ड्रोन कैसे काम करता है ? ड्रोन कैसे उड़ता है
आज के इस आर्टिकल में हम आपको ड्रोन्स के बारे में बताएँगे की ड्रोन कैसे काम करता है ? ड्रोन कैसे उड़ता है , ड्रोन्स कितने प्रकार के होते है ? और इनके क्या क्या उपयोग होते है ? साथ ही हम आपको इनसे जुडी बहुत सी महत्वपूर्ण व रोचक बाते आपके साथ साझा करेंगे | तो चलिए जानते है इन ड्रोन्स के बारे में |
वक्त के साथ कई वर्षों में ड्रांस विकसित हुए हैं और परफेक्ट फ्लाइंग मशीन बन गए हैं ड्रोन्स को इस तरह से क्यों डिजाइन किया गया है जैसे कि वह आज है | वे इतनी तेजी से आगे बढ़ने में इतने कुशल क्यों है? इस आर्टिकल में हम ड्रोन के मैकेनिकल डिजाइन एस्पेक्ट्स के साथ-साथ इसके –
- इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर
- सेंसर
- इंटेलिजेंट
- एल्गोरिथम्स
- सेटेलाइट टेक्नोलॉजी
आदि के बारे में जानेंगे | तो चलिए जानते है सबसे पहले एक सिंगल प्रोपेलर ड्रोन के बारे में और फिर उसके बाद तीन प्रोपेलर ड्रोन के बारे में फिर उसके बाद चार प्रोपेलर ड्रोन के बारे में जो की मेन ड्रोन है |
सिंपलेस्ट ड्रोन का डिजाइन
एक सिंगल प्रोपेलर डिजाइन एक प्रोपेलर वाले ड्रोन को हवा में उड़ता हुआ रखने के लिए पर्याप्त लिफ्टिंग फोर्स प्रदान करते हैं | लेकिन इस ड्रोन को कंट्रोल करने का कोई तरीका नहीं है यह केवल इतना कर सकता है कि सीधे ऊपर जा सकते हैं और वापस नीचे आ सकते हैं |
एक और परेशानी यह है कि इस ड्रोन की बॉडी प्रोपेलर के विपरीत दिशा में घूमती रहेगी जो न्यूटन के थर्ड लॉ ऑफ मोशन का परिणाम है आप देख सकते हैं कि मोटर का स्टेटर रोटर पाठ को आवश्यक टॉर्च प्रदान करता है| तीसरे लॉ के अनुसार इसका मतलब है कि रोटर को भी स्टेटर पर वापस बराबर मात्रा में टॉर्क देना चाहिए | क्योंकि स्टेटर ड्रोन की बॉडी पर फिक्स होता है इस रिएक्शन टॉर्च के वजह से ड्रोन में अनचाहा घुमाव होगा | तो क्यों न दो प्रोपेलर का इस्तेमाल किया जाए यह निश्चित रूप से एक पॉसिबिलिटी है | और जीरो जीरो रोबोटिक्स नाम की कंपनी ने इस तरह के ड्रोन को विकसित करने का गंभीर प्रयास किया है |
प्रोपेलर ड्रोन कैसे काम करता है ?
प्रोपेलर की संख्या जितनी कम होगी ड्रोन उतनी ही कम एनर्जी कंज्यूम्ड करेगा और उतनी ही देर तक वह हवा में रह सकेगा हालांकि मुख्य परेशानी यह है कि ड्रोन को हाई स्पीड से उड़ान भरने के लिए मैनिपुलेट करने और तेज से किसी दिशा में मुड़ने के लिए उच्च लेवल के कंट्रोल एक्यूरेसी और स्टेबिलिटी की आवश्यकता होती है | हम आशा करते हैं कि कंट्रोल एल्गोरिथ्म की प्रगति की वजह से दो प्रोपेलर वाले ड्रोन एक दिन अच्छी स्टेबिलिटी प्राप्त करेंगे | आप चित्र में देख सकते हैं कि दो प्रोपेलर वाले डिजाइन के ब्लेड्स उलटी दिशा में घुमते है | इस तरह मोटर का रिएक्शन टॉर्क रुक जाता है और अनचाहे बॉडी स्पिन से बचा जा सकता है |
तीन प्रोपेलर वाले डिजाइंस बहुत ही कम इस्तेमाल किए जाते हैं इस प्रकार के ड्रोन के साथ मुख्य परेशानी मोटर का रिएक्शन टॉर्क और जायरोस्कोपिक पोजीशन है इन दोनों से डिजाइन और एल्गोरिथम्स में अनावश्यक कॉम्प्लिकेशंस पैदा होते हैं अगले वैरिशन में चार पॉपुलर वाले ड्रोन या क्वैड कॉप्टर्स है | जो आमतौर पर H आकार या X आकार के होते हैं |
ड्रोन की होवरिंग
आइए अब क्वॉर्डकॉप्टर्स के दिलचस्प पोस्ट डायनामिक्स को समझकर यह देखते हैं कि यह कैसे मनुवर्स करते हैं | होवरिंग प्राप्त करने के लिए / उड़ने के लिए ऑपरेटर को केवल यह सुनिश्चित करना होगा कि ड्रोन का वजन प्रोपेलर द्वारा उत्पादित थ्रस्ट से एक्जेक्टली बैलेंस्ड हो | आप चित्र में एयरफॉयल आकर देख सकते हैं जो पॉपुलर लिफ्टिंग पोस्ट उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल करते हैं | आगे की ओर जाने के लिए / फोरवर्ड मोशन पाने के लिए आगे के प्रोपेलर की स्पीड धीमी हो जाती है | और उसी समय पीछे के प्रोपेलर्स तेज हो जाते हैं इस वजह से पिच मोशन होगा अब प्रोपेलर की स्पीड को एक जैसा बनाकर सभी फोर्स वैल्यू को एक जैसा बनाएं यह मान लीजिए कि आपने परिणाम स्वरूप आए प्रॉब्लम फोर्स इसकी वर्टिकल कॉम्पोनेंट को ड्रोन के वजन के साथ बैलेंस किया है इसके बावजूद भी अनबैलेंसड होरिजेंटल फोर्स होता है जो ड्रोन को आगे की ओर ले जाता है | ड्रोन के रूल मूवमेंट को इम्प्रूव करने के लिए इसी तरह की तकनीक का उपयोग किया जाता है | सीधे शब्दों में कहें यह मूवमेंट प्रोपेलर्स के लेफ्ट राइट जोड़े में इन बैलेंस लिफ्ट पॉज बनाकर किया जाता है | एक क्वाडकॉप्टर का याव मोशन एक अनोखे तरीके से हासिल किया जाता है |
क्वॉर्डकॉप्टर ड्रोन कैसे काम करता है ?
इस आर्टिकल की शुरुआत में हमने मोटर के रिएक्शन टॉर्क और कॉर्डरोन पर इसके प्रभाव के बारे में सीखा इस तरह के अनचाहे स्पिन से बचने के लिए क्वॉर्डकॉप्टर ड्रोन में एक डायग्नल जोड़ा पर दूसरे जोड़े की उलटी दिशा में घूमता है | यह टेक्निक रिएक्शन टॉर्क को पूरी तरह से कैंसिल कर देती है | हालांकि यदि आप ड्रोन को हिलाना चाहते हैं या उसे घुमाना चाहते हैं तो आपको केवल यह सुनिश्चित करना होगा कि यह रिएक्शन टॉर्क कैंसिल ना हो जिसे आप एक डायग्नल जोड़े की स्पीड को कम करके आसानी से प्राप्त कर सकते हैं | रिएक्शन टॉर्क प्रोपेलर की स्पीड के समान रूप से प्रोपोशनल होता है | अंत में एक नेट रिएक्शन टॉर्क उत्पन्न होगा और ड्रोन याव मोशन प्राप्त कर सकता है |
जाहिर है क्वॉर्डकॉप्टर ड्रोन सबसे स्थिर होते हैं की स्पीड से चलने और तेज मोड लेने की क्षमता के साथ इनका उपयोग लगभग हर उद्योग में किया जाता है |
ड्रोन का दिमाग कैसे काम करता है ?
मान लीजिए कि एक ड्रोन अचानक हवा के झोंके से टकरा जाता है | ऑपरेटर को हर एक प्रोपेलर की स्पीड और रोटेशन दिशा को एक सेकेंड से भी कम समय में कंट्रोल और री एडजस्ट करना होता है | अन्यथा ड्रोन क्रश हो सकता है किसी व्यक्ति के लिए इस स्थिति को हाथ से कंट्रोल करना मुश्किल होता है यह इस प्रकार के परिस्तिथि हैं जहां ड्रोन का सबसे महत्वपूर्ण है सब बचाव के लिए आता है इसका फ्लाइट कंट्रोलर
फ्लाइट कंट्रोलर कैसे काम करता है ?
फ्लाइट कंट्रोलर को एक छोटे बुद्धिमान पायलट के रूप में माना जा सकता है जो अंदर बैठकर किसी भी तरह की कठिन परिस्थितियों में ड्रोन को नेविगेट करता है | यह ऑपरेटर को आगे , पीछे या याव आदि जैसे सरल नियंत्रणओं का उपयोग करने में सक्षम बनाता है | जिससे ड्रोन ऑपरेशन वीडियो गेम की तरह सरल हो जाता है | इस रिजल्ट को प्राप्त करने के लिए फ्लाइट कंट्रोलर को विभिन्न सेंसर से बहुत सारे इनपुट सिगनल की आवश्यकता होती है
ड्रोन सेंसर्स कैसे काम करते है ?
ड्रोन सेंसर्स की दिलचस्प दुनिया में आपका स्वागत है | आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि मॉडर्न ड्रोन में ज्यादातर सेंसर्स का आकार चींटी के बराबर होता है | ऐसे छोटे सुपर एक्यूरेट सेंसर बनाने के लिए MEMS टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता है | यह वास्तविक में चलते-फिरते अंगों वाली एक छोटी सी मशीन है इस समूह में सबसे महत्वपूर्ण सेंसर है |
- एक्सीलरोमीटर्स सेंसर
- जायरोस्कोप सेंसर
- मैग्नेटोमीटर सेंसर
इन तीनों सेंसर को आईएमयू इंडस्ट्रियल मेजरिंग यूनिट में एक साथ रखा गया है |
आईएमयू सेंसर ड्रोन कैसे काम करते है ?
आईएमयू ड्रोन सेंसर का राजा है यह एक्सीलरेशन रोटेशन को मापता है इस एक्सीलरोमीटर MEMS सेंसर में जैसे ही ड्रोन एक बल का अनुभव करता है प्लेट्स के बीच मूवमेंट होता है | एक दूसरे के बगल में रखी दो प्लेट में केपेसिटेंस उत्पन्न होता है | जब प्लेट्स के बीच की दूरी बदलती है तो कैपेसिटेंस भी भिन्न होता है | केपेसिटेंस की वेरिएशन को आसानी से इलेक्ट्रिक सिगनल्स में परिवर्तित किया जा सकता है | और गणना के लिए कंट्रोलर में उन सिगनल्स को भेजा जा सकता है तीनों दिशाओं में एक्सीलरेशन प्राप्त करने के लिए हमें तीन एक्सेस एक्सेलोमीटर की आवश्यकता होगी | जब हम जायरोस्कोप को भी यूनिट में शामिल करते हैं तो फाॅर्स वैल्यू के साथ हम विभिन्न विमानीय रोटेशंस को माप सकते हैं | ड्रोन का एटीट्यूड डिसाइड करने के लिए मेंस आधारित बैरोमीटर सेंसर का उपयोग किया जाता है |
ड्रोन सेंसर सिग्नल कैसे काम करते है ?
अब फ्लाइट कंट्रोलर क्या प्रोसेसर को सही निर्णय लेने के लिए इन सेंसरों द्वारा एकत्रित सभी संकेतों का सही उपयोग करना चाहिए ? हालांकि प्रोसेसर वाले हिस्से में जाने से पहले हम कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि सेंसर्स द्वारा उत्पादित सिगनल्स बिल्कुल एक्यूरेट है | उदाहरण के लिए शोर सेंसर की एक्यूरेसी को प्रभावित कर सकता है शोर के कुछ कारण है जैसे कि
- डिफेक्ट्स
- ड्रोन प्रोपेलर के मैकेनिकल वाइब्रेशंस द्वारा हस्तक्षेप
- मैग्नेटिक हस्तक्षेप
मॉडर्न ड्रोन इस समस्या को दूर करने के लिए सेंसर फ्यूजन नामक तकनीक का उपयोग करते हैं उदाहरण के लिए आईएमयू के साथ एक जीपीएस सेंसर इस ड्रोन के एल्टीट्यूड की जानकारी प्रदान कर सकता है| हालांकि हम इसमें आपको सुपर एक्यूरेट बना सकते हैं यदि हम इस में रेडर टेक्निक का उपयोग करते हैं | यह सेंसर फ्यूजन है अधिक सटीक मेज़रमेंट उत्पन्न करने के लिए अलग-अलग तरह के सेंसर एक साथ काम करते हैं इन एक्यूरेट सिगनल्स के साथ हम ड्रोन के निर्णय लेने वाले हिस्से में प्रवेश कर सकते हैं कंट्रोल सिस्टम पार्ट इसमें कंट्रोल लॉजिक शामिल है |
ड्रोन कंट्रोल लॉजिक क्या है ?
कंट्रोल लॉजिक वो एल्गोरिथ्म है जो ग़लतियां को और कम करता है और निर्णय लेता है | ऐसा ही एक एल्गोरिथ्म है केलमन फ़िल्टर है के.एफ एल्गोरिथ्म | ड्रोन की स्थिति जानने के लिए भूत और वर्तमान दोनों डाटा को पढता है और जीपीएस नेविगेशन जैसे घर वापस जाने के लिए या ऐसे किसी भी मामले में इसके लॉजिक का उपयोग करता है या अभी इस मामले में हवा के विनाशकारी प्रभाव के बाद ड्रोन को स्थिर करने में अंत में वही के.एफ एल्गोरिथ्म जिसे लॉजिक गेट्स और ट्रांसिस्टर आदि वाले प्रोसेसर में फीड किया गया है | वो बीएलडीसी मोटर की स्पीड को नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट डिप्रेशन लेता है | हां चार बीएलडीसी मोटर की स्पीड को स्मार्ट तरीके से कंट्रोल करके क्वॉर्डकॉप्टर ड्रोन किसी भी चुनौती पूर्ण वातावरण का सामना कर सकता है |
क्या डीजेआई ड्रोन चीन की कंपनी है ?
हां डीजेआई कंपनी चीन की एक ड्रोन कंपनी है | वर्तमान में डीजेआई नामक कंपनी कंस्यूमर ड्रोन मार्केट में लीडिंग कंपनी है | इसमें से एक है वह सेंसर आउटपुट में गलतियों को कम करने के लिए वाइब्रेशन डम्पिंग सिस्टम और अधिक विश्वसनीय आउटपुट के लिए एडवांस्ड फ्लाइट कंट्रोलर एल्गोरिथम ड्यूल आईएमयू का उपयोग करते हैं |
डीजेआई ड्रोन की तुलना हम किस्से कर सकते है ?
सोफिस्टिकेटेड एल्गोरिथ्म सफलता की चाबीयों में से एक है दूसरी ओर डीजेआई की तुलना में –
- पैरेट
- ओटेल
- यूनिक
जैसी कंपनी के पास कंज्यूमर यूएवी ड्रोन में उतना मार्केट नहीं है इन ड्रोन्स में डीजेआई के साथ मिलने वाले रिफाइनमेंट और फिटनेस भी नहीं होते हैं | हम पहले ही देख चुके हैं कि के.एफ एल्गोरिथ्म द्वारा बीएलडीसी मोटर का स्मार्ट कंट्रोल ड्रोन की एक स्थिर और सुखद उड़ान सुनिश्चित कराता है | इन बीएलडीसी मोटर द्वारा इस्तेमाल में आने वाली आवश्यक बिजली इलेक्ट्रॉनिक सर्किट एंटीना और सेंसर की आपूर्ति लिथियम आयन बैटरी द्वारा की जाती है | ड्रोन सामान्य रेडियो फ्रिकवेंसी टेक्निक का उपयोग करके यूजर से कंट्रोल सिग्नल से प्राप्त करता है कंस्यूमर ड्रोन के लिए कम्युनिकेशन रेंज 1 से 2 किलोमीटर के बीच हो सकती है अब एक दिलचस्प सवाल
क्या होगा अगर ड्रोन गलती से इस कम्युनिकेशन रेंज से बाहर चला जाए?
लापता ड्रोन को वापस पाने के लिए मॉडर्न ड्रोन्स जीपीएस और टावर आधारित इंटरनेट टेक्निक का एक साथ इस्तेमाल करते हैं | जीपीएस की मदद से ड्रोन शुरू करते समय ऑपरेटर होम लोकेशन पहले ही सेट कर लेता है इस तरह खोया हुआ ड्रोन सुरक्षित रूप से अपनी होम लोकेशन पर वापस आ सकता है हम आशा करते हैं कि आप को संपूर्ण ड्रोन वर्किंग सिस्टम को डिकोड करने में मजा आया होगा |
धन्यवाद |
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