषा और व्यावहारिक शिक्षा शामिल है। .
Q: कोठारी आयोग की खूबियां क्या हैं?
A:कोठारी आयोग ने मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, समान शैक्षिक अवसरों, भाषाओं के विकास, व्यावहारिक शिक्षा और खेल-कूद को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया। इसने शिक्षकों की स्थिति और वेतन में सुधार का भी आह्वान किया और प्रत्येक राज्य में कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की सिफारिश की।
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