पावर स्टीयरिंग क्या है? और पावर स्टीयरिंग कैसे काम करता है?

पावर स्टीयरिंग क्या है? और पावर स्टीयरिंग कैसे काम करता है?

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है की पावर स्टीयरिंग क्या है ? और पावर स्टीयरिंग कैसे काम करता है ? साथ ही हम आपको इससे जुडी बहुत सी मह्त्वपूर्ण बाते आपके साथ साझा करेंगे | तो चलिए जानते है इसके बारे में सब कुछ |

आजकल सभी वाहनों में पावर स्टीयरिंग आने लगा है और पावर स्टीयरिंग दो तरह की होती है | हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग और इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग | इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग एक बहुत ही सरल तंत्र पर आधारित है, जिसमें पावर स्टीयरिंग को मोटर के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है जबकि हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग में, स्टीयरिंग तंत्र को हाइड्रोलिक पिस्टन के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। रैक और पिनियन सिस्टम से युक्त एक सामान्य स्टीयरिंग, इसे पावर स्टीयरिंग में कैसे बदला जाता है, साथ ही पावर स्टीयरिंग की कार्यप्रणाली और पावर स्टीयरिंग की विफलता की स्थिति में क्या होता है, सभी इस आर्टिकल में शामिल हैं। जब हम गाड़ी को टर्न लेते हैं तो गाड़ियों की जो आगे के टायर है वह एक एंगल पर नहीं मोड़ते हैं कहने का मतलब दोनों टायर बराबर टर्न नहीं लेते एक टाइम थोड़ा ज्यादा मुड़ता है तो एक थोड़ा कम और यह सब जानबूझकर नहीं किया जाता जब हम टर्न लेते हैं तो गाड़ी के टायर स्लिप हो सकते हैं इसलिए इसको अलग-अलग एंगल पर रखा जाता है | इन एंगल को कुछ इस तरीके से मेंटेन किया जाता है कि पीछे के पहिये से जो परपेंडिकुलर लाइन निकल कर आती है उस लाइन पर आगे के दोनों पहिये से जो दोनों लाइन ही निकल कर जाती है वह ट्रेन के टाइम पर एक ही पॉइंट पर कट करनी चाहिए |

एंगल, टर्न और कट

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अब यदि आगे की पहिये दोनों एक ही एंगल पर टर्न लेंगे तो यह लाइने कट तो करेगी लेकिन अलग-अलग जगह पर जिस से गाड़ी के व्हील स्लिप होंगे टर्न के टाइम तो एक परफेक्ट टर्न लिए आगे के टायर का एंगल अलग अलग होना जरूरी है और इस तरीके का एंगल एक बहुत ही बेहतरीन स्टेरिंग मैकेनिज्म की हेल्प से मेंटेन किया जाता है |आज के समय में लगभग सभी गाड़ियों में पावर स्टेरिंग आने लग गए हैं लेकिन इन पावर स्टेरिंग में ऐसा क्या होता है कि जब तक हम गाड़ी को स्टार्ट नहीं करते तब तक तो पावर स्टेरिंग बहुत ही ज्यादा टाइट रहता है और जैसे ही हम गाड़ी को स्टार्ट करते हैं तो यह एकदम इजी हो जाता है और शायद आपको इस बात के बारे में भी पता नहीं होगा कि गाड़ियों में दो टाइप की पावर स्टेरिंग आते हैं उनमें से एक टाइप ऐसा है जिसकी वजह से गाड़ी का फ्यूल कंजप्शन बढ़ जाता है जिसका सीधा सीधा फर्क गाड़ी के एवरेज पर पड़ता है

नॉर्मल स्टेरिंग: पिनियन और रैक

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सबसे पहले हम नॉर्मल स्टेरिंग की बात कर लेते हैं नॉर्मल स्टेरिंग का सीधा सीधा सिंपल सा मेकैनिज्म होता है यह वाली जो रोड होती है जो हमारे स्टेरिंग व्हील से जुड़ी रहती है जिसको बोलते हैं ” पिनियन ” तो जब हम स्टीयरिंग व्हील को टर्न लेते हैं तो साथ साथ में यह पिनियन भी रोटेट करती है और यह पिनियन रोड जुड़ी रहती है रैक से | रैक कुछ इस टाइप का मैकेनिज्म होता है जब हम स्टेरिंग को टर्न लेते हैं तो इस तरीके से दाये बाये होती है जैसा की आप चित्र में देख सकते हो | अब यह रैक दोनों तरफ से स्टेरिंग आर्म के थ्रू गाड़ी के व्हील से जुड़ी रहती है | और जब हम स्टेरिंग को टर्न लेते हैं तो यह रैक और पिनियन एक साथ में इस तरीके से काम करते हैं जैसा की आप चित्र में देख सकते हो | और गाड़ी के व्हील को टर्न दिलवाते हैं तो स्टेरिंग के रेट और पिनियन मेकैनिज्म की हेल्प से दोनों टायर का अलग-अलग एंगल मेंटेन किया जाता है और इस टाइप का मेकैनिज्म तो हर कार में होता ही है और जिस कार में पावर स्टेरिंग आती है उसमें इसी रैक और पिनियन वाली स्टेरिंग को पावर स्टेरिंग में बदल दिया जाता है |

आज के समय दो टाइप की पावर स्टेरिंग होती है –

  1. हाइड्रोलिक पावर स्टीयरिंग 
  2. इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग

हाइड्रोलिक पावर स्टेरिंग में रैक होता है इसमें हाइड्रोलिक पिस्टल को सेट कर दिया जाता है | आपने जेसीबी तो देखि ही होगी | जो उसकी बाजुओं में स्टील की रोड जैसी दिखती है न वो ही हाइड्रोलिक पिस्टन है | किसी भी टाइप के वजन को उठाने के लिए जेसीबी में हाइड्रोलिक पिस्टन का उपयोक किया जाता है | तो यहां पर छोटा हाइड्रोलिक पिस्टन यूज़ होता है इसके बाद में यह जो स्टेरिंग वाली रोड है जिसको हमने पिनियन बोला था इसके यहां पर एक डायरेक्शन कंट्रोल वॉल सेट कर दिया जाता है | और इस वॉल का कनेक्शन पिस्टन से कर दिया जाता है |

हाइड्रोलिक पिस्टन कैसे काम करता है ?

जैसा कि यह हाइड्रोलिक पावर स्टेरिंग है तो इसमें हमें तेल चाहिए इस हाइड्रोलिक पिस्टन को मूव करवाने के लिए | यह डायरेक्शन कंट्रोल वाल्व जुड़ा रहता है ऑयल पंप से ऑयल पंप का काम हाइड्रोलिक सिस्टम के अंदर ऑयल को पंप करना होता है | और ऑयल पंप को ऑयल मिलता है ऑयल टैंक से और जब गाड़ी स्टार्ट होती है तो गाड़ी के इंजन से जुड़ा रहता है सीधा ही तो जब तक गाड़ी ऑन रहती है तब तक ऑयल पंप ऑन ही रहता है और कंटीन्यूअसली काम करता रहता है तो गाड़ी के स्टार्ट होने के बाद में पंप ऑन हो जाता है तो जैसे हमको गाड़ी को लेफ्ट साइड में ट्रेन दिलवाना है तो हम स्टेरिंग को लेफ्ट साइड में टर्न लेंगे और स्टेरिंग का टर्न लेंगे तो उसके साथ में यह डायरेक्शन कंट्रोल वॉल भी रोटेट कर जाएगा |

जब यह वालों रोटेट करेगा तो इधर वाला और यह वाला वालों ओपन हो जाएंगे इस केस में ऑयल इधर वाली छोटी-छोटी जो पाइप लगी है इन से होते हुए हाइड्रोलिक पिस्टन के पास में जाएगा और हाइड्रोलिक पिस्टन को राइट साइड में फोर्स लगाएगा तो इस हाइड्रोलिक पिस्टन में जो इस साइड में जो पहले से था वह इधर से बाहर निकलेगा और डायरेक्शन वालों से होते हुए ऑयल टैंक के अंदर चला जाएगा | जब पिस्टन को राइट साइड में फोर्स लगेगा तो पिस्टन तो रैक में लगा हुआ है और पिस्टल रैक को इधर राइट साइड की तरफ लेकर जाएगा जिससे हमारी गाड़ी लेफ्ट साइड में टर्न ले लेगी जब गाड़ी को राइट में टर्न लेना होगा तो स्टीयरिंग व्हील को हम राइट साइड की तरफ टर्न करेंगे जिससे डायरेक्शन वालों इस तरीके से ओपन हो जाएगा और अब की बार ऑयल इधर से जाएगा और पिस्टन को लेफ्ट साइड की तरफ फोर्स लगाएगा और इधर से होते हुए वापस टैंक के अंदर आ जाएगा तो इस तरीके से हमारी गाड़ी लेफ्ट और राइट टर्न लेती है हाइड्रोलिक प्रेशर से और हमारी गाड़ी यदि सीधी चल रही है तो यह वॉल बंद रहेगा जिससे पिस्टन बैलेंस कंडीशन में रहेगा और किधर भी फोर्स नहीं लगेगा |

असल में यहां हम डायरेक्ट गाड़ी के व्हील को टर्न नहीं दे रहे हैं हम जितना भी फाॅर्स गाड़ी को टर्न लेने में लगा रहे हैं वह फाॅर्स असल में हाइड्रोलिक प्रेशर लगा रहा है हम तो बस एक तरीके से स्टेरिंग से सिग्नल दे रहे हैं कि गाड़ी को किधर टर्न लेना है | अब यदि मान लो गाड़ी का हाइड्रोलिक प्रेशर फेल भी हो जाता है फेल होने की कंडीशन में भी ऐसा नहीं है कि हमारी गाड़ी की स्टेरिंग काम ही नहीं करेगी | गाडी से रैकऔर पिनियन तो जुड़ा ही रहता है | थोड़ी स्टेरिंग हार्ड हो जाएगी लेकिन काम तो वैसे ही करेगी |

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इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टेरिंग कैसे काम करता है ?

दूसरा पावर स्टेरिंग का जो मेकैनिज्म है उसका नाम है इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टेरिंग इसका मेकैनिज्म एकदम ही सिंपल है इस टाइप की एक मोटर होती है जिसको पिनियन वाले रोड पर सेट किया जाता है | इस मोटर को कंट्रोल किया जाता है एक इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट से यह कंट्रोल यूनिट कई जगह से डाटा कलेक्ट करती है सबसे पहले इसको डाटा मिलता है स्पीड सेंसर से की गाड़ी किस स्पीड पर चल रही है क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि गाड़ी स्पीड में चल रही होती है और यदि कोई अचानक से टर्न लेता है गाड़ी को तो उस केस में यह कंट्रोल यूनिट गाड़ी को एकदम से टर्न नहीं लेने देती है | क्योंकि एकदम टर्न लिया तो गाड़ी पलट भी सकती है

दूसरा डाटा इस कंट्रोल यूनिट को मिलता है स्टेरिंग एंगल सेंसर से की गाड़ी किस एंगल पर मुड़ी हुई है इसके अलावा यह कंट्रोल यूनिट टॉर्क सेंसर से भी डाटा कलेक्ट करती है टॉर्क सेंसर असल में हमें स्टेरिंग के पहिये पर हम जितना फाॅर्स लगाते हैं उसका मापन करता है और कंट्रोल यूनिट को बताता है | इन सब डाटा को कलेक्ट कर के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट जब हम कोई टर्न लेते हैं तो इस डाटा को बहुत ही फास्ट मेजर करके जो हम फोर्स लगाते हैं टर्न लेने के लिए वह फोर्स मोटर लगाती है और हमें हल्का सा सिर्फ स्टेरिंग व्हील को इशारा ही करना पड़ता है यह मोटर कुछ इस तरीके से यहां पर सेट रहती है और यहां पर बीएलडीसी मोटर को काम में लिया जाता है इस केस में यदि मोटर फेल हो जाती है तो कोई भी डरने की बात नहीं है यहां पर एक बहुत ही बेहतरीन प्लेनेटरी गियर सिस्टम को काम में लिया जाता है|

इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट

जैसे मोटर काम कर रही है तो इस कंडीशन में जो भी हम इनपुट दे रहे हैं टर्न लेने के लिए उसको इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट मेजर करके फिर मोटर से गाड़ी के व्हील पर फोर्स लगवाती है टर्न के लिए लेकिन मान लो यह मोटर काम करना बंद कर देती है तो इस केस में यह प्लेनेटरी गियर सिस्टम इस तरीके से काम करता है और हमारा जो भी इनपुट है उसको सीधा गाड़ी के टायर तक पहुंचा देता है और मोटर का कनेक्शन साइड में रह जाता है हमारा जो रैक और पिनियन वाली जो नॉर्मल स्टेरिंग है उसका कनेक्शन तो बना ही रहेगा बस थोड़ी स्टेरिंग हार्ड हो जाएगी

आज के टाइम में इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टेरिंग को भी कुछ गाड़ियों में काम में लिया जा रहा है क्योंकि यह एक तो बहुत ही सिंपल होती है और इसका मेंटेनेंस ना के बराबर है जो हाइड्रोलिक स्टेरिंग होती है उसका जो पंप है वह डायरेक्ट इंजन की क्रैंक्षाफ्ट से जुड़ा रहता है और जब तक गाड़ी ऑन रहती है तब तक वह कंटीन्यूअसली रोटेट करता है तो एक तरीके से डायरेक्ट इंजन की पावर को यूज कर रहा है जिससे गाड़ी के एवरेज पर भी फर्क पड़ता है | लेकिन इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टेरिंग में मोटर तभी काम करेगी जब हम गाड़ी को टर्न लेने की जरूरत है जब हमारी गाड़ी सीधी चल रही होती है तब मोटर को ज्यादा काम करने की जरूरत नहीं रहती तो वह बंद ही रहेगी इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टेरिंग भी पावर तो इंजन से ही यूज कर रही है लेकिन डायरेक्ट इंजन की पावर को यूज नहीं कर रही है जब अल्टरनेटर इलेक्ट्रिक एनर्जी बना देता है तो उसके बाद में अल्टरनेटर से वह अपनी पावर को यूज करती है | जो बहुत ही कम पावर यूज करती है|

हाइड्रोलिक प्रेशर मेंटेनेंस

इसलिए जो इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टेरिंग वाली गाड़ियां है उनका एवरेज हाइड्रोलिक प्रेशर वाली गाड़ियों से ज्यादा ही मिलेगा हाइड्रोलिक प्रेशर में ऑयल का मेंटेनेंस बहुत ज्यादा होता है क्योंकि वह एक लिक्विड है और वह कहीं से लीक भी हो सकता है इसलिए गाड़ी की सर्विस जब करवाई जाती है तब स्टेरिंग की अलग से सर्विस करनी पड़ती है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक स्टेरिंग में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मेंटेनेंस जैसा हो इसलिए जब तक गाड़ी स्टार्ट नहीं होती है तब तक ना ही तो मोटर स्टार्ट होती है और ना ही हाइड्रोलिक पंप इसलिए गाड़ी का स्टेरिंग व्हील हार्ड रहता है और जैसे ही गाड़ी स्टार्ट होती है तो हाइड्रोलिक पावर स्टेरिंग ऑयल फ्लो होने लग जाता है जिसे स्टेरिंग एकदम स्मूथ हो जाती है और इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग में भी जब गाड़ी स्टार्ट हो जाती है तो मोटर भी काम करने लग जाती है जिसे स्टेरिंग एकदम स्मूथ हो जाती है |

इस तरीके से एक नॉर्मल स्टेरिंग को पावर स्टेरिंग में बदल दिया जाता है तुम मेरे ख्याल से आपको यहां पर सब कुछ बहुत अच्छे से समझ में आया होगा कोई कंफ्यूजन है तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हो | तो चलिए मिलते है आर्टिकल में |

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