हाइड्रो पावर प्लांट क्या है ? हाइड्रो पावर प्लांट कैसे काम करता है
आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है की जलविद्युत ऊर्जा, हाइड्रो पावर प्लांट क्या है ? और हाइड्रो पावर प्लांट कैसे काम करता है ? साथ ही हम आपको इससे जुडी बहुत सी महत्वपूर्ण रोचक जानकारियाँ आपके साथ साँझा करेंगे | तो चलिए जानते है इसके बारे में |
स्टीम पावर प्लांट कैसे काम करता है ?
एक तो होता स्टीम पावर प्लांट जहां पर पहले पानी को गर्म करके स्टीम बनाई जाती है और फिर स्टीम से जनरेटर को घुमाया जाता है और पूरे वर्ल्ड में हाईएस्ट इलेक्ट्रिसिटी स्टीम पावर प्लांट से ही जनरेट होती है लेकिन ऐसा किया क्यों जाता है डायरेक्ट पानी से ही जनरेटर घुमा दे तो कैसा रहेगा पानी को स्टीम बनाने के लिए कोई फ्यूल की जरूरत नहीं पड़ेगी और डायरेक्ट यदि पानी से इलेक्ट्रिसिटी बनेगी तो वह एकदम रिन्यूएबल सोर्स होगा इलेक्ट्रिसिटी का कोई पोलूशन नहीं होगा डैम के चैनल को जब ओपन किया जाता है तो कितना हाई प्रेशर के साथ में पानी रिलीज होता है अब इस हाई प्रेशर के पानी के पास में इतनी ज्यादा उच्च ऊर्जा होती है कि यह कितनी ही इलेक्ट्रिसिटी जनरेट कर सकता है पानी को तो कुछ फर्क पड़ने वाला है नहीं आप उसे इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करो या नदी नालों में बहा दो |
हाइड्रो पावर प्लांट कैसे काम करता है ?
जो बड़े-बड़े डैम होते हैं उनके चैनल को जब ओपन किया जाता है तो चैनल के अंदर जनरेटर लगा दिया जाता है तो पानी जनरेटर को घुमाते हुए आगे निकल जाता है और इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होने लग जाती है लेकिन यहां पर दिक्कत है आती है कि डैम के अंदर पानी को बहुत टाइम लगता है स्टोर होने में बहुत टाइम तो यह हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट बंद ही पड़े रहते हैं और जब डैम के चैनल को खोला जाता है तो थोड़े टाइम के लिए खोला जाता है ऐसा नहीं है कि महीनों के महीनों ही डैम के चैनल ओपन रहते हैं लेकिन हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट को इसके अलावा भी उन जगहों पर सेट किया जाता है जहां पर पहाड़ी एरिया होता है जहां पर बर्फ गिरती हो या हम ऐसा कह सकते हैं कि कोई भी नदी जहां से स्टार्ट होती है वहां पर इन पावर प्लांट को सेट किया जाता है | जैसे शिमला उत्तराखंड यहां से नदियां निकलती है तो जब पानी पहाड़ों से नीचे आता है तो रास्ते के बीच में डैम बनाकर पानी को रोक लिया जाता है और इस डैम के पानी से जनरेटर घुमाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट की जाती है|
सर्ज टैंक क्या होता है ?
अब इस डायग्राम को देखो जैसे पहाड़ी के ऊपर यह डैम बना दिया जाता है और डैम के कुछ नीचे पावर हाउस बनाया जाता है जहां पर जनरेटर रखा जाता है | डेम और जनरेटर के बीच में एक पाइप लगा रहता है जिसको प्रेशर टनल या पेनस्टॉक बोलते हैं ऊपर की तरफ यदि आप देखोगे तो यहां पर एक सर्ज टैंक लगा है और सर्ज टैंक के आगे लगा होता है वाल हाउस वाल हाउस से पानी कंट्रोल किया जाता है जब इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करनी होती है तो वाल को ओपन कर दिया जाता है और पानी जाता है हाई प्रेशर और हाई स्पीड के साथ में टरबाइन की ब्लेड पर |
इस वाल हाउस में दो टाइप के बाल होते हैं –
- मैन सुइसिंग वाल – यह सिर्फ पानी को कंट्रोल करता है जब पानी ऊपर से छोड़ना होता है तब इस वाल को ओपन कर दिया जाता है |
- ऑटोमेटिक आइसोलेटिंग वाल – इसका वैसे कोई डायरेक्ट यूज़ नहीं होता है लेकिन जब कोई इमरजेंसी कंडीशन होती है तब इस वालों का यूज किया जाता है जैसे यदि कोई फॉल्ट आ जाता है तो सर्किट ब्रेकर सर्किट को ओपन कर देगा और जनरेटर का पूरा का पूरा लोड हट जाएगा तो इस केस में क्या होगा कि जनरेटर की स्पीड बहुत ज्यादा हाई हो जाएगी और जनरेटर के स्टेबल होने के पूरे पूरे चांस होते हैं तो यह ऑटोमेटिक आइसोलेटिंग वालों जल्दी से पानी को रोक देगा ताकि जनरेटर को कोई नुकसान ना हो क्योंकि इस पावर प्लांट में जनरेटर एक मूल्यवान मशीन है |
पेनस्टॉक पाइप क्या होता है ?
इसके बाद व्होल हाउस के आगे लगा रहता है पेनस्टॉक पाइप , जो ऊपर से डैम और जनरेटर के टरबाइन के बीच में कनेक्शन बनाकर रखता है और टरबाइन ब्लेड को हाई प्रेशर वॉटर सप्लाई देता है यह पेनस्टॉक पाइप स्टील का होता है जिसका डायमीटर जो जनरेटर होता है उसके अकॉर्डिंग सेट किया जाता है पेनस्टॉक पाइप के आगे लगा रहता है टरबाइन और यह फ्रांसिस टरबाइन होता है और इस तरह इनके ऊपर जनरेटर लगा रहता है | यह फ्रेंसिस टरबाइन कुछ इस टाइप के होते हैं कि इसमें इधर से पानी आता है वह टरबाइन को घुमा कर इधर आगे निकल जाता है और नीचे की तरफ को टरबाइन को घुमा कर जो आगे पानी निकलता है वह नदियों में चला जाता है |
पेनस्टॉक पाइप कैसे काम करता है ?
इस डायग्राम में आप ऊपर की तरफ देखो यहां पर एक सर्ज टैंक लगा है यह भी यह पेनस्टॉक पाइप है इसकी सिक्योरिटी के लिए लगा रहता है | ताकि यह पेनस्टॉक पाइप कहीं से फट ना जाए कुछ होता है ऐसा है कि जब फोल्ड की वजह से लोड हट जाता है जनरेटर से तो अभी मैंने बताया था कि जनरेटर की स्पीड बढ़ जाएगी तो जनरेटर अनस्टेबल होने के चांसेस भी बढ़ जाएंगे तो इस केस में जनरेटर का टरबाइन है जहां से टरबाइन के अंदर पानी एंटर होता है वहां पर गवर्नर लगा रहता है गवर्नर भी एक तरीके का वॉल भी है तो जब जनरेटर से लोड हटता है तो यह गवर्नर जो टरबाइन का गेट है उसको तुरंत बंद कर देता है | ताकि टरबाइन की वाटर सप्लाई रोक सके |
गवर्नर टरबाइन कैसे काम करती है ?
जैसे ही गवर्नर टरबाइन की वाटर सप्लाई रोकता है तो जो पानी ऊपर से स्पीड में आ रहा है उसका पूरा का पूरा प्रेशर ये जो पेनस्टॉक पाइप है इस पर आ जाएगा तो इस केस में क्या होता है कि यह पाइप फट सकता है और यदि पाइप फटेगा तो डैम को भी नुकसान हो सकता है | और यदि डैम टूट गया तो फिर पूरा का पूरा पावर प्लांट और आसपास का एरिया बहजाएगा तो यह जो सर्ज टैंक होता है जब गवर्नर टरबाइन का गेट बंद करता है तो वाटर का प्रेशर होता है उससे यह पानी थोड़ा बहुत सर्ज टैंक में चला जाएगा | जिससे पेनस्टॉक पाइप का प्रेशर थोड़ा कम हो जाएगा | दूसरा काम इस सर्ज टैंक का यह भी होता है कि जब डैम के अंदर पानी कम होता है और लोड की रिक्वायरमेंट बढ़ जाती है तो उस केस में सर्ज टैंक के अंदर जो पानी होता है उसको छोड़ा जाता है ताकि जो टरबाइन की ब्लेड है उन पर प्रेशर पूरा बना रहे |
जब ऑटोमेटिक आइसोलेटिंग वालों लगा है टरबाइन के गेट को बंद करने के लिए और पानी को कंट्रोल करने के लिए जब लोड एकदम से हट जाता है उस केस में तो यह नीचे की तरफ गवर्नर की क्यों जरूरत पड़ती है ?
यहां जो ऑटोमेटिक आइसोलेटिंग वालों है वह पानी को एकदम बंद कर देता है लेकिन यह जो गवर्नर है यह पानी को कंट्रोल करता है जनरेटर के लोड के हिसाब से जब लोड कम होता है तो यह पानी की सप्लाई कम कर देता है और जब लोड ज्यादा होता है तो यह पूरा गेट ओपन कर देता है टरबाइन का और फुल प्रेशर के साथ में पानी भेजता है |
Q: जो हाइड्रोलिक पावर प्लांट होता है उसमें सिंक्रोनस जनरेटर यूज होता है और उस जनरेटर का नाम क्या है ?
A: साइलेंट पोल सिंक्रोनस जनरेटर का उपयोग हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट में किया जाता है |
पंप स्टोरेज प्लांट क्या है ?
जो हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट होता है उसको हमेशा पीक लोड पर ही काम में लिया जाता है पीक लोड का मतलब होता है जब लोड की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो हमारे जो थर्मल पावर स्टेशन पर जो जनरेटर लगा है वह रिक्वायरमेंट को पूरी नहीं कर पाता है तो इस हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट को ऑन किया जाता है और यह पावर प्लांट थर्मल पावर स्टेशन की तरह 24 घंटे नहीं चलता है इसको थोड़ी देर के लिए ही उन किया जाता है अब यह जो हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट है ना इसमें क्या होता है कि पानी आगे चला जाता है नदियों में लेकिन एक और प्लांट होता है सेम टू सेम ऐसा ही होता है लेकिन उसमें फर्क यह होता है कि यह जो पानी आगे जा रहा है ना इसको एक और डैम बना कर रोक लिया जाता है नीचे की तरफ जब यह पानी जनरेटर से आगे की तरफ निकलता है तो और जब पीक लोड की डिमांड कम हो जाती है तो इस जनरेटर को मोटर की तरह यूज करके पानी को वापस ऊपर चढ़ा दिया जाता है और इस टाइप का जो प्लांट होता है उसको बोलते हैं पंप ” स्टोरेज प्लांट ” यह जो पंप स्टोरेज प्लांट है ना यह उन एरिया में काम में लिया जाता है जहां पर पानी कम होता है|
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट की कीमत कितनी है ?
जो हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट है इसकी कॉस्ट है वह थर्मल पावर प्लांट से भी ज्यादा होती है क्योंकि इसमें जो डैम बनाया जाता है उसमें बहुत ज्यादा खर्च आता है दूसरा यह जो पावर प्लांट होता है इसकी लोकेशन ग्रिड के आसपास में नहीं होती है तो ग्रीड से इस को जोड़ने के लिए लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन लगानी पड़ती है तो इसका भी एक अलग से खर्च आता है लेकिन यह पावर प्लांट एकदम एनवायरमेंट फ्रेंडली है बिल्कुल भी पोलूशन क्रिएट नहीं करता है और जितने भी पावर प्लांट है उनमें से सबसे ज्यादा एफिशिएंसी इसी पावर प्लांट की है |
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट की एफिशिएंसी कितनी होती है ?
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट की 60 % से 85 % तक एफिशिएंसी होती है | इस टाइप की जो बड़े-बड़े डैम होते हैं उनके जो चैनल होते हैं उनमें जनरेटर को सेट करके फुल प्रेशर के साथ में पानी छोड़ा जाता है और यहां पर जो जनरेटर लगे रहते हैं वह अच्छी खासी इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करते हैं यहां तक दुनिया में जो भी सबसे बड़े ज्यादा मात्रा या स्केल पर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने वाले पावर प्लांट है उनमें सबसे पहले हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट का ही नाम आता है | लेकिन यह सिर्फ और सिर्फ पीक लोड पावर प्लांट है थर्मल पावर प्लांट की तरह बेस लोड पावर प्लांट नहीं है |
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