विंड टरबाइन कैसे काम करता है ?
आज के इस आर्टिकल में हम आपको विंड टरबाइन के बारे में बताएँगे की विंड टरबाइन कैसे काम करता है ? और ये टरबाइन कैसे प्रयोग में लाया जाता है ? साथ ही हम आपको इससे जुड़े कुछ रोचक बाते भी आपके साथ साझा करेंगे और आके लगभग सभी प्रश्नो के उत्तर देने का प्रयास करेंगे | तो चलिए जाने है विंड टरबाइन के बारे में विस्तार से सब कुछ |
पिछले 2000 वर्षों में पवन चक्कीयों ने पवन की ऊर्जा को उपयोगी रूप में परिवर्तित कर मानव सभ्यता की महान सहायता की है| आज विंड टरबाइन हवा की बहुत सी उर्जा को बिजली में बदल सकती है | ऐसा आधुनिकतम एयरोडायनामिक विश्लषण कर विकसित की गयी ब्लेडों और अन्य प्रदर्शन बढ़ाने वालों के कारण संभव हो पाया है इस आर्टिकल में हम उन तकनीकों के बारे में सरल और सटीक तरीके से जानेंगे | सबसे पहले मूल कार्यप्रणाली के बारे में बात करते हैं अगर बहती हुई हवा पंख को घुमा सकती है तो हम उससे जुड़े जनरेटर से बिजली प्राप्त करेंगे |
बहती हुई हवा पंख को कैसे घूम आती है ?
आइये ब्लेड को नजदीक से देखते हैं | ब्लड में मूल से लेकर सिरे तक बहुत से अलग-अलग आकार के एयरफॉय्ल्स क्रॉस सेक्शंस होते हैं | सरल एरफोइल तकनीक से विंड टरबाइन ब्लेड को कम आती है | इसका मतलब है कि जब एक एयरफॉयल के ऊपर से कोई तरल पदार्थ घूमता है तो लिफ्ट फोर्स उत्पन्न होता है इस तरह विंड टरबाइन सामान्य तरीके से घूम पाती है चलिए आपको एक अच्छे से उदहारण के साथ समझाने का प्रयास करते है |
जैसा कि हम अक्सर देखते हैं जिस तरह चलती हुई ट्रेन में हम चीजों को ट्रेन की गति के सापेक्ष अनुभव करते हैं उसी तरह घूमती हुई टरबाइन कीब्लेड भी हवा का अनुभव करती है |
सापेक्षिक हवा का वेग सिद्धांत क्या है ?
घूमती हुई ब्लड के लिए सापेक्षिक हवा का वेग यहां दर्शाया गया है | इसलिए विंड टरबाइन की ब्लड को थोड़े झुके हुए तरीके से लगाया जाता है ताकि सापेक्षिक हवा की गति के अनुसार उसे संरेखित किया जा सके जैसे जैसे बाहरी सिरे की ओर बुलेट का वेट बढ़ता है सापेक्षिक हवा की गति भी बाहरी सिरे की ओर अधिक झुकती जाती है | इसका मतलब है कि ब्लेडों को जड़ से लेकर चले तक एक सतत घुमाव दिया जाता है |
क्या जनरेटर को सीधा विंड टरबाइन के ब्लाडो से जोड़ा जा सकता है ?
लेकिन इस घुमाओ को सीधे जनरेटर से नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि आमतौर पर विंड टरबाइन बहुत कम आरपीएम की दर से घूमती है जिसका कारण शोर और यंत्र क्षमता से जुड़ी समस्याएं हैं इसके धीमी गति से घूमने को ध्यान में रखते हुए हम जनरेटर से ही पर्याप्त इलेक्ट्रिसिटी फ्रीक्वेंसी नहीं उत्पन्न कर पाएंगे इसलिए जनरेटर से जोड़ने से पहले गति को एक गियर बॉक्स में बढ़ाया जाता है | उच्च गति अनुपात प्राप्त करने के लिए गियर बॉक्स में एक प्लेनेटरी गियर के सेट का प्रयोग किया जाता है | नसल में भी एक ब्रेक लगा होता है ब्रेक का काम बहुत तेज हवा चलने की स्थिति में विंसलेट के रोटेशन को कैद करना होता है | परिणाम स्वरूप पैदा हुई बिजली को केबलों के जरिए देश की ओर ट्रांसफर किया जाता है जहां पर एक स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर लगा होता है |
विंड टरबाइन की हवा की दिशा बदल गयी तो क्या होगा ?
अधिकतम बिजली पैदा करने के लिए आमतौर पर ब्लेडों का मुंह हवा की ओर होना चाहिए | लेकिन हवा की दिशा कभी भी बदल सकती है | नसल के ऊपर लगा वेलोसिटी सेंसर हवा की गति और दिशा की माफ करता है हवा की दिशा में होने वाले बदलाव को एक इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर को भेजा जाता है जो बदले में याविंग मैकेनिज्म को उपयुक्त संकेत भेजता है | ताकि गलती को सुधारा जा सके आप चित्र में देख सकते हैं कि याव मोटर सेल को कैसे घूम आती है | इस प्रकार विंड टरबाइन हमेशा हवा की दिशा के अनुरूप चलती है हवा की गति के अनुसार हवा का सापेक्ष वेलोसिटी एंगल भी बदलता है ब्लेडों में झुका होने की कार्यप्रणाली के कारण ब्लेड्स झुक जाती है और सापेक्षिक रूप के अनुरूप उचित एलाइनमेंट सुनिश्चित करती है | इस प्रकार ब्लेडों को हमेशा हवा के सापेक्ष एक बहाव के साथ ऑप्टिमम एंगल ऑफ़ अटैक मिलता है |
विंड टरबाइन कि एफिशिएंसी कितनी होती है ?
विंड टरबाइन कि एफिशिएंसी वास्तव में एक रोचक टॉपिक है | विंड टरबाइन एफिशिएंसी के बारे में अधिक गहराई से जानने के लिए चलिए मान लेते हैं कि आप विंड टरबाइन की अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम पर गति की माफ कर रहे हैं | आप गौर कर सकते हैं कि डाउनस्ट्रीम पर हवा की गति अपस्ट्रीम की तुलना में बहुत कम होती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लेड्स हवा से कुछ काइनेटिक ऊर्जा सोख लेती है | एनर्जी की वहीं मात्रा विंड टरबाइन की यांत्रिक शक्ति में परिवर्तित की जाती है |
विंड टरबाइन की कुछ रोचक बाते
यह गौर करना रोचक होगा कि विंड टरबाइन उपलब्ध काइनेटिक ऊर्जा का 100% केवल तभी सकती है जब डाउनस्ट्रीम पर हवा की गति शून्य हो जाती है लेकिन डाउनस्ट्रीम पर हवा की गति का शून्य हो जाना भौतिक रूप से असंभव है | यह एनिमेशन चित्र इस तथ्य को स्पष्ट रूप से दर्शाता है डाउनस्ट्रीम पर हवा की गति का शून्य हो जाने का मतलब होगा कि हवा का पूरा बहाव रुक गया है बहाव कि इस भौतिक वास्तविकता के लिए निश्चित मात्रा में एग्जिट विंड स्पीड जरूरी है | इसका मतलब है कि सैद्धांतिक रूप से यह अधिकतम अफिशन्सी है जो विंड टरबाइन द्वारा प्राप्त की जा सकती है | इस सीमा को बेट्ज़ लिमिट के नाम से जाना जाता है | निश्चित रूप से इसका मतलब है कि इस दुनिया की कोई विंड टरबाइन कभी भी 59.3% की एफिशिएंसी सीमा को पार नहीं कर सकती है
हमें उम्मीद है आपके ये जाकारी पसंद आई होगी | इस आर्टिकल में हमने प्रयास किया है की आपको कम शब्दों में ज्यादा जानकारी प्रदान कर सके | जिससे आपका समय बचे और आप अपना जरूरी काम जल्दी से समाप्त कर सके | अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों से साथ जरूर साझा करे जिससे उनके ज्ञान में भी वृद्धि हो और वो अपना भविष्य उज्जवल बना सके |
धन्यवाद |
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