गाडी का एयरबैग कैसे काम करता है ?

गाडी का एयरबैग कैसे काम करता है ?

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है की एयरबैग कैसे काम करता है ? और एयरबैग के क्या क्या फायदे है | साथ ही हम आपको इससे जुड़े बहुत से महत्वपूर्ण तथ्य व रोचक जानकारी आपके साथ साझा करेंगे जिसे आपके लगभग सभी प्रश्नो के उत्तर आपको मिल जाएंगे | तो चलिए जानते है गाड़ी में लगे एयरबैग के बारे में |

एक हाई स्पीड एक्सीडेंट में ऐसा हो सकता है अगर एयरबैग ना हो चाहे ड्राइवर ने अपनी सीट बेल्ट लगाई हुई हो 100 मिली सेकंड के अंदर बिना शरीर को नुकसान पहुंचाए इंसानी शरीर को एक हाई स्पीड से रेस्ट पर लेकर आना एक बड़ा इंजीनियरिंग चैलेंज है |

एयरबैग इन्फ्लेशन का मैकेनिज्म कैसे काम करता है ?

एयरबैग-कैसे-काम-करता-है
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चलिए एयरबैग इन्फ्लेशन के मैकेनिज्म को समझकर इस लाइफ सेविंग टेक्नोलॉजी के बारे में जानते हैं | और मजेदार यह है कि यह केमिकल एक्सप्लोजन की वजह से होता है सीट बेल्ट का काम ह्यूमन बॉडी के मूवमेंट को रोकना होता है लेकिन एक्सीडेंट के दौरान इन सीट बेल्ट की वजह से आपकी चेस्ट एरिया पर बहुत ज्यादा फोर्स लग सकता है | जिसकी वजह से इंटरनल ऑर्गन इंजरी हो सकती है चेस्ट पर इतना ज्यादा फोर्स ना लगे इसके लिए मॉडर्न सीट बेल्ट एक टॉर्सन बार की मदद से सीट बेल्ट को थोड़ा सा रिलीज करती है | इस एक्शन की वजह से अपर बॉडी थोड़ा आगे की तरफ जाती है लेकिन जब टॉर्सन बार सीट बेल्ट रिलीज कर चुकी होती है तो बॉडी का मूवमेंट रुक जाता है ध्यान दीजिए कि सीट बेल्ट आपकी अपर बॉडी के मोशन को रोकती है इसमें आपकी गर्दन और आपका सिर इंक्लूड नहीं होते हैं जब गर्दन और सिर नहीं रुके होते हैं तो आप सोच सकते हैं कि क्या होगा ?

कंप्रेस्ड एयर क्या होती है ?

एक हाई स्पीड एक्सीडेंट में आपका सिर एक पेंडुलम की तरह मुंह करेगा सीट बेल्ट के साथ भी यह एक बहुत बड़ी तबाही हो सकती है इसीलिए इंजीनियर्स ने एयर बैग्स का आईडिया दिया एयर बैग में क्वेश्चनिंग इफेक्ट होता है और साथ ही साथ वो आपको डेश बोर्ड पर टकराने से भी रोकते हैं|

कंप्रेस्ड एयर अरेंजमेंट को यूज करके एयर बैग्स को इन्फ्लेट करने का जो पहला अटेंड किया गया था वह फेल हो गया था | इस डिजाइन में दो दिक्कतें थी पहली जो स्प्रिंग थी वह ठीक से क्रेज का अंदाजा नहीं लगा पा रही थी और दूसरी कंप्रेस्ड हवा एयर बैग को इतनी जल्दी भर नहीं पा रही थी कि क्रैश की वजह से होने वाले डैमेज को रोका जा सके | इस वजह से इन्हें कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया गया था |

जॉयसन सेफ्टी सिस्टम क्या है ?

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जॉयसन सेफ्टी सिस्टम के फाउंडर मिस्टर ऐलन के ब्रीड ने इन इश्यूज को सॉल्व करने के लिए कुछ बेहतरीन इंवेंशंस किए –

  • पहला योगदान – सबसे पहले उन्होंने बॉल इन ट्यूब सेंसर को यूज करके सेंसर कि एक्यूरेसी को बेहतर बनाया | इस संसार में एक मैग्नेट की मदद से स्टील बॉल को उसकी जगह में होल्ड करके रखा जाता है | जब कोई टकराव होता है तो कार या वाहन बहुत तेजी से डी एक्सलरेट होती है | पर इनर्शिया की वजह से बॉल मैग्नेट से अलग हो जाती है | बोल सर्किट को बंद करने के लिए आगे की तरह जाती है और इन्फ्लेटर को एक सिग्नल भेजती है |
  • दूसरा योगदान – उनका दूसरा और सबसे बड़ा योगदान कंप्रेस्ड एयर की जगह केमिकल एक्सप्लोजन यूज करने का था इस पर्पस के लिए मिस्टर ब्रिटनी सोडियम अजाइड नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया | सोडियम अजाइड की स्पेशलिटी यह थी कि अगर इस सॉलिड केमिकल को 300 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के टेंपरेचर पर ट्रिगर किया जाए तो यह बहुत तेजी से तुरंत गैस में कन्वर्ट हो जाता है 50 ग्राम सोडियम अजाइड लगभग 70 लीटर नाइट्रोजन जनरेट करता है इस केमिकल को स्टीयरिंग व्हील केयर टाइट सिलेंडर के अंदर भरा जाता है |

पायरोटेक्निक्स डिवाइस क्या है ?

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बाल सेंसर द्वारा भेजा गया इलेक्ट्रिकल सिगनल पायरोटेक्निक्स डिवाइस से पास होता है | ये एक पतला सा रेजिस्टेंस वायर होता है जब इसमें करंट पास होता है तो यह 300 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर जनरेट करता है | जिसकी वजह से सोडियम अजाइड एक्सप्लॉयड होता है और बहुत तेजी से नाइट्रोजन गैस जनरेट होती है ये 30 मिली सेकंड के अंदर बैग को इंकलेट कर देती है | इन दो ब्रेक थ्रो की वजह से कमर्शियल तौर पर एयरबैक्स को इस्तेमाल किया जा सका | ब्रीड कॉरपोरेशन की इस पटेंट डिज़ाइन को 1998 में क्राइसलर द्वारा उनके डॉज डेटोना मॉडल कार्स में रिलीज किया गया था | यह बहुत ज्यादा सक्सेसफुल हुआ और बाकी सभी कार मैन्युफैक्चरर्स ने भी इस तरह की एयरबैग टेक्नोलॉजी इंप्लीमेंट करनी शुरू कर दी | लेकिन इस डिजाइन में भी दो बड़े ड्रॉ बैक्स थे | 

  • पहला – एक्सप्लोजन के बाद पैड यूज होने वाली गैस टॉक्सिक थी| एक्सॉस्ट के सोडियम मेटल की वजह से यह दिक्कत होती थी | एग्जॉस्ट की सोडियम मेटल की वजह से यह दिक्कत होती थी साइंटिस्ट ने पोटेशियम नाइट्रेट और सिलीकान डाइऑक्साइड ऐड करके इस इश्यू को सॉल्व कर दिया |

क्या आपको 2008 में हुआ फेमस टकाटा 67 मिलियन एयर बैग वाला रिकॉल इंसीडेंट याद है?

  • दूसरा – यह इंसीडेंट सोडियम अजाइड की एक खराब प्रॉपर्टी की वजह से हुआ था | ये आसानी से मॉइश्चर को सोख
    लेता है | अगर डिजाइन या मैन्युफैक्चरिंग के दौरान कोई लीकेज होता है तो सोडियम अजाइड मास्टर को सोख लेता है | मॉइश्चर को सोखने के बाद जब इसे ट्रिगर किया जाएगा | तो इस केमिकल में वॉयलेट एक्सप्लोजन होंगे | जिसकी वजह से एयर बैग फट जाएगा और श्रेप निल बम के छोटे टुकड़े पैसेंजर्स तक पहुंच जाएंगे | टकाटा के एयर बैग्स के साथ यही हुआ था | और इस तरीके की घटनाओ की वजह से अंत में कंपनी बैंक्रप्ट / दिवालिया हो गई थी |

स्ट्रिक्ट क्वालिटी कंट्रोल मापन क्या है ?

इस तरह के अनचाहे एक्सीडेंट से बचने के लिए एक ड्राइंग एजेंट ऐड करना मददगार हो सकता है | साथ ही एयर बैग जैसे कंपोनेंट्स के लिए बहुत ही स्ट्रिक्ट क्वालिटी कंट्रोल मापन की भी जरूरत होती है | आजकल गैस जनरेटर के तौर पर सोडियम अजाइड को गुआनिडाइन नाइट्रेट के साथ बदल दिया गया है | यह सोडियम अजाइड के मुकाबले कम टॉक्सिक और एक्सप्लोसिव है यह मॉइस्चर सेंसेटिव भी नहीं है | अब हमें एक्सप्लोजन और हार्मफुल गैसे के बारे में फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है इन दो डिजाइन चेंज इसके बाद भी इलेक्ट्रोमैकेनिकल सेंसर बेस्ट एयर बैग्स में एक और परेशानी थी |

क्या होगा अगर गाड़ी सड़क के गड्ढो से बार बार होकर गुजरे ?

एक गड्ढे में गिरने पर भी यह कभी-कभी एक्टिवेट हो जाते थे इसकी वजह इलेक्ट्रिकल स्विचस डिक्लेरेशन के रेट के बारे में जानकारी नहीं देते थे | जो कि यह पता लगाने के लिए जरूरी होता है कि क्रश कितना कामयाब था इसका मतलब यह है कि यह एक गड्ढे और क्रश के बीच फर्क ही नहीं समझ सकता था | ( इसपर करोज़ेन का असर भी पड़ सकता है )

मेम्स सेंसर क्या होते है ?

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इसीलिए क्रैश को सही तरीके से डिटेक्ट कर पाने के लिए आजकल एडवांस इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट वाले मेम्स सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है | यह एक कैपसिटन पर आधारित मेथड है | जिसमें यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि क्रश कितना नाज़ुक था और निम्नलिखित सेंसर्स से इनपुट लेता है |

  • ईसीयू स्पीड सेंसर
  • जायरोस्कॉप्स
  • ब्रेक प्रेशर सेंसर
  • सीट ऑक्युपेंसी सेंसर

गैस जनरेटर कैसे काम करता है ?

अल्गोरिदम यह निर्धारित करता है कि गैस जनरेटर को कब ट्रिगर करना है | और क्रैश को देखते हुए कुछ ही मिलीसेकंड में रिस्पांस करते हुए एयर बैग को कितना खोलना है | या किस हिसाब से खोलना है | इग्निटरदो मिली सेकंड में एक्सप्लोसिव को जला देता है | और 20 से 30 मिली सेकंड में बैग को भर देता है | एयरबैग 100 मिली सेकंड के लिए पूरी तरह से खुला रहता है अब एयरबैग आपको सँभालने के लिए तैयार है |

इन्फ्लेट और डीफ़्लेट में क्या अंतर है ?

एयर बैग इम्पैक्ट फाॅर्स को बड़े एरिया में फैला देता है | यह न सिर्फ इन इन्फ्लेट होता है बल्कि इंपैक्ट के दौरान आपको धीमा करने के लिए डीफ़्लेट भी होता है | डीफ़्लेट होते समय यह ट्रैवल करने के लिए थोड़ा ज्यादा टाइम देता है | आप एयर बैग में वेंट के छेद देख चित्र ने देख सकते हैं | इन वेंट से हवा बाहर निकलती है और आपकी बॉडी को धीमा करने के लिए एयर बैग डीफ़्लेट हो जाता है |

क्या आपको पता है कि अगर आपने सीट बेल्ट पहनी हो तो कुछ कार मॉडल्स में एयर बैग क्यों नहीं काम करेगा?

एयर बैग इन्फ्लेशन की स्पीड बहुत ज्यादा होती है लगभग 320 किलोमीटर प्रति घंटा | इस इन्फ्लेशन के दौरान अगर आप एयरबैग को हिट करते हैं तो यह ज्यादा जानलेवा हो सकता है तो आप सीट बेल्ट पहनना बिल्कुल मत बोलिएगा ताकि एक खूबसूरत एयर बैग टेक्नोलॉजी काम कर सके |

Q: कार चालक की सुरक्षा के लिए उपयोग किए जाने वाले एयर बैग में क्या होता है?

Ans: सोडियम अजाइड, आजकल गैस जनरेटर के तौर पर सोडियम अजाइड को गुआनिडाइन नाइट्रेट के साथ बदल दिया गया है | यह सोडियम अजाइड के मुकाबले कम टॉक्सिक और एक्सप्लोसिव है | 

धन्यवाद |

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