जायरोकॉप्टर कैसे काम करता है ?
आज के इस आर्टिकल में हम आपको जायरोकॉप्टर के बारे में बताने जा रहे है की जायरोकॉप्टर क्या है ? जायरोकॉप्टर कैसे काम करता है ? जायरोकॉप्टर का उपयोग कहा किया जाता है ? साथ ही हम अआप्को इससे जुडी बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियों से आपको अवगत कराएँगे | तो चलिए जानते है इस जायरोकॉप्टर के बारे में |
इस आर्टिकल में निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर हम आपको देंगे –
- ऑटोजायरो क्या है ?
- जायरोकॉप्टर क्या है ?
- ऑटोजायरो कैसे काम करता है ?
- विमान में ऑटोरोटेशन क्या है ?
- हेलीकाप्टर में ऑटोरोटेशन कैसे होता है ?
- ऑटोरोटेशन कैसे काम करता है ?
- कैसे जायरोकॉप्टर टेकऑफ़ ?
- जायरोकॉप्टे का कार्य सिद्धांत ?
यह जो आप हेलीकॉप्टर जैसा देख रहे हो इसकी इंटरेस्टिंग बात यह है कि इसमें ऊपर वाले जो ब्लेड है यह अपने आप ही रोटेट करते हैं इंजन से इनको पावर मिलती ही नहीं है इस छोटे से प्लेन को उड़ाने के लिए आपको कोई भी लाइसेंस नहीं चाहिए कोई ट्रेनिंग नहीं चाहिए बस 10 मिनट में आप इसको सीख कर उड़ा सकते हो और आप चाहो तो अपने लिए खरीद भी सकते हो और चाहो तो अपने लिए घर पर बना भी सकते हो | और कहोगे कि यह तो मैं भी बना सकता हूं |
जायरोकॉप्टर क्या है ?
यह जो इंटरेस्टिंग हेलीकॉप्टर है इसका नाम है जायरोकॉप्टर है या फिर जायरोप्लेन भी बोलते हैं इसको और इस छोटे से प्लेन की इंटरेस्टिंग बात यह है कि यह क्रैश नहीं हो सकता और इस प्लेन से एक और कंसेप्ट निकल कर आता है जब कोई हेलीकॉप्टर का इंजन पूरी तरीके से फेल हो जाता है तो इस जायरोकॉप्टर का एक प्रिंसिपल है जिसकी हेल्प से इंजन पूरी तरीके से फेल होने के बाद भी हेलीकॉप्टर को एकदम सुरक्षित लैंड करवा लिया जाता है | तो अपन इस आर्टिकल में यह जायरोकॉप्टर है कैसे काम करता है और इससे जुड़े हुए जो भी इंटरेस्टिंग फैक्ट है उनको हम समझने वाले हैं |
आपने कभी हेलीकॉप्टर को तो देखा होगा सामने से नहीं तो वीडियो में तो देखा ही होगा जैसे यह वाला जो हेलीकॉप्टर है जब यह जमीन से टेकऑफ करेगा तो ऊपर से हवा को नीचे की तरफ पुश करेगा जिससे इसको लिफ्ट फोर्स मिलता है | यानी हवा ऊपर से नीचे की तरफ बह रही है लेकिन जायरोकॉप्टर में हवा का बहाव नीचे से ऊपर की तरफ होता है क्योंकि यह जो ऊपर वाला फैन है यह फ्रिली रोटेट करता है इसको इंजन से कोई भी पावर नहीं मिलती है यह सिर्फ हवा के प्रेशर से ही रोटेट करता है और इसकी इंटरेस्टिंग बात यह है कि जब यह अपने आप फ्रीली रोटेट करता है तो इसमें एक्सीडेंट होने के चांस एकदम ना के बराबर है क्योंकि इसमें फेल होने के लिए है क्या इंजन ही तो फेल होता है और इंजन से इन ब्लेड का कोई कनेक्शन नहीं है |चलो इन चीजों को थोड़ा सा और सिंपलीफाई करते हैं |
जायरोकॉप्टर का ऑटोरोटेशन कैसे होता है ?
हमारे घर में जो फैन होता है उसका जब हम स्विच ऑन करते हैं तो फैन रोटेट करने लग जाता है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब फैन बंद रहता है और तेज हवा चल रही है तो फिर अपने आप ही रोटेट करने लग जाता है और यह जो अपने आप रोटेट कर रहा है इसको हम बोलते हैं ऑटोरोटेशन और यही सिंपल सा फंडा जायरोकॉप्टर में यूज होता है | जायरोकॉप्टर में पीछे की तरफ एक इंजन होता है और यह इंजन सिर्फ और सिर्फ इस प्रोपेलर को रोटेट करवाता है और यह प्रोपेलर इस जायरोकॉप्टर को कोई हवा में नहीं उड़ा सकता है यह सिर्फ इसको आगे की तरफ बढ़ाने के लिए थ्रस्ट क्रिएट करता है जब जायरोकॉप्टर को आगे की तरफ बढ़ेगा तो यह जो ऊपर वाले ब्लेड है यह हवा के प्रेशर से अपने आप ही ऑटोरोटेशन की वजह से रोटेट करने लग जाएंगे |
जायरोकॉप्टर हवा में कैसे उड़ाए ?
हेलीकॉप्टर के जो ब्लेड होते हैं उसको यदि आप पास से देखोगे तो वह कुछ इस तरीके से अपना एंगल एडजस्ट कर सकते हैं और जब हेलीकॉप्टर को टेकऑफ करना होता है तो हेलीकॉप्टर अपने ब्लेड का एंगल बढ़ा देते हैं जिससे उसको ज्यादा लिफ्ट फोर्स मिलता है और आसानी से उठ जाते हैं | तो जायरोकॉप्टर की है जो ब्लेड है इनको एक एंगल पर सेट करके फिक्स कर दिया जाता है जैसे हमारे घर का जो फैन होता है उसके ब्लेड कुछ एक एंगल पर रहते हैं एकदम फ्लैट नहीं रहते तभी तो फैन चलेगा तो हवा आएगी तो ठीक उसी तरीके से जायरोकॉप्टर के ब्लेड सेट कर दिए जाते हैं | अब जब पीछे वाला प्रोपेलर स्टार्ट होगा तो जायरोप्लेन को आगे की तरफ थ्रस्ट लगेगा और इंजन की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए थ्रोटल होता है जिससे इंजन की पावर को कम या ज्यादा किया जाता है | और यह जो ऊपर वाले ब्लेड से इनका इंजन से तो कोई कनेक्शन है नहीं तो जब हवा इधर नीचे से ऊपर की तरफ जाएगी तो इन ब्लड पर फोर्स लगेगा और यह अपने आप ही रोटेट करने लग जाएंगे जिसको हम ऑटोरोटेशन बोलते हैं अब ब्लेड तो रोटेट करने लग गए लेकिन इस जायरोकॉप्टर को ऊपर उड़ने के लिए लिफ्ट फोर्स कैसे मिलता है उसको देखते हैं |
जायरोकॉप्टर को ऊपर उड़ने के लिए लिफ्ट फोर्स कैसे मिलता है ?
जैसे आपके घर में फैन है और स्विच ऑफ कंडीशन में है और मानकर चलते हैं कि तेज हवा चल रही है और तेज हवा से यह फैन अपने आप ही रोटेट कर रहा है तू जो हवाई स्टैंड से होते हुए जा रही है फैन को रोटेट करवाते हुए आगे निकल रही है उसको कुछ ना कुछ फोर्स फील होगा जैसे एक तो इधर साइड में से हवा निकल रही है वह तो सीधी निकल जाएगी और एक हवा इस फैन से टकराकर जाती है उसको थोड़ा सा यहां पर फोर्स फील होगा अरे बचपन में यह चकरी तो घूम आई होगी ना हवा से इसको लेकर भागते थे हम तो हवा का फोर्स अपने हाथ पर अच्छा खासा लगता था इस चकरी की वजह से तो इसी फाॅर्स से जायरोकॉप्टर को लिफ्ट मिलता है जितना आप सोच रहे हो इतना कॉन्प्लिकेटेड नहीं है |
जायरोकॉप्टर का थ्रस्ट
मानलो इस ब्लेड को लेकर में आगे की तरफ भागना शुरू कर दूंगा तो इस ब्लेड पर जो हवा का प्रेशर आएगा वह मुझे भी ऊपर की तरफ लिफ्ट फोर्स लगाएगा तो बस वही कहानी है यहां पर ब्लेड रोटेट कर रहे हैं और इस को लिफ्ट मिल रहा है | जायरोकॉप्टर के यह जो ब्लेड है जो रूटर के अंदर सेट रहते हैं यह कुछ इसी तरीके से एडजस्ट होते हैं लेफ्ट राइट और आगे पीछे और यह सब इस स्टिक की हेल्प से कंट्रोल कर लिया जाता है तो जब यह टेकऑफ करेगा तो इनको कुछ इस तरीके से सेट कर दिया जाता है पीछे की तरफ जिससे ज्यादा से ज्यादा हवा इन ब्लेड से होते हुए जाएगी और जितनी ज्यादा हवा जाएगी उतना ही ज्यादा इस जायरोकॉप्टर को लिफ्ट फोर्स मिलेगा और यह जो पीछे वाले प्रोपेलर है यह सिर्फ और सिर्फ जायरोकॉप्टर को आगे बढ़ाने के लिए थ्रस्ट क्रिएट करते हैं जब घायलों को आफ्टर हवा में आ जाता है तो इसको हवा में थ्रस्ट दिलवाने के लिए पीछे की तरफ राइडर लगे रहते हैं जो एक सिंपल से राइडर पेडल की हेल्प से एडजस्ट होते हैं | अब यह जो इन ब्लेड का ऑटोरोटेशन है इसका एक बहुत ही गजब का बेनिफिट है एक तो जायरोकॉप्टर का एक्सीडेंट नहीं होगा और इस ऑटोरोटेशन का यूज हेलीकॉप्टर में भी काम में लिया जाता है | यदि इस जायरोकॉप्टर का यह वाला इंजन फेल हो जाता है जब यह ऊंचाई पर होता है तब तो यह आराम से लैंड कर जाएगा और इसी टेक्नोलॉजी को हेलीकॉप्टर में भी काम में लिया जाता है जब हेलीकॉप्टर का इंजन पूरी तरीके से फेल हो जाता है और यह जो पीछे की टेल है वह भी काम करना बंद कर देती है तो ऑटोरोटेशन की हेल्प से हेलीकॉप्टर को सक्सेसफुली लैंड करवा लिया जाता है |
जायरोकॉप्टर का इंजन फेल होगया तो कि होगा ?
जब हेलीकॉप्टर नॉरमल कंडीशन में फ्लाई करता है तो हेलीकॉप्टर का इंजन सही है ब्लड रोटेट करते हैं और हवा ऊपर से नीचे की तरफ आती है लेकिन जब इंजन फेल हो जाता है तो हेलीकॉप्टर नीचे की तरफ आने लग जाता है और अब हवन नीचे से ऊपर की तरफ जा रही है कुछ इस तरीके से तो हेलीकॉप्टर के रोटर ब्लेड में एक फ्रीव्हीलिंग यूनिट होती है जिसको हम गलत बोल सकते हैं और यह यूनिट हेलीकॉप्टर के जो ब्लड है इनका इंजन से कांटेक्ट हटा देती है और जैसे ही इंजन से कांटेक्ट कट होता है तो यह ऑटो रोटेशन मोड में आ जाते हैं और यह अपने आप हवा के प्रेशर से रोटेट करते हैं फुल स्पीड में अब यह ब्लड अपने आप ऑटोरोटेशन कर रहे हैं तो वैसे तो यह कोई टॉर्च जनरेट नहीं कर रहे हैं लेकिन जो हवा नीचे से ऊपर की तरफ जा रही है उसको एक रजिस्टेंस प्रोवाइड करवा रहे हैं इस हवा को इतनी आसानी से नहीं जाने दे रहे हैं तो ऑटोरोटेशन में जितनी ज्यादा हवा चलेगी उतना ही ज्यादा बेनिफिट है जितनी तेज हवा चलेगी उतनी ही ज्यादा स्पीड में इसके ब्लड रोटेट करेंगे जिसे हेलीकॉप्टर धीरे-धीरे नीचे आएगा | हवा के प्रेशर को ब्लेड पर बढ़ाने के लिए हेलीकॉप्टर को एकदम कुछ इस एंगल पर करके स्पीड में नीचे लाया जाता है और फिर जब एक सही लोकेशन ढूंढ ली जाती है हेलीकॉप्टर को लैंड करवाने के लिए तो हेलीकॉप्टर के यह जो ब्लड है उनका एंगल सेट कर के हेलीकॉप्टर को इस पोजीशन में लाया जाता है और जैसे ही इस पोजीशन में हेलीकॉप्टर आएगा तो हवा का खूब प्रेशर इन ब्लड पर आएगा और ब्लड बहुत ज्यादा फास्ट रोटेट करेगी जिसकी वजह से हेलीकॉप्टर धीरे-धीरे नीचे की तरफ पाएगा और आसानी से लैंड कर जाएगा |
हेलीकॉप्टर को इंजन फेल हो गया तो क्या होगा ?
एक बार ऐसा हुआ भी है एक व्यक्ति है जिन्होंने 43 फीट की ऊंचाई से हेलीकॉप्टर को इंजन फेल होने के बाद में सक्सेसफुल इन लैंड करवा दिया था | लेकिन हेलीकॉप्टर के जो पायलट होते हैं उनको जब ट्रेनिंग दी जाती है तो उनको यह सब सिखाया जाता है इंजन फेल होने की कंडीशन में किस तरीके से हेलीकॉप्टर को सक्सेसफुली लैंड करवाना होता है | और जायरोकॉप्टर के ब्लेड तो वैसे ही अपने आप फ्री रोटेट कर रहे हैं तो वह तो आसानी से टेकऑफ और लैंडिंग कर लेता है वैसे जायरोकॉप्टर हेलीकॉप्टर की तरह एकदम से वर्टिकली नहीं उठ सकता एक जगह से और आज के जो जायरोकॉप्टर है उनके पास में यदि 15 से 20 फीट की दूरी भी है तो है आसानी से उठ जाते हैं क्योंकि आज के टाइम में जो जायरोकॉप्टर है उनमें एक हाइड्रोलिक मोटर है जो ऊपर की ब्लेड से उनको पहले रोटेट करवाया जाता है जो इंजन से जुड़ी रहती है और जब जायरोकॉप्टर अटैक ऑफ कर लेता है तो इंजन से इन ब्लेड्स का कोई कनेक्शन नहीं रहता है यह ऑटो रोटेट ही करते हैं|
जायरोकॉप्टर को टेकऑफ कैसे करे ?
इंजन से तो स्टार्टिंग में इसको इसलिए रोटेट करवाया जाता है ताकि टेकऑफ के लिए ज्यादा दूरी तक नहीं चलना पड़े लेकिन बहुत सारे ऐसे भी जायरोकॉप्टर है जिनका स्टार्टिंग में भी ऊपर वाले ब्लेड से कोई कनेक्शन नहीं रहता है जो थोड़ी दूर तक रनवे पर चलते हैं और जब ऊपर वाले ब्लेड अच्छी खासी स्पीड में आ जाते हैं तो वह आसानी से टेक ऑफ कर जाते हैं | जायरोकॉप्टर अलग अलग टाइप के होते हैं यह फैन पीछे भी हो सकता है और आगे भी हो सकता है यूएसए में जायरोकॉप्टर पढ़ाने के लिए आपको कोई ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत तो नहीं है लेकिन आपको लाइट वेट व्हीकल का लाइसेंस आता है उसकी जरूरत पड़ती है और कोई कंपलेक्स मेकैनिज्म इसका उड़ाने में है नहीं बस एक ही बार में आप इसको सीख सकते हो क्योंकि गिने-चुने तीन ही तो इसमें कंट्रोलिंग के मेकैनिज्म है |
- राइडर पैडल
- थ्रोटल
- स्टिक
लेकिन इनकी कोई बहुत ज्यादा स्पीड नहीं होती है आज के टाइम में कुछ ऐसे भी जायरोप्लेन है जिनकी अच्छी खासी स्पीड होती है 160 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक की | जायरोकॉप्टर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं और एक बार में 800 किलोमीटर की दूरी तक जा सकते हैं लेकिन यह बहुत ज्यादा लोगों को कैरी नहीं कर सकते यह सिर्फ एक या दो व्यक्तियों के लिए ही है |
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