Hunter Commission 1882 Notes in Hindi

Hunter Commission 1882 Notes in Hindi

(हण्टर कमीशन 1882)

आज हम आपको (Hunter Commission 1882) के सम्पूर्ण नोट्स देने जा रहे हैं | Hunter Commission 1882 Notes in Hindi, (हण्टर कमीशन 1882) के नोट्स पढ़कर आप अपना कोई भी टीचिंग एग्जाम पास कर सकते हैं | तो चलिए जानते हैं इसके बारे में बिना किसी देरी के |


The Hunter Commission: A Turning Point in Indian Education
(हंटर आयोग: भारतीय शिक्षा में एक महत्वपूर्ण मोड़)

हंटर आयोग (Hunter Commission), जिसे भारतीय शिक्षा आयोग (Indian Education Commission) के रूप में भी जाना जाता है, भारत में शिक्षा की स्थिति की जांच करने और सिफारिशें करने के लिए 1882 में स्थापित एक ब्रिटिश शाही आयोग था। आयोग की अध्यक्षता सर विलियम विल्सन हंटर ने की और शिक्षा प्रणाली को कम नामांकन और खराब गुणवत्ता के साथ खराब स्थिति में पाया। आयोग ने शिक्षा में निवेश में वृद्धि, शिक्षा प्रणाली के विस्तार और व्यावहारिक और व्यावसायिक शिक्षा की शुरूआत सहित कई सिफारिशें कीं। रिपोर्ट का भारत में शिक्षा नीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा और इसे देश की शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों में एक मील के पत्थर के रूप में याद किया जाता है।


Hunter Commission – 1882

(हण्टर कमीशन – 1882)

1882 का हंटर आयोग भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। आयोग के बारे में कुछ बिंदु इस प्रकार हैं:

  • नियुक्ति और संरचना (Appointment and Composition): आयोग की नियुक्ति भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड रिपन ने फरवरी 1882 में की थी। इसकी अध्यक्षता विलियम हंटर ने की थी, जो लॉर्ड रिपन की कार्यकारी परिषद के सदस्य थे। आयोग के अन्य सदस्य ज्यादातर ब्रिटिश प्रशासक, शिक्षक और विशेषज्ञ थे।
  • उद्देश्य (Purpose): आयोग का मुख्य उद्देश्य भारत में शिक्षा की स्थिति का अध्ययन करना और इसके सुधार के लिए सिफारिशें करना था। आयोग को 1854 के वुड्स डिस्पैच के तहत शिक्षा की प्रगति का मूल्यांकन करने का भी काम सौंपा गया था।
  • वैकल्पिक नाम (Alternative Name): आयोग को इसके अध्यक्ष विलियम हंटर के नाम पर हंटर एजुकेशन कमीशन के नाम से भी जाना जाता है।
  • कार्यप्रणाली (Methodology): आयोग ने पूरे भारत में बड़े पैमाने पर यात्रा की, स्कूलों और कॉलेजों का दौरा किया, शिक्षकों और अधिकारियों के साथ बैठक की और शैक्षिक नीतियों और रिपोर्टों का अध्ययन किया। इसने भारत में शिक्षा की स्थिति के बारे में बड़ी मात्रा में डेटा और जानकारी एकत्र की।
  • सिफारिशें (Recommendations): आयोग की रिपोर्ट, जो मार्च 1883 में ब्रिटिश सरकार को सौंपी गई थी, ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं। इनमें मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की स्थापना, महिला शिक्षा को बढ़ावा देना, विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार और व्यावसायिक स्कूलों का निर्माण शामिल था।
  • प्रभाव (Impact): हंटर आयोग की सिफारिशों का भारतीय शिक्षा नीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। आयोग की कई सिफारिशें अंततः ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा लागू की गईं, और उनमें से कुछ आज भी भारत में शिक्षा नीति को प्रभावित करती हैं।

उदाहरण: हंटर आयोग की सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की स्थापना थी। इसने 1882 के भारतीय शिक्षा अधिनियम को पारित किया, जिसने ब्रिटिश भारत के कुछ हिस्सों में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया।


Terms of Reference of the Hunter Commission

(हंटर आयोग के संदर्भ की शर्तें)

1882 के हंटर आयोग को भारत में शिक्षा राज्य का अध्ययन करने और इसके सुधार के लिए सिफारिशें करने के लिए नियुक्त किया गया था। यहाँ आयोग के संदर्भ की शर्तें हैं:

  • 1854 के वुड्स डिस्पैच की परीक्षा (Examination of Wood’s Despatch of 1854): आयोग को 1854 के वुड्स डिस्पैच के कार्यान्वयन की जांच करने का काम सौंपा गया था, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा जारी शिक्षा पर एक नीति दस्तावेज था। आयोग को भारत में शिक्षा की स्थिति पर डिस्पैच के प्रभाव का मूल्यांकन करना था।
  • प्राथमिक शिक्षा का विकास (Development of Primary Education): आयोग का एक मुख्य उद्देश्य भारत में प्राथमिक शिक्षा के विकास के लिए सार्थक सुझाव प्रस्तुत करना था। आयोग को प्राथमिक शिक्षा की मौजूदा प्रणाली का अध्ययन करना था, इसकी ताकत और कमजोरियों की पहचान करना और इसके सुधार के लिए सिफारिशें करना था।
  • राजकीय विद्यालयों की समीक्षा (Review of State Schools): आयोग को देश की शिक्षा में राजकीय विद्यालयों के योगदान की समीक्षा करने की भी आवश्यकता थी। आयोग को राज्य के स्कूलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना, सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना और उनके सुधार के लिए सिफारिशें करना था।
  • शिक्षा की प्रगति (Progress of Education): आयोग को भारत में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की प्रगति और विकास की समीक्षा करनी थी। आयोग को मौजूदा नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना था और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना था।
  • मिशन स्कूलों की भूमिका (Role of Mission Schools): आयोग को भारत की शिक्षा प्रणाली में मिशन स्कूलों की भूमिका की जांच करनी थी। मिशन स्कूल ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूल थे और भारत में शिक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा थे।
  • सरकारी नीति (Government Policy): अंत में, आयोग को शिक्षा क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रयासों के प्रति सरकार की नीति तैयार करने में मदद करनी थी। आयोग को शिक्षा के क्षेत्र में निजी व्यक्तियों और संगठनों की भूमिका का अध्ययन करना था, उनके योगदान की पहचान करनी थी और उनके लिए सरकार की नीति की सिफारिश करनी थी।

उदाहरण: इसके संदर्भ की शर्तों के तहत, हंटर आयोग को भारत की शिक्षा प्रणाली में मिशन स्कूलों की भूमिका की जांच करने की आवश्यकता थी। आयोग ने पाया कि मिशन स्कूलों ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, विशेष रूप से महिला शिक्षा और वंचित समुदायों की शिक्षा के क्षेत्र में। आयोग ने सिफारिश की कि सरकार को भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए मिशन स्कूलों के साथ काम करना चाहिए।

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Major Recommendations of Hunter Commission
(हण्टर कमीशन की प्रमुख संस्तुतियाँ)

  1. Education Policy ( शिक्षा नीति)
  2. Primary Education (प्राथमिक शिक्षा)
  3. Secondary Education (माध्यमिक शिक्षा)
  4. Higher Education (उच्च शिक्षा)
  5. Education of Muslims (मुस्लिम शिक्षा)
  6. Women’s Education (स्त्री शिक्षा)
  7. Religious Education (धार्मिक शिक्षा)
  8. Missionary’s Efforts (मिशनरी प्रयास)
  9. Education for Backward Classes (पिछड़े वर्गों की शिक्षा)
  10. Education of Tribes (जनजातियों की शिक्षा)

1. Hunter Commission Suggestions Regarding Education Policy
(शिक्षा नीति के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • स्वदेशी स्कूलों को सहायता (Support to Indigenous Schools): आयोग ने क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी स्कूलों को पर्याप्त सरकारी सहायता देने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: सरकार इन स्कूलों को वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचा विकास सहायता प्रदान कर सकती है।
  • गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति (Scholarships for Poor Students): गरीब छात्रों के लिए शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान करने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों के लिए एक छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है ताकि वे अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा सकें।
  • स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी (Local Bodies’ Responsibility): आयोग ने सुझाव दिया कि सरकार को अपनी जवाबदेही में सुधार के लिए प्राथमिक स्कूलों को चलाने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों पर छोड़ देनी चाहिए।
    उदाहरण: स्थानीय सरकार उचित प्रशासन और शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अपने क्षेत्र में स्कूलों का प्रबंधन कर सकती है।
  • सरकारी उत्तरदायित्व का पृथक्करण (Separation of Government Responsibility): आयोग के अनुसार, राज्य के स्कूलों की स्थापना के लिए सरकार को सीधे उत्तरदायित्व से अलग किया जाना चाहिए।
    उदाहरण: सरकार निजी व्यक्तियों या संगठनों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूल और कॉलेज स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
  • व्यक्तिगत प्रयासों के लिए प्रोत्साहन (Encouragement for Individual Efforts): आयोग ने सुझाव दिया कि सरकार को नवीन विचारों को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा में व्यक्तिगत प्रयासों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
    उदाहरण: शिक्षा में व्यक्तिगत प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार शैक्षिक संस्थानों के लिए सीड फंडिंग या कर छूट प्रदान कर सकती है।
  • अनुदान-सहायता आधार (Grant-in-Aid Basis): आयोग ने सुझाव दिया कि माध्यमिक विद्यालयों और कॉलेजों को केवल अनुदान-सहायता के आधार पर ही स्थापित किया जाना चाहिए।
    उदाहरण: सरकार माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना के लिए निजी संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है।
  • प्रबंधन सौंपना (Management Handover): आयोग ने सिफारिश की कि माध्यमिक विद्यालयों और कॉलेजों का प्रबंधन अलग-अलग संस्थानों को सौंप दिया जाना चाहिए।
    उदाहरण: प्रशासन में दक्षता को बढ़ावा देने के लिए सरकार कुछ स्कूलों और कॉलेजों का प्रबंधन निजी संस्थानों को सौंप सकती है।
  • शिक्षक प्रशिक्षण (Teacher Training): आयोग ने सुझाव दिया कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
    उदाहरण: शिक्षाशास्त्र और आधुनिक शिक्षण तकनीकों में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए सरकार शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना कर सकती है।

2. Hunter Commission Suggestions Regarding Primary Education
(प्राथमिक शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

1882 के हंटर आयोग ने भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति की समीक्षा की और इसके सुधार के लिए कई सिफारिशें कीं। प्राथमिक शिक्षा के संबंध में आयोग के कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

  • जन शिक्षा का विस्तार (Expansion of Mass Education): आयोग ने सिफारिश की कि प्राथमिक शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य जन शिक्षा का विस्तार होना चाहिए। आदिवासियों और पिछड़ी जातियों में इस शिक्षा के प्रसार के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
  • शिक्षा का माध्यम (Medium of Instruction): आयोग ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा देशी भाषाओं के माध्यम से प्रदान की जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा स्थानीय समुदाय के लिए अधिक सुलभ और प्रासंगिक हो।
  • प्रायोगिक पाठ्यचर्या (Practical Curriculum): आयोग ने सिफारिश की कि प्राथमिक शिक्षा में आम लोगों से संबंधित व्यावहारिक विषयों को पढ़ाया जाना चाहिए। इसमें कृषि, विज्ञान, चिकित्सा, गणित और औद्योगिक कला जैसे विषय शामिल होंगे। स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।
  • स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी (Responsibility of Local Bodies): आयोग ने सिफारिश की कि प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और जिला परिषदों को दी जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि प्राथमिक शिक्षा स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
  • पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सहायता (Special Assistance for Backward Classes): आयोग ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पिछड़े वर्गों को आर्थिक और अन्य प्रकार की सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि शिक्षा वंचित समुदायों के लिए अधिक सुलभ थी।
  • प्राथमिक शिक्षा का वित्तपोषण (Financing Primary Education): आयोग ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा के वित्त पोषण के लिए स्थानीय निकायों को एक ‘प्राथमिक शिक्षा कोष’ बनाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि प्राथमिक शिक्षा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित थी।
  • शिक्षक प्रशिक्षण (Teacher Training): आयोग ने प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए सामान्य विद्यालयों की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया। इससे यह सुनिश्चित होगा कि शिक्षक अपने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हैं।

उदाहरण: हंटर आयोग की सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक यह थी कि प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को दी जानी चाहिए। इस सिफारिश ने प्राथमिक शिक्षा के प्रशासन को विकेंद्रीकृत करने में मदद की और यह सुनिश्चित किया कि शिक्षा स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप हो। इसने भारत के कई हिस्सों में स्थानीय प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की, जिससे शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिली।


3. Hunter Commission Suggestions Regarding Secondary Education

(माध्यमिक शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • पाठ्यचर्या (Curriculum): आयोग ने माध्यमिक शिक्षा को दो धाराओं में विभाजित करने का सुझाव दिया: उच्च शिक्षा में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए एक पाठ्यक्रम और व्यावसायिक शिक्षा में रुचि रखने वालों के लिए बी पाठ्यक्रम।
    उदाहरण: एक पाठ्यक्रम में विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषा जैसे विषय शामिल हैं, जबकि बी पाठ्यक्रम में कृषि, वाणिज्य, यांत्रिकी, गृह विज्ञान और ड्राइंग जैसे विषय शामिल हैं।
  • शिक्षक-प्रशिक्षण (Teacher-Training): आयोग ने भारत में और अधिक शिक्षक-प्रशिक्षण संस्थानों की आवश्यकता और शिक्षक-प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की व्यावहारिकता पर बल दिया।
    उदाहरण: आयोग ने सुझाव दिया कि प्रायोगिक कौशल, जैसे प्रयोगों और प्रदर्शनों के माध्यम से शिक्षण को शिक्षक-प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए।
  • अनुदान सहायता प्रणाली (Grant-in-aid system): स्कूलों के लिए अनुदान सहायता प्रणाली को उनकी जरूरतों और परिस्थितियों के अनुसार लागू किया जाना चाहिए।
    उदाहरण: ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों या निम्न-आय समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले विद्यालयों को शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है।
  • शिक्षा का माध्यम (Medium of instruction): आयोग ने मध्य विद्यालयों में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी का उपयोग करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: जो छात्र अंग्रेजी में सीखते हैं उनके पास नौकरी के बेहतर अवसर और उच्च शिक्षा तक पहुंच हो सकती है।
  • माध्यमिक शिक्षा का विस्तार (Expansion of secondary education): आयोग ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में माध्यमिक शिक्षा के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया।
    उदाहरण: आयोग ने ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना करने और उच्च शिक्षा में रुचि नहीं रखने वाले छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने का सुझाव दिया।

4. Hunter Commission Suggestions Regarding Higher Education
(उच्च शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • अनुदान सहायता प्रणाली (Grant-in-Aid System): आयोग ने सुझाव दिया कि कॉलेजों के लिए अनुदान सहायता प्रणाली को शिक्षकों की संख्या, व्यय, कार्य क्षमता और स्थानीय जरूरतों सहित कई कारकों के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
    उदाहरण: कम संसाधनों और कम कार्य क्षमता वाले ग्रामीण क्षेत्र के एक कॉलेज को अधिक विकसित शहरी क्षेत्र के कॉलेज की तुलना में कम सहायता अनुदान प्राप्त करना चाहिए।
  • भौतिक सुविधाएं और पुस्तकालय (Physical Facilities and Libraries): आयोग ने कॉलेजों को भौतिक सुविधाओं और पुस्तकालयों के लिए उपयुक्त अनुदान सहायता प्रदान करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: एक कॉलेज एक नई इमारत के निर्माण, मौजूदा सुविधाओं का विस्तार करने या पुस्तकालय के लिए नई किताबें खरीदने के लिए सहायता अनुदान प्राप्त कर सकता है।
  • विषयों की पसंद (Choice of Subjects): आयोग ने सुझाव दिया कि छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विषय चुनने का अवसर मिलना चाहिए।
    उदाहरण: विज्ञान में करियर बनाने के इच्छुक छात्र को भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
  • नैतिक विकास (Moral Development): आयोग ने छात्रों के नैतिक विकास के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रमों को पढ़ाने की व्यवस्था करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: एक कॉलेज छात्रों को नैतिकता की एक मजबूत भावना विकसित करने में मदद करने के लिए नैतिकता, दर्शन और धर्म पर पाठ्यक्रम प्रदान कर सकता है।
  • व्यक्तिगत विकास (Personal Development): आयोग ने छात्रों के व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषयों पर विद्वानों द्वारा व्याख्यान श्रृंखला आयोजित करने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: छात्रों को विकास की मानसिकता विकसित करने में मदद करने के लिए एक कॉलेज विद्वानों को उद्यमशीलता, नेतृत्व या नवाचार से संबंधित विषयों पर बोलने के लिए आमंत्रित कर सकता है।
  • शिक्षकों की नियुक्ति (Appointment of Teachers): आयोग ने सिफारिश की कि शिक्षकों की नियुक्ति करते समय यूरोपीय विश्वविद्यालयों में शिक्षित भारतीयों को वरीयता दी जानी चाहिए।
    उदाहरण: एक कॉलेज किसी ऐसे उम्मीदवार की नियुक्ति को प्राथमिकता दे सकता है जिसने किसी यूरोपीय विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त की है, जिसने केवल भारत में शिक्षा प्राप्त की है।
  • छात्रवृत्तियां (Scholarships): आयोग ने छात्रों के लिए उपयुक्त छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: एक कॉलेज योग्यता या वित्तीय आवश्यकता के आधार पर योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर सकता है।
  • प्रवेश शुल्क (Admission Fee): आयोग ने सिफारिश की कि निजी कॉलेजों को राज्य के कॉलेजों की तुलना में कम प्रवेश शुल्क लेना चाहिए।
    उदाहरण: एक निजी कॉलेज अधिक किफायती विकल्पों की तलाश कर रहे छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक राज्य कॉलेज की तुलना में कम प्रवेश शुल्क ले सकता है।
  • उच्च शिक्षा प्राप्त करना (Pursuing Higher Education): आयोग ने सुझाव दिया कि योग्य छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति देकर यूरोप भेजा जाना चाहिए।
    उदाहरण: एक कॉलेज एक मेधावी छात्र को छात्रवृत्ति प्रदान कर सकता है जो एक यूरोपीय विश्वविद्यालय में मास्टर डिग्री हासिल करना चाहता है।

5. Suggestions Regarding Education of Muslims
(मुसलमानों की शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • अनुदेश का माध्यम (Medium of Instruction): आयोग ने प्राथमिक स्तर पर मुस्लिम स्कूलों में शिक्षा का माध्यम क्षेत्रीय भाषाओं को बनाने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: एक क्षेत्र में एक स्कूल जहां उर्दू प्रमुख भाषा है, इसे शिक्षा के माध्यम के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • वित्तीय सहायता (Financial Assistance): आयोग ने मुस्लिम शिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: मुख्य रूप से मुस्लिम छात्र आबादी वाला एक कॉलेज अपनी सुविधाओं में सुधार के लिए सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।
  • मुस्लिम निरीक्षक (Muslim Inspectors): आयोग ने मुस्लिम प्राथमिक विद्यालयों का निरीक्षण करने के लिए मुस्लिम निरीक्षकों को नियुक्त करने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: मुख्य रूप से मुस्लिम छात्रों की आबादी वाले एक प्राथमिक स्कूल का निरीक्षण एक मुस्लिम निरीक्षक द्वारा किया जा सकता है जो स्कूल द्वारा सामना की जाने वाली अनूठी चुनौतियों को समझ सकता है और उनकी सराहना कर सकता है।
  • मध्य और उच्च विद्यालय (Middle and High Schools): आयोग ने मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में मुस्लिम छात्रों के लिए मिडिल और हाई स्कूल स्थापित करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: मुस्लिम छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने के लिए एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में एक हाई स्कूल स्थापित किया जा सकता है।
  • प्रशिक्षण संस्थान (Training Institutions): आयोग ने मुस्लिम शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना का सुझाव दिया।
    उदाहरण: एक बहु-सांस्कृतिक कक्षा में पढ़ाने और इस्लाम और मुस्लिम संस्कृति से संबंधित विषयों पर शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा सकती है।
  • छात्रवृत्तियां (Scholarships): आयोग ने मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: एक कॉलेज एक मेधावी मुस्लिम छात्र को छात्रवृत्ति प्रदान कर सकता है जो किसी विशेष क्षेत्र में डिग्री हासिल करना चाहता है।

6. Hunter Commission Suggestions Regarding Women’s Education

(महिला शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • वित्तीय सहायता (Financial Assistance): आयोग ने लड़कियों के स्कूलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: एक लड़कियों का स्कूल अपने बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार के लिए सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।
  • छात्रवृत्ति और मुफ्त शिक्षा (Scholarships and Free Education): आयोग ने बालिकाओं के लिए छात्रवृत्ति और मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: वंचित पृष्ठभूमि की एक लड़की को उसकी शिक्षा जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जा सकती है।
  • सुविधाजनक पाठ्यक्रम (Facilitated Curriculum): आयोग ने लड़कियों के स्कूलों के लिए एक सुविधाजनक पाठ्यक्रम विकसित करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: लड़कियों के स्कूलों के लिए एक पाठ्यक्रम विकसित किया जा सकता है जिसमें जीवन कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ नियमित शैक्षणिक विषय शामिल हों।
  • निजीकरण (Privatization): आयोग ने सरकार द्वारा लड़कियों के स्कूलों के निजीकरण पर पर्याप्त जोर देने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: सरकार निजी खिलाड़ियों को सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन देकर लड़कियों के स्कूल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
  • महिला प्रशिक्षण स्कूल (Women Training Schools): आयोग ने महिलाओं को शिक्षण पेशे की ओर आकर्षित करने के लिए महिला प्रशिक्षण विद्यालय स्थापित करने की सिफारिश की।
    उदाहरण: शिक्षण तकनीकों और शिक्षाशास्त्र पर महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक महिला प्रशिक्षण विद्यालय की स्थापना की जा सकती है।
  • महिला निरीक्षक (Women Inspectors): आयोग ने बालिका विद्यालयों के निरीक्षण कार्य के लिए महिला निरीक्षकों को नियुक्त करने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: एक महिला निरीक्षक लड़कियों के स्कूल का निरीक्षण कर सकती है और प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर सकती है।
  • आवासीय शैक्षणिक संस्थान (Residential Educational Institutions): आयोग ने निजी स्कूल संस्थापकों द्वारा छात्राओं के लिए आवासीय शिक्षण संस्थान खोलने की सिफारिश की।
    उदाहरण: एक निजी स्कूल छात्राओं को सीखने के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए एक आवासीय शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकता है।

7. Suggestions Regarding Religious Education
(धार्मिक शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • सरकारी स्कूलों से अलग करना (Separation from Government Schools): आयोग ने सभी सरकारी स्कूलों को धार्मिक शिक्षा से अलग रखने का सुझाव दिया।
    उदाहरण: सरकारी स्कूल प्रकृति में धर्मनिरपेक्ष हो सकते हैं और बिना किसी धार्मिक शिक्षा के अपने छात्रों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।
  • निजी विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा (Religious Education in Private Schools): आयोग ने सिफारिश की कि निजी विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है।
    उदाहरण: एक निजी स्कूल नियमित शैक्षणिक विषयों के साथ-साथ अपने छात्रों को उनके पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में धार्मिक शिक्षा प्रदान कर सकता है।

8. Hunter Commission Suggestions Regarding Missionary’s Efforts

(मिशनरी के प्रयासों के संबंध में हंटर आयोग के सुझाव)

  • सहानुभूति की कमी (Lack of Sympathy): आयोग ने सुझाव दिया कि मिशनरी आम आदमी की विभिन्न भावनाओं के प्रति सहानुभूति रखने में असमर्थ थे।
    उदाहरण: एक भिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि से आने वाले मिशनरी स्थानीय लोगों के रीति-रिवाजों और परंपराओं को समझने में सक्षम नहीं थे।
  • शिक्षा के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं (Not Solely Responsible for Education): आयोग ने सिफारिश की कि केवल मिशनरी को शिक्षा की जिम्मेदारी देना देश के लिए अच्छा नहीं होगा।
    उदाहरण: शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार और अन्य हितधारकों को भी जिम्मेदार होना चाहिए और केवल मिशनरियों के प्रयासों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

9. Hunter Commission Suggestions Regarding Education of Tribes
(जनजातियों की शिक्षा के संबंध में हंटर कमीशन के सुझाव)

  • सरकार की जिम्मेदारी (Government Responsibility): आयोग ने सुझाव दिया कि आदिवासियों के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है।
    उदाहरण: सरकार को देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूल स्थापित करने और जनजातीय समुदायों को शिक्षा प्रदान करने के लिए पहल करनी चाहिए।
  • मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति (Free Education and Scholarships): आयोग ने सिफारिश की कि आदिवासी छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए और उनके लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए।
    उदाहरण: सरकार आदिवासी छात्रों के लिए स्कूल की फीस माफ कर सकती है और उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान कर सकती है।
  • आदिवासी शिक्षक (Tribal Teachers): आयोग ने सिफारिश की कि आदिवासी शिक्षकों को आदिवासी स्कूलों में नियुक्त किया जाना चाहिए।
    उदाहरण: सरकार आदिवासी समुदायों के लिए स्थापित स्कूलों में स्थानीय आदिवासी लोगों को शिक्षकों के रूप में भर्ती कर सकती है। इससे छात्रों और शिक्षकों के बीच संबंध बनाने में मदद मिलेगी।
  • जनजातीय शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण (Training for Tribal Teachers): आयोग ने सिफारिश की कि आदिवासी शिक्षकों के लिए अल्पकालिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
    उदाहरण: सरकार आदिवासी शिक्षकों के कौशल और शिक्षण विधियों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर सकती है।
  • व्यावहारिक शिक्षा (Practical Education): आयोग ने सुझाव दिया कि आदिवासी जातियों की शिक्षा का स्वरूप व्यावहारिक और दैनिक उपयोग से संबंधित होना चाहिए।
    उदाहरण: जनजातीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम को इस तरह से डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि यह जनजातीय समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं और आवश्यकताओं को पूरा करे। इसे व्यावहारिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो उनके दैनिक जीवन में उनकी मदद कर सके।

10. Suggestions Related to Education of Backward Classes

(पिछड़े वर्गों की शिक्षा से संबंधित हंटर कमीशन के सुझाव)

  • सरकारी स्कूलों में प्रवेश (Admission to Government Schools): आयोग ने सुझाव दिया कि पिछड़े वर्ग के छात्रों को सभी सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिया जाना चाहिए।
    उदाहरण: सरकार पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए सरकारी स्कूलों में आरक्षण प्रदान कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें उचित शिक्षा मिले।
  • विशेष विद्यालय (Special Schools): आयोग ने सिफारिश की कि पिछड़े वर्गों की शिक्षा के लिए विशेष विद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए।
    उदाहरण: सरकार पिछड़े वर्गों के लिए अलग स्कूल स्थापित कर सकती है, जो उन्हें एक ऐसा वातावरण प्रदान कर सकती है जो उनकी सीखने की जरूरतों के अनुकूल हो।
  • भेदभाव समाप्त करें (End Discrimination): आयोग ने सिफारिश की कि शिक्षकों को इन लोगों के खिलाफ प्रचलित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
    उदाहरण: शिक्षकों को निष्पक्ष होने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और अपने सभी छात्रों को उनकी जाति या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना चाहिए। उन्हें कक्षा में एक ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जो भेदभाव से मुक्त हो, और सभी छात्रों को सीखने और बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

Evaluation of Hunter Commission
( हण्टर कमीशन का मूल्यांकन)

  • वुड्स डिस्पैच को अपनाना (Adoption of Wood’s Despatch): हंटर कमीशन ने वुड्स डिस्पैच की सिफारिशों का पालन किया, जिसने भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव रखी थी।
  • शिक्षा के प्रयासों के लिए निश्चित रूपरेखा (Definite Framework for Education Efforts): आयोग ने भारत में शिक्षा के प्रयासों के लिए एक निश्चित रूपरेखा प्रदान की, जिससे शिक्षा के प्रसार में मदद मिली।
  • प्राथमिक शिक्षा का प्रसार (Spread of Primary Education): आयोग के सुझावों से पूरे देश में प्राथमिक शिक्षा का प्रसार हुआ, जो भारत में शिक्षा के विकास में एक आवश्यक कदम था।
  • अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार (Spread of English Education): आयोग की सिफारिशों के कारण भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार हुआ, जिससे शहरों में शिक्षित कामकाजी मध्य वर्ग के उदय में मदद मिली।
  • पिछड़े वर्गों और जनजातीय क्षेत्रों को शिक्षा (Education to Backward Classes and Tribal Areas): आयोग ने पिछड़े वर्गों और आदिवासी क्षेत्रों के लिए शिक्षा की सिफारिश की, जो शिक्षा में समानता सुनिश्चित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम था।
  • निधियों का अपर्याप्त प्रावधान (Inadequate Provision of Funds): आयोग की संस्तुतियों के बावजूद जनसंख्या के अनुरूप शिक्षा के लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान नहीं किया गया, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हुई।
  • शिक्षा को नौकरियों से जोड़ना (Linking of Education with Jobs): नौकरियों के लिए शिक्षा पर जोर देने के कारण ग्रामीण शिक्षित लोग शहरों की ओर पलायन कर गए, जिसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
  • शिक्षित कामकाजी मध्य वर्ग का उदय (Emergence of Educated Working Middle Class): शहरों में शिक्षित कामकाजी मध्यम वर्ग का उदय आयोग की सिफारिशों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
  • शिक्षा को किताबी ज्ञान से जोड़ना (Linking of Education with Bookish Knowledge): किताबी ज्ञान पर आयोग के जोर के कारण शिक्षा की व्यावहारिक उपयोगिता में कमी आई।

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