James Webb स्पेस टेलीस्कोप क्या है ? जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप क्या है ?
आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप क्या है ? हिंदी में और James Webb स्पेस टेलीस्कोप क्या है ? जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप कैसे काम करता है | इसकी पूरी कहानी क्या है? | साथ ही हम आपको इससे जुडी कुछ रोचक जानकारियाँ व महत्वपूर्ण बाते आपके साथ साझा करेंगे साथ ही हम आपको इनसे जुड़े सभी प्रश्नो का उत्तर देने का प्रयास करेंगे | तो चलिए जानते है | जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप हिंदी में |
हबल टेलीस्कोप
हबल टेलीस्कोप संभवत मानव इतिहास का सबसे महत्वकांक्षी और सफल मिशन रहा है जिसने अपनी खोजों और तस्वीरों से हमारा इस ब्रह्मांड को देखने का नजरिया हमेशा के लिए बदल कर रख दिया पर अब यह टेलीस्कोप काफी पुराना हो चुका है और समय के साथ हम मानवों का खोज का दायरा भी बढ़ता जा रहा है जिसे हबल टेलीस्कोप पूरा कर पाने में सक्षम नहीं है|
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली
इस बात को ध्यान में रखते हुए नासा ने नई पीढ़ी के जेम्स वेब टेलीस्कोप पर काम करना शुरू किया यह स्पेस टेलीस्कोप पुराने सबसे उन्नत हबल टेलीस्कोप से भी करीब 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली होगा जो कि हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत यानी बिग बैंक के बाद जन में शुरुआती तारों और आकाशगंगा को देखने में सक्षम होगा| इसके साथ यह टेलीस्कोप कई और खूबियों से लैस होगा जो कि आने वाले समय में ब्रह्मांड की हमारी समझ और एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र को पूरी तरह बदल कर रख देगा करीब 14 सालों के विलम्ब के बाद आखिरकार इस स्पेस टेलीस्कोप को दिसंबर 2021 में लॉन्च किए जाने की योजना है लेकिन ये सायद 2022 तक हो पाएगा | जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के बारे में जानने से पहले हमें हबल टेलीस्कोप के बारे में जानना होगा
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जेम्स वेब टेलीस्कोप
जेम्स वेब टेलीस्कोप अब तक के हमारे मानव इतिहास का सबसे विशालकाय आधुनिक और कॉन्प्लेक्स टेलीस्कोप होगा जो कि हबल टेलीस्कोप से भी करीब 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली होगा | जेम्स वेब टेलीस्कोप एक इंफ्रारेड टेलीस्कोप है जिस पर काम सन 1996 में शुरू किया गया था इस महत्वाकांक्षी स्पेस टेलीस्कोप का निर्माण अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा यूरोपियन स्पेस एजेंसी ईएसए और कनाडाई स्पेस एजेंसी सीएसए के आपसी सहयोग से किया जा रहा है |
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: मिलियन डॉलर का खर्च
शुरुवात में स्पेस टेलीस्कोप को 2007 में लॉन्च करने की योजना थी जिस पर केवल 500 मिलियन डॉलर तक खर्च आने का अनुमान था पर 2005 में इसकी इनिशियल डिजाइन में कई बड़े बदलाव किए गए इसके बाद इसके लांच को कई बार आगे बढ़ाया गया | कई सालों के विलम्ब के बाद आखिरकार 2016 में इसके निर्माण को पूरा कर लिया गया जिसके बाद इसकी लागत बढ़कर 10 बिलीयन डॉलर्स के करीब हो गई 2016 में निर्माण को पूरा करने के बाद इसके इनिशियल टेस्ट शुरू किए गए जो कि 2019 तक चलते रहे उस समय इसे मार्च 2021 में लांच करने की योजना थी पर आखिरी समय में इसमें कुछ और तकनीकी खामी आ गई जिसके बाद इसके लांच को फिर एक बार आगे बढ़ाकर दिसंबर 2021 कर दिया गया|
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: 1200 वैज्ञानिकों इंजीनियरों और टेक्निशियंस का योगदान
यह स्पेस टेलीस्कोप संभवत मानव इतिहास के सबसे कॉन्प्लेक्स और एडवांस इंस्ट्रूमेंट में से एक होगा इसे बनाने में 14 देशों के करीब 12 सौ वैज्ञानिकों इंजीनियरों और टेक्निशियंस ने अपना योगदान दिया है जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का मकसद हबल टेलीस्कोप को रिप्लेस करना नहीं बल्कि इसे कॉन्प्लीमेंट करना है दोनों ही बेहद ही अलग-अलग तरह के स्पेस टेलीस्कोप है जिनका मकसद हमारे ब्रह्मांड का अलग-अलग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में अध्ययन करना है जहां हम इंसान लाइट स्पेक्ट्रम के सिर्फ विजिबल लाइट को ही बस देख पाते हैं वही हबल टेलीस्कोप इसके अल्ट्रावॉयलेट सेक्शन को भी देखने और इसका अध्ययन करने में सक्षम है इसके विपरीत जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप मुख्यतः हमारे ब्रह्मांड का अल्ट्रा वाइड स्पेक्ट्रम में अध्ययन करेगा |
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप में गोल्ड और बेरिलियम का उपयोग
जहां हबल टेलीस्कोप के शीशे का डायमीटर 2.5 मीटर है | वहीं जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के प्राइमरी शीशे का डायमीटर 6.5 मीटर है| ज्यादा बड़े मिरर की वजह से यह स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्ष में और भी ज्यादा दूरी तक देखने में सक्षम होगा इसका 6.5 मीटर विशालकाय मिरर मुख्यतः गोल्ड और बेरिलियम से बना हुआ है जिसकी सुरक्षा गोल्ड प्लेटेड सनशील्ड करता है | बेरिलियम एक बेहद ही ड्यूरेबल और लाइट वेट मटेरियल होता है | और जब इसे गोल्ड के लेयर से कवर किया जाता है तब यह इंफ्रारेड लाइट का अध्ययन करने में मदद करता है |
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: वेदनशील कैमरे
इसके कैमरे बहरी ही संवेदनशील होते हैं जिन्हें सूर्य की किरणों से बचाना बेहद जरूरी है इसे सूर्य की किरणों से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक टेनिस कोर्ट के आकार के पांच स्थाई सनशील्ड तैयार किए हैं सनशील्ड के 5 लेयर इंसानी बाल से भी छोटे हैं जो कि इंफ्रारेड कैमरे और इसके दूसरे सेंसर को प्रोटेक्ट करने का काम करेंगे | इसके साथ ही यह इन्हें स्पेस के बहरी ठंडे तापमान से भी बचाएं रखेगा ताकि यह टेलीस्कोप सही तरीके से काम कर सके |
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: सबसे बड़ी समस्या
जहां यह सनशील्ड स्पेस टेलीस्कोप को हमारे ब्रह्मांड का आसानी से अध्ययन करने में मदद करता है वही यह इसके लिए सबसे बड़ी समस्या भी पैदा करता है | यह सनशील्ड करीब एक हजार अलग-अलग पार्ट से मिलकर बना हुआ है जिसमें 8 मोटर और 139 एक्चुएटर लगाए गए हैं सनशील्ड के अलग-अलग भागों को अनफोल्ड करने के लिए इन सभी पार्ट्स और मोटर्स का पूरी तरह अच्छे से काम करना जरूरी है| इस टेलिस्कोप में चार प्रमुख साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट मौजूद होंगे –
- नियर इंफ्रारेड कैमरा
- नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ
मिड इंफ्रारेड इंस्ट्रूमेंट - फाइन गार्डन सेंसर
जेम्स वेब टेलीस्कोप में लगे मिरर इतने ज्यादा सेंसिटिव है कि यह हजारों किलोमीटर दूर मौजूद एक मधुमक्खी के हिट सिग्नेचर को डिटेक्ट करने में सक्षम होंगे जेम्स वेब टेलीस्कोप को हबल टेलीस्कोप से विपरीत धरती के लो अर्थ और बेड की जगह लेग रेंज पॉइंट 2 यानी के L2 में स्थापित किया जाएगा | लेग रेंज पॉइंट 2 धरती से करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर मौजूद एक खास स्पॉट है|
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: ब्रह्मांड का अध्ययन
धरती से बेहद ही ज्यादा दूरी होने के कारण इस पॉइंट पर जेम्स टेलिस्कोप के ऑब्जरवेशन में धरती और हमारे सूरज का कम से कम इंटरफेरेंस पड़ता है जिसके चलते यह बेहद ही आसानी से हमारी इस विशाल ब्रह्मांड का अध्ययन कर सकता है | साथ ही इस जगह स्थापित किए जाने वाले स्पेस मिशंस को अपने ऑर्बिट में बने रहने के लिए बेहद ही कम ईंधन का इस्तेमाल करना पड़ता है| पर इन फायदों के लिए इसे एक बेहद ही बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी धरती से बेहद ही ज्यादा दूरी पर मौजूद होने के कारण हबल टेलीस्कोप की तरह यह टेलीस्कोप सर्विसेबल नहीं रहेगा |
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की रिपेयरिंग
यानी अंतरिक्ष यात्री समय-समय पर स्पेस में जाकर इस टेलीस्कोप की रिपेयरिंग कर इसमें नई इंस्ट्रूमेंट नहीं लगा पाएंगे यानी जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को परफेक्ट बनाने का वैज्ञानिकों के पास केवल एक ही मौका रहेगा इसके विपरीत 1990 में लांच किए गए हबल स्पेस टेलीस्कोप को खराब मेरठ के साथ लांच किया गया था और अगर इसे शीशे में एस्ट्रोनॉट द्वारा बनाया नहीं जाता तो हम हबल टेलीस्कोप से एक भी अच्छी तस्वीर नहीं ले पाते वैसे आपको एक बात बात दू – फोटो या मैसेज आने जाने में 6 महीने लग सकते है |
आखिर वैज्ञानिक इस टेलिस्कोप के लिए इतना ज्यादा खर्च और मेहनत क्यों कर रहे हैं ?
जेम्स वेब टेलीस्कोप इसके बदले वैज्ञानिकों को क्या देगा ?
दूसरे तारे और आकाशगंगा | हमारे पृथ्वी से बिलियन किलोमीटर दूर मौजूद है | जिनकी वजह से इन के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में कई प्रकाश वर्ष का समय लग जाता है इसलिए हम टेलीस्कोप की मदद से हम ब्रह्मांड में जितना दूर देखने में सक्षम होंगे असल में हम अतीत में उतना ही पीछे देख रहे होंगे बेहद शक्तिशाली इंफ्रारेड कैमरा से लैस जेम्स में टेलीस्कोप आज से करीब 30.5 बिलीयन ईयर्स पहले हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत यानी बिग बैंक के बाद जन्मे शुरुआती तारों और आकाश 10 गुना ज्यादा देखने में सक्षम होगा इन शुरुआती आकाशगंगा और तारों का करीबी से अध्ययन कर हम इसके निर्माण डेवलपमेंट और साथ ही इन के अंत के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं | हबल के अल्ट्रा डिफील्ड इमेज ने हमारे धरती से कई बिलियन लाइट इयर्स दूर मौजूद ऐसे ही कई तारों और आकाशगंगाओं की तस्वीरें ली है इन तस्वीरों में हमें हमारे धरती से कई बिलियन लाइट ईयर्स दूर मौजूद यह आकाशगंगा है रेड डॉट्स की तरह नजर आ रही है जो कि हमारे ब्रह्मांड के एक्सपेंशन की वजह से रेड शिफ्ट हो गई है कि आकाशगंगा ओं की लाइट डार्क एनर्जी की वजह से लॉन्ग वेवलेंथ में स्ट्रेच हो गई है|
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का इंफ्रारेड
ऐसे में अगर हमें हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत में जन्मे सबसे पुराने आकाशगंगाओं को देखना है तो हमें इनकी तस्वीरें लोअर वेवलेंथ पर लेनी होंगी और यह सिर्फ तभी संभव है जब हम इनकी तस्वीरें इंफ्रारेड मिले इसके साथ ही इसका इंफ्रारेड टेलीस्कोप आसानी से गैस और डस्ट के घने क्लाउड्स के पीछे छुपे हुए स्टार और स्पेस बॉडीज को देखने और उनका अध्ययन करने में सक्षम होगा | जिससे हम हमारे ब्रह्मांड के उस हिस्से का भी आसानी से अध्ययन कर सकेंगे जिन्हें दूसरे स्पेस टेलीस्कोप से देख पाना और उनका अध्ययन कर पाना संभव नहीं है | वैज्ञानिकों का मानना है कि यह टेलीस्कोप दूसरे पृथ्वी जैसे ग्रहों का अध्ययन करने और वह किसी प्रकार के एलियन लाइफ ढूंढने में हमारी काफी मदद कर सकता है साथ ही यह हमारे सौरमंडल के गैस जॉइंट बृहस्पति और शनि के उपग्रह जैसे कि –
- यूरोपा
- टाइटन
- एन्सेलेडस
आदि का करीबी से अध्ययन और वहां जीवन के अस्तित्व की खोज भी करेगा | जेम्स वेब टेलीस्कोप के लॉन्च को अभी तक कई बार आगे बढ़ाया जा चुका है और इसके हर दिन के विलम्ब के साथ इसका बजट करीब $1000000 ( 10 लाख डॉलर ) बढ़ता जा रहा है | पर आखिरकार वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसे इसी साल 2021 दिसंबर को ESA के Ariane 5 रॉकेट के जरिए साउथ अमेरिका के फ्रेंच गुइयाना से लांच किया जा सकता है |
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप: L2 प्वाइंटक
लॉन्च के बाद इसे L2 प्वाइंटक पहुंचने में तकरीबन 1 महीने का समय लग जाएगा | इसके बाद इसके डेप्लॉयमेंट टेस्टिंग कम्युनिकेशन को सेट अप करने और इसके पोजीशन को एडजस्ट करने का काम किया जाएगा जिसमें और कुछ महीनों का समय लगने की उम्मीद है | लॉन्च के करीब 6 महीनों बाद वैज्ञानिकों को इसके द्वारा खींची गई पहली तस्वीर देखने को मिलेंगी इसके साथ ही हमें हमारे ब्रह्मांड के ऐसी अनदेखी जगहों आकाशगंगा और तारों की तस्वीरें देखने को मिलेंगी जो कि आज तक हमारे टेलीस्कोप और समझ से अदृश्य थी यह हमें हमारे ब्रह्मांड और हमारी शुरुआत के बारे में बताएगा जिसका जवाब हम कई सालों से ढूंढ रहे हैं उम्मीद है कि यह आने वाले करीब 10 सालों तक काम करता रहेगा और हमारे ब्रह्मांड के ऐसे सवालों का जवाब देगा जिनकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते|
FAQ
Q : जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप क्या है ?
Ans : जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप इतिहास का सबसे विशालकाय आधुनिक और कॉन्प्लेक्स टेलीस्कोप है |
Q: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप हबल टेलीस्कोप से कितना शक्तिशाली है ?
Ans : जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप हबल टेलीस्कोप से करीब 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली होगा जो कि हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत, बिग बैंक के बाद शुरुआती तारों और आकाशगंगा को देखने में सक्षम होगा|
Q: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की रिपेयरिंग
Ans : जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को रिपेयर नहीं किया जाएगा क्युकी वो पृथ्वी के ऑर्बिट / वातावरण से दूर होगा | जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को इस प्रकार बनाया गया है की उसको रिपेयरिंग की जरुरत नहीं पड़ेगी|
Q: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का इंफ्रारेड
Ans : जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की इंफ्रारेड टेलीस्कोप आसानी से गैस और डस्ट के घने क्लाउड्स के पीछे छुपे हुए स्टार और स्पेस बॉडीज को देखने और उनका अध्ययन करने में सक्षम है |
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